Bhiwani News: सरसों फसल के लिए डीएपी की बजाय एसएसपी खाद का प्रयोग किया तो किसान को मिलेगी अच्छी पैदावार
विशेषज्ञ मान रहे हैं कि सरसों की बिजाई के लिए डीएपी से ज्यादा फायदेमंद एसएसपी है। इसलिए सरसों की बिजाई का समय है तो किसान डीएपी की बजाय एसएसपी को ज्यादा महत्व दें तो सरसों की पैदावार और ज्यादा बेहतर हो सकेगी।

जागरण टीम भिवानी : डीएपी को लेकर मारामारी बनी है वहीं विशेषज्ञ मान रहे हैं कि सरसों की बिजाई के लिए डीएपी से ज्यादा फायदेमंद एसएसपी है। इसलिए सरसों की बिजाई का समय है तो किसान डीएपी की बजाय एसएसपी को ज्यादा महत्व दें तो सरसों की पैदावार और ज्यादा बेहतर हो सकेगी। सरसों की अच्छी पैदावार के लिए बुवाई के समय तापमान 26 डिग्री सेल्सियस के करीब रहना जरूरी है। इस तापमान में सरसों के बीज का अंकुरण सही तरीके से होता है। अधिकांश किसान डीएपी खाद ज्यादा डालकर अच्छी पैदावार लेने का प्रयास करते हैं। यह सही नहीं है। सरसों में डीएपी की जरूरत होती ही नहीं है। सबसे जरूरी सिंगल सुपर फास्फेट होता है।
एसएसपी का प्रयोग करें और अच्छी पैदावार पाएं
कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि सरसों तिलहनी फसल है। इसके लिए सल्फर की जरूरत होती है। ऐसे में एसएसपी (सिंगल सुपर फास्फेट) के प्रयोग करने से मिलने वाले सल्फर से दाने में तेल की मात्रा व चमक बढ़ती है। तिलहनी फसलों का मूल्य तेल की मात्रा पर आधारित होता है। इससे किसानों को आर्थिक लाभ की संभावना अधिक होगी। सिंगल सुपर फास्फेट से मिलने वाले पोषक तत्वों की मात्रा सल्फर 16 किलोग्राम तथा फास्फोरस 24 किलोग्राम प्रति 3 बैग होती है। इसमें एक बैग यूरिया का प्रयोग करने से 20 किलोग्राम प्राप्त होती है। इस प्रकार यह मिश्रण डीएपी की अपेक्षा सस्ता एवं आसानी से मिल जाता है। इस मिश्रण के प्रयोग करने से किसान को भूमि सुधारक रसायनों का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा। मृदा की संरचना एवं भौतिक अवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसलिए किसानों को एसएसपी और यूरिया के मिश्रण का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। किसान खेती में वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल करें तो निश्चित ही पैदावार तो ज्यादा होगी ही, साथ ही फसल को कीट और बीमारियों से नुकसान कम होगा। इस तरह उन्हें फसल से ज्यादा फायदा होगा ।
सरसों की बुआई का समय
कृषि विभाग के वरिष्ठ कृषि अधिकारी चंद्रभान श्योराण ने बताया कि 25 अक्टूबर तक खेत में सरसों की बुआई करें। एक एकड़ खेत में एक किलोग्राम बीज का इस्तेमाल करें। बुआई के समय खेत में 100 किग्रा सिंगल सुपरफास्फेट, 35 किग्रा यूरिया और 25 किग्रा म्यूरेट आफ पोटाश का इस्तेमाल करें।
फसल की पहली सिंचाई 35-40 दिन के बाद करें। जरूरत होने पर दूसरी सिंचाई फली में दाना बनते समय करें। फसल पर फूल आने के समय सिंचाई नहीं करनी चाहिए। पौधों की छंटाई और पहली सिंचाई के बाद 35 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
डीएपी खाद की भी कमी नहीं है। हां सरसों के लिए एसएसपी ज्यादा अच्छी है। किसान धैर्य के साथ सरसों में डीएपी की बजाय एसएसपी का प्रयोग करें तो यह उनके लिए लाभदायक होगा। वह किसानों से यह भी कहना चाहेंगे कि वे डीएपी भी खरीद रहे है तो ज्यादा न खरीदें। सरसों की फसल की जरूरत के हिसाब से ही खरीदें। गेहूं की फसल के लिए बाद में खरीद सकते हैं। डीएपी की भी कमी नहीं रहने दी जाएगी।
डा.आत्माराम गोदारा, उप निदेशक
कृषि विभाग भिवानी।
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