अंग्रेजों ने छीना था हांसी के सिर से राजधानी का ताज, अब जिला बनाने की जिद्दोजहद
जॉर्ज थॉमस के दौर में हांसी शहर हरियाणा की राजधानी था, फेरबदल होने पर इतिहासकारों का तर्क है कि विद्रोह से पहले हांसी को जिला भी बनाया फिर अंग्रेजों ने हांसी से जिले की उपाधि छीनी
हांसी [मनप्रीत सिंह] देश में अंग्रेजों के आगमन से पहले जॉर्ज थॉमस के दौर में हांसी शहर हरियाणा की राजधानी था और उत्तरी भारत के दिल्ली परगना के अधीन प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में शुमार था, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत के उत्तरी भारत में पैर पसारने के साथ ही हांसी का इलाका विकास के मामले में पिछडऩा शुरू हो गया। 1857 के विद्रोह में इस क्षेत्र के लोगों ने अंग्रेजी हुकूमत से जमकर लोहा लिया था। कुछ इतिहासकारों का तर्क है कि इस विद्रोह से पहले हांसी से ही अंग्रेज यही से प्रशासनिक प्रक्रिया संभालते थे। लेकिन अंग्रेजी शासन से मुखालफत करने के कारण ही अंग्रेजों ने हांसी से जिले की उपाधि छीन ली।
लेकिन इतिहासकारों के दूसरे पक्ष का कहना है कि अंग्रेजों ने उत्तरी भारत पर कब्जा करने के बाद राजस्व के खर्चों को कम करने के लिए छोटे जिलों को खत्म करते हुए बड़े जिलों का निर्माण किया था। हांसी के सिर से जिले का ताज खत्म करने की कोई प्रमाणिक तारीख तो नहीं मिलती, लेकिन माना जाता है कि 1870-80 के मध्य अंग्रेजों ने हिसार को जिला बना दिया व हांसी फतेहाबाद, सिरसा आदि इलाकों पर हिसार में बैठकर राज करने लगे।
इतिहासकारों ने बताया कि आयरलैंड से आए जार्ज थामस ने हांसी को राजधानी बनाया था।
हरियाणा 1700 ई. में पंजाब से मुख्तलिफ नक्शे पर मौजूद था और उस दौर के कई नक्शे आज भी मौजूद है जिनमें हांसी को हरियाणा की राजधानी दिखाया गया है। जॉर्ज थॉमस ने हांसी को अपना प्रमुख केंद्र बनाया था और यहीं बैठकर पूरे इलाके पर शासन चलाया। अंग्रेजों ने 1857 के विद्रोह के बाद दिल्ली परगना के अधीन आने वाले हांसी से जिले का ताज छीन लिया व हिसार को जिला बना दिया। यही नहीं, अकबर के समय का एक नक्शा भी मौजूद है जिसमें हांसी का मुगल काल के एक प्रमुख केंद्र के रूप में जिक्र है। हांसी में एक टकसाल भी थी जहां सिक्कों को बनाया जाता था। सामरिक महत्व को देखते हुए हांसी में ही मुगलों व अंग्रेजों द्वारा सैनिक छावनी बनाई गई थी। लेकिन पिछले करीब दस सालों से हांसी को जिला बनाने की मांग फिर से आवाज उठाने लगी है व अब हांसी को पूर्ण राजस्व जिला बनाने की यह मांग पूरे इलाके के लोगों की बुलंद आवाज बन चुकी है।
शहरवासियों की जिला बनाने की मांग एकदम जायज है। हांसी शहर किसी जमाने में शोरे का सबसे बड़ा उत्पादक था और अब अगर हांसी जिला बनता है तो यह पूरे प्रदेश में सबसे अधिक उन्नति करने वाला जिला होगा। हांसी ङ्क्षसधु काल का प्रमुख केंद्र रहा है व उसके बाद से लगातार आबाद रहा है। हर शासन काल की निशानियां यहां मौजूद है।
-भूप सिंह राजपूत, इतिहासकार
हांसी में धागा मिलों की छोटी व बड़ी करीब 15 इकाईयां थी और हांसी में करीब 45 ऑयल मिलें भी थी जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिलता था। अब धागा मिलें पूरी तरह से खत्म हो चुकी हैं और ऑयल मिलें भी सिमट कर 8-10 हर गई हैं। हांसी को जिला बनाने की मांग अवश्य पूरी होनी चाहिए।
- जगदीश सैनी, इतिहासकार
स्थानीय नेता जिला बनाने के पक्ष में, बड़े नेता साधे हुए हैं चुप्पी
जिला बनाने की मांग सरकार के स्तर पर ही पूरी की जानी है। संघर्ष समिति द्वारा प्रदेश की सरकारों के पास कई बार जिला बनाने का मुद्दा उठाया जा चुका है। समिति के महासचिव कंवल सलूजा ने बताया कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा के समक्ष जिला बनाने की मांग उठाई गई थी। लेकिन उन्होंने हांसी को जिला बनाने से स्पष्ट इंकार कर दिया था। हुडडा का तर्क था कि छोटे-छोटे वो शहरों को जिला बनाए जाने के पक्ष में नहीं है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के स्थानीय नेता जिला बनाने की मांग का समर्थन करते हैं। यही हाल कमोबेश हर राजनीतिक पार्टी है। शहर की वर्तमान विधायक रेणुका बिश्नोई से भी लोग इस मामले में खफा है। पिछले चार सालों के दौरान विधायक रेनुका एक बार भी संघर्ष समिति के धरने प्रदर्शन में शामिल नहीं हुई है। भाजपा पार्टी की प्रदेश में सरकार है। हालांकि वर्तमान सीएम मनोहर लाल द्वारा समिति की आधी मांग पूरी करते हुए हांसी को पुलिस जिला बनाया गया है लेकिन पूर्ण राजस्व जिला बनाने की मांग पर भाजपा चुप है। वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु द्वारा भी पिछले दो सालों से इस मामले में कोरे आश्वासन दिए जा रहे हैं।
2016 में आधी झुकी सरकार और बना दिया पुलिस जिला
जिला बनाओ संघर्ष समिति द्वारा लगातार बड़े स्तर पर चलाए जा रहे आंदोलन से 2016 में सरकार पर काफी दबाव आ गया था। लोगों को उम्मीद थी कि अब हांसी को सरकार जिला घोषित कर शहरवासियों को तोहफा देगी लेकिन अपराध बढऩे से क्राइम कैपिटल के रूप में विख्यात हुए हांसी शहर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शहरवासियों को आधी खुशी देते हुए नवंबर 2016 में पुलिस जिला घोषित कर दिया। जिला बनाओ संघर्ष समिति ने साफ शब्दों में बोल दिया था कि जब तक पूर्ण राजस्व जिला घोषित नहीं किया जाता, तब तक वो आंदोलन को खत्म करने वाले नहीं है। तभी से लगातार वह हांसी को पूर्ण राजस्व जिला बनाने की मांग को लेकर संघर्षरत हैं।
सदियों पुराने इतिहास का गवाह है हांसी शहर
हांसी शहर में अनेक ऐतिहासिक स्मारक हैं जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना महत्व रखते हैं। शहर में इनमें सबसे बड़ा ऐतिसाहिक स्थल है पृथ्वीराज चौहान का किला है जो करीब 1 हजार साल से भी अधिक पुराना है। इसके अलावा तुगलक काल का बड़सी गेट, बाबा शेख फरीद की चार कुतुब दरगाह, 1857 की क्रांति की गवाह लाल सड़क, शहीदों की याद में बना शहीद स्मारक, आमटी झील, ऐतिहासिक समाधा मंदिर, कोस मीनार, मीर तिजारा के मकबरे, बाबा फरीद के बेटों के मकबरे आदि प्रमुख एतिहासिक स्थल हैं। पृथ्वीराज चौहान के किले पर एक नहीं अनेक ऐतिहासिक स्थल हैं जो संरक्षण के अभाव में दिनोंदिन बिखरते जा रहे हैं।
व्यापारियों के पलायन से पैदा हुई रोजगार की विकट स्थिति
हांसी में रोजगार व शिक्षा के बेहतर विकल्प उपलब्ध नहीं हैं। रोजगार की तलाश में युवाओं को दूसरे शहरों का रुख करना पड़ रहा है। इसके अलावा उच्च शिक्षा के मामले में भी शहर पिछड़ता जा रहा है। कोई भी बड़ा शैक्षणिक संस्थान शहर में नहीं है। पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों को हिसार जाना पड़ता है। इसके अलावा तकनीकी शिक्षा के मामले में भी यहां विकल्प शून्य हैं। व्यापारियों के पलायन करने से कोई नया उद्योग भी स्थापित नहीं हो पा रहा जिससे इलाके में रोजगार की विकट स्थिति पैदा हो गई है।