महम कांड में अंतिम बहस पर डेढ़ घंटे चली दलीलें, 25 को आएगा फैसला
इस मामले को लेकर इनेलो नेता समेत अन्य आरोपितों को कई बार कोर्ट की तरफ से नोटिस जारी किए गए लेकिन हर बार आरोपित पक्ष यह तर्क देता कि उन्हें नोटिस नहीं मिले। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर इनेलो नेता की मेल आइडी पर नोटिस भेजा गया था।
जागरण संवाददाता, रोहतक। सितंबर 2018 से सेशन कोर्ट में चल रहे महम कांड को लेकर शुक्रवार को बहस पूरी हो गई। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रितू वाइके बहल की कोर्ट में आरोपित और बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने करीब डेढ़ घंटे तक दलील दी। जिसके बाद कोर्ट ने फैसले के लिए 25 जनवरी की दी है।
कई बार किए गए नोटिस जारी, नहीं हुए पेश
आरोपित पक्ष की तरफ से अधिवक्ता विनोद अहलावत पैरवी कर रहे हैं। शुक्रवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रितू वाइके बहल की कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विनोद अहलावत ने दलील दी कि राजनीतिक वजह से 27 साल बाद मामले को तूल दिया गया। उधर, पीडि़त पक्ष के अधिवक्ता जितेंद्र हुड्डा ने भी तथ्यों के आधार पर अपनी दलील दी। करीब डेढ़ घंटे तक कोर्ट में दोनों पक्ष दलील देते रहें। बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसले के लिए 25 जनवरी की तारीख दी है। गौरतलब है कि इस मामले को लेकर इनेलो नेता समेत अन्य आरोपितों को कई बार कोर्ट की तरफ से नोटिस जारी किए गए, लेकिन हर बार आरोपित पक्ष यह तर्क देता कि उन्हें नोटिस नहीं मिले। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर इनेलो नेता की मेल आइडी पर नोटिस भेजा गया था।
यह था मामला
महम कांड 27 फरवरी 1990 को महम विधानसभा का उपचुनाव हुआ था। इसी दौरान बैंसी गांव में बवाल हो गया था, जिसमें खरक जाटान गांव निवासी रामफल के बड़े भाई हरि सिंह की मौत हो गई थी। इस मामले में वर्ष 2015 में महम कोर्ट में रिवीजन डाली गई। जिसमें हरि सिंह की मौत के लिए इनेलो नेता अभय चौटाला, पूर्व डीआईजी शमशेर सिंह, करनाल के पूर्व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरेश चंद्र, भिवानी के डीएसपी रहे सुखदेव राज राणा, दरियापुर निवासी भूपेंद्र उर्फ भूप्पी, दौलतपुर निवासी पप्पू और फतेहाबाद जिले के गिल्लाखेड़ा निवासी अजित सिंह को जिम्मेदार ठहराया गया था। जून 2018 में महम कोर्ट ने यह रिवीजन खारिज कर दी। इसके बाद अगस्त 2018 में रोहतक सेशन कोर्ट में रिवीजन दायर की गई। यह मामला तभी से कोर्ट में विचाराधीन है। हालांकि पूर्व डीआइजी शमशेर सिंह समेत दो लोगों की मौत हो चुकी है।
इसलिए कराना पड़ा था उपचुनाव
जिस समय महम कांड हुआ, तब अभय चौटाला के पिता चौधरी ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री थे और उनके दादा चौधरी देवीलाल उप प्रधानमंत्री के पद पर थे। वर्ष 1989 में केंद्र में जनता दल की सरकार बनने के बाद चौधरी देवीलाल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को हरियाणा की बागड़ौर देकर खुद उप प्रधानमंत्री का पद संभाल लिया था। उस समय चौधरी ओमप्रकाश चौटाला राज्य विधानसभा के सदस्य नहीं थे। मुख्यमंत्री बने रहने के लिए नियमानुसार उनका छह माह के अंदर विधानसभा चुनाव जीतना अनिवार्य था। चौधरी देवीलाल ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद महम विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद यहां पर उपचुनाव कराया गया था।