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    झज्जर की बहू ने बढ़ाया मान, बिना आक्सिजन सपोर्ट के एवरेस्ट पर चढ़ने वाली बनी पहली भारतीय

    By Naveen DalalEdited By:
    Updated: Fri, 27 May 2022 04:47 PM (IST)

    बछेंद्री पाल वो पहली भारतीय महिला है जिन्होनें दुनिया के सबसे उंचे पर्वत शिखर माउन्ट एवरेस्ट पर चढ़ाई की। अब उन्ही की शिष्या और झज्जर जिले की बहू ने एक नया मुकाम हासिल किया है। बिना ऑक्सिजन के 8748 मीटर तक चढ़ाई करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई है।

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    माउन्ट एवरेस्ट पर 8478.86 मीटर तक चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही अस्मिता।

    बहादुरगढ़, जागरण संवाददाता। झज्जर की बहू अस्मिता , बिना ऑक्सिजन के दुनिया के सबसे उंचे पर्वत शिखर , माउन्ट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला बन गई है अस्मिता बिना ऑक्सिजन के माउन्ट एवरेस्ट के शिखर पर तो नही लेकिन शिखर के सबसे नजदीक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला है। अस्मिता का सफर माउन्ट एवरेस्ट के शिखर से 100 मीटर पहले ही खत्म हो गया।

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    माउन्ट एवरेस्ट के शिखर से महज 100 मीटर रही दूर, अगली बार लक्ष्य को हर हाल में करेगी हासिल

    अस्मिता ने 8848 मीटर उंची माउन्ट एवरेस्ट की चढ़ाई 8748.86 मीटर तक पूरी की। लेकिन जब माउन्ट एवरेस्ट की चोटी 100 मीटर दूर रह गई तो अस्मिता का दिखना बंद हो गया और मजबूरी में उसे वापिस लौटना पड़ा। अस्मिता झज्जर जिले की बहू हैं। झज्जर के वरूण शर्मा के साथ साल 2021 में अस्मिता ने शादी की थी। अस्मिता का बहादुरगढ़ पहुंचने पर डॉ संजय हॉस्पिटल में जोरदार स्वागत भी किया गया। डॉ संजय हॉस्पिटल में पर्वातारोही अस्मिता की ननद डॉ तरूणा शर्मा महिला रोग विशेषज्ञ की सेवाएं भी दे रही है।

    बछेंद्री पाल वो पहली भारतीय महिला है जिन्होनें दुनिया के सबसे उंचे पर्वत शिखर माउन्ट एवरेस्ट पर चढ़ाई की। अब उन्ही की शिष्या और झज्जर जिले की बहू ने एक नया मुकाम हासिल किया है। झज्जर जिले की बहू अस्मिता बिना ऑक्सिजन सिलेंडर के 8748 मीटर तक चढ़ाई पूरी करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई है। बिना ऑक्सिजन के माउन्ट एवरेस्ट फतेह करने निकली अस्मिता का सफर माउन्ट एवरेस्ट के शिखर से महज 100 मीटर पहले खत्म हो गया।

    अस्मिता ने बताया कि जब माउन्ट एवरेस्ट का शिखर 100 मीटर दूर रह गया तो उन्हे दिखना बंद हो गया और मजबूरी में उन्हें वापिस लौटना पड़ा। बंगाल की एक और महिला भी बिना ऑक्सिजन के माउन्ट एवरेस्ट की चढ़ाई कर रही थी लेकिन वो भी 500 मीटर दूर रह गई थी। और अस्मिता सबसे आगे रही। अस्मिता ने कहा कि अगली बार वो बिना ऑक्सिजन के माउन्ट एवरेस्ट की टॉप पर देश का तिरंगा फहराकर ही लौटेंगी।

    पर्वतारोही अस्मिता, जमशेदपुर के टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन में इंस्ट्रकटर है। टीएसएएफ में काम के दौरान ही उन्हे झज्जर के वरूण शर्मा से प्यार हो गया और साल 2021 में दोनों ने शादी कर ली। वरूण शर्मा झज्जर स्वास्थ्य विभाग में सेवाए दे चुकी डॉ कुमुद के बेटे हैं और उनकी बहन डॉ तरूणा शर्मा बहादुरगढ़ के संजय हॉस्पिटल में महिला रोग विशेषज्ञ है।

    देश का नाम रोशन करने वाली पर्वतारोही अस्मिता का डॉ संजय हॉस्पिटल में जोरदार स्वागत किया गया। हॉस्पिटल की डायरेक्टर पूनम संजय सिंह ने फूलमाला और मिठाई खिलाकर अस्मिता का स्वागत किया। डॉ तरूणा और डॉ पूनम का बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ तो सब कहते हैं करते हैं लेकिन बहूओं को आगे बढ़ाने की मिसाल शर्मा परिवार ने कायम की है।

    पर्वतारोही अस्मिता के पिता शेरपा अंग दोरजी पहली भारतीय महिला पर्वतारोही बछेंद्रीपाल के शेरपा रहे हैं ।खून में ही पहाड़ों पर चढ़ने का जुनून और जज्बा लेकर पैदा हुई अस्मिता का बिना ऑक्सिजन सिलेन्डर के माउन्ट एवरेस्ट के शिखर तक पहुंचने का पहला प्रयास 100 मीटर दूर भले ही रह गया लेकिन 8748 मीटर तक बिना ऑक्सिजन सिलेन्डर के पहुंच जाना भी एक रिकॉर्ड है जो आज तक कोई भारतीय महिला नही कर पाई है।

    अस्मिता अब तक 7075 मीटर उंची माउंट सतोपंथ , माउन्ट धर्मसूड़ा, माउंट गंगोत्री, माउंट स्टोप कांगड़ी, कांगयांगत्से, जोजोंगो की चढ़ाई भी सफलतापूर्वक पूरी कर चुकी है। माउन्ट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए अस्मिता हर रोज कई किलोमीटर साईकलिंग करती थी और 20 किलो वजन लेकर चढ़ाई भी करती थी। 2019 में माउंट एवरेस्ट पर जाने का मौका भी उन्हे मिला था लेकिन कोरोना के कारण नही जा पाई। अस्मिता का कहना है कि अगले साल वो हर हाल में बिना ऑक्सिजन स्पोर्ट के माउन्ट एवरेस्ट के शिखर पर तिरंगा फहराकर ही लौटेंगी।

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