यहां शाख-शाख बताएगी आपकी किस्मत का हाल, हरियाणा में नवग्रह और नक्षत्र वाटिका
हरियाणा में अब आप अपनी किस्मत का हाल पेड़-पौधों से जान सकेंगे। हरियाणा में नवग्रह और नक्षत्र वाटिका में पेड़-पौधे किस्मत का हाल बताएंगे।
हिसार, [वैभव शर्मा]। शुद्ध हवा और साफ पर्यावरण वक्त की जरूरत है। इसके लिए पेड़ों का महत्व किसी से छिपा नहीं है। हालांकि कम ही लोग जानते हैं कि नवग्रह और नक्षत्रों से भी पेड़-पौधों का गहरा नाता है। यकीन न आए तो हिसार के हर्बल पार्क में स्थापित नवग्रह वाटिका का रूख कीजिए। वाटिका की खास बात ये है कि यहां वही पौधे रोपित किए गए हैं, जिनके बारे में प्राचीन भारतीय विद्वान नवग्रहों व नक्षत्रों से सीधा नाता बताते हैं। यह प्रदेश में पहली बार है जब वन विभाग ने इस तरह की वाटिका तैयार की है।
वन विभाग ने हिसार व अग्रोहा के हर्बल पार्क में पहली बार विकसित की है नवग्रह और नक्षत्र वाटिका
भारतीय वन सेवा में अधिकारी डा. सुनील ढाका के अनुसार पर्यावरण संरक्षण की इस अनोखी पहल के पीछे उद्देश्य ये है कि लोगों को इन पौधों के माध्यम से प्रकृति से जोड़ा जाए। देश के दक्षिण के शहरों में नवग्रहों व नक्षत्रों से जुड़े पौधों की पूजा भी होती है।
नवग्रहों में ये पेड़-पौधे हैं शामिल
दिशा- ग्रह- पेड़-पौधे
उत्तर पश्चिम- केतु- दूब
उत्तर- बृहस्पति- पीपल
उत्तर पूर्व- बुध- अपामार्ग
पश्चिम- शनि- शमी
मध्य- सूर्य- आक
पूर्व- शुक्र- गूलर
दक्षिण पश्चिम- राहु- दूर्वा
दक्षिण- मंगल- खैर
दक्षिण पूर्व- चंद्र- पलाश
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नक्षत्रों में यह पेड़-पौधे हैं शामिल
नक्षत्र- नक्षत्र देवता- पेड़-पौधे
अश्वनी- अश्वनौ- कुजला
भरणी- यम- आंवला
कृतिका- अग्नि- उदुंबर या गूलर
रोहिणी- ब्रह्मा- जामुन
मृगशिरा- इंदु- खैर
आद्रा- रुद्र- कृष्ण अगरू, शीशम
पुनर्वसु- अदिति- बांस
पुष्य- गुरु- अश्वत्थ, पीपल
आश्लेषा- सर्प- नागकेशर
मघा- पितर- बरगद
पूर्वाफाल्गुनी- भग- ढाक
उत्तरा फाल्गुनी- आर्यमा- पाकड़
हस्त- सूर्य- चमेली
चित्रा- त्वष्टा- बेल
स्वाती- वायु- अर्जुन
विशाखा- इंद्राग्नि- नागकेशर, कटाई कैथ
अनुराधा- मित्र- मौलसरी
ज्येष्ठा- इंद्र- शीशम, चीड़, सेवेर
मूल- निऋति- शाल
पूर्वाषाढा- आप- बैंत, जलवेतर
उत्तराषाढा- विश्वेदेवा- कटहल
श्रवण- विष्णु- आक
धनिष्ठा- वसु- शमी, सफेद कीकर
शततारका- वरुण- कदंब
पूर्वाभाद्रपद- अजैकपाद- आम
उत्तराभाद्रपद- अहिर्बुध्नय- नीम
रेवती- पूषा- मधुक, महुआ
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आध्यात्मिक रूप से पेड़ों का ऐसे होता है प्रयोग
ज्योतिषविद् पं. देव शर्मा बताते हैं कि यह शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है। जब कि हम कभी पूजापाठ में ग्रहों की शांति या वातावरण को शुद्ध करते हैं तो इन ग्रहों व नक्षत्रों से संबंधित पेड़ों की पूजा कराई जाती है। हवन सामग्री में भी इनका प्रयोग होता है। इन पेड़ों का प्रयोग करके हम उन ग्रहों या नक्षत्रों को बलशाली नहीं बनाते बल्कि शरीर में भीतर मौजूद उन ग्रहों के तत्वों को ऊर्जा देते हैं। इसीलिए इनका पौराणिक कथाओं व विज्ञान में भी जिक्र दिखाई देता है।
धर्म ने किया है पेड़ों का बचाव : पर्यावरणविद्
पंजाब सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पर्यावरण विभाग के डीन और पर्यावरणविद् डा. वीके गर्ग बताते हैं कि पेड़ों के धर्म से इसलिए जोड़ा गया, ताकि लोग इनकी रक्षा करें। वैज्ञानिक रूप से हम मानते हैं कि ईश्वर ने हर पौधे को अलग-अलग महत्व के साथ भेजा है। सभी के काम अलग-अलग हैं। अब मंदिरों के पास पीपल या बरगद लगाए जाते थे इसका कारण था कि यह दोनों ही वृक्ष 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं।