अमित शाह पहुंचेंगे हरियाणा, आखिर ऐसा क्या करेंगे जिस पर सीएम नायब ने बुला ली अधिकारियों की बैठक
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 3 अक्टूबर को हरियाणा में नए आपराधिक कानूनों की समीक्षा करेंगे। वे कुरुक्षेत्र में एक प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने तैयारियों की समीक्षा की है। नए कानूनों के तहत मुकदमों में कमी आई है और पीड़ितों को जल्द न्याय मिल रहा है। तकनीकी सुधारों और पारदर्शिता से अपराधों पर नियंत्रण में मदद मिल रही है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पिछले साल लागू तीन नए आपराधिक कानूनों भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) की समीक्षा करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तीन अक्टूबर को हरियाणा आएंगे। वह तीन नए आपराधिक कानूनों पर आधारित प्रदर्शनी का शुभारंभ भी करेंगे।
अमित शाह के दौरे को लेकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को सिविल सचिवालय में बैठक बुलाई है। इसमें अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री प्रदेश में तीनों नए कानूनों को पूरी तरह लागू करने को लेकर अब तक हुई तैयारियों पर चर्चा करेंगे। सभी विभागों ने नए कानूनों के अनुसार काम करना शुरू कर दिया है।
प्रदेश में तीनों नए कानूनों के तहत पिछले साल कुल एक लाख 36 हजार 269 मुकदमे दर्ज हुए थे, जो वर्ष 2023 की तुलना में 16 हजार 216 कम हैं। इस दौरान प्रदेश में आपराधिक घटनाओं में 14.62 प्रतिशत की कमी आई है। नए कानून में केस दर्ज करने, जांच रिपोर्ट पेश करने, कोर्ट में सुनवाई और फैसले की अवधि तय होने से पीड़ितों को पहले की अपेक्षा जल्द न्याय मिलने लगा है।
प्रदेश के सभी पुलिस थानों को क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम से जोड़ा जा चुका है और एफआइआर भी इसी के जरिये लिखी जा रही हैं। प्रदेश में नेशनल साइबर हेल्पलाइन 1930 का स्कोर प्रति डैशबोर्ड 100 प्रतिशत है। साल 2024 में प्रदेश में 1431 महिलाओं से दुष्कर्म, 112 से दुष्कर्म की कोशिश और 1431 महिलाओं से छेड़खानी की शिकायतें दर्ज हुई हैं।
अब दुष्कर्म या छेड़खानी की पीड़िता की मर्जी के अनुसार पुलिस खुद उसके पास जाकर बयान दर्ज करने लगी है। नए कानून में विदेश में बैठे गैंगस्टर या अपराधियों पर कोर्ट में पेशी के बगैर केस चलाने और सजा सुनाने का अधिकार है। पुलिस को वाट्सएप पर समन भेजने की सुविधा से सरकारी खर्च में कमी आई है।
नए आपराधिक कानून लागू होेन के बाद नागरिक किसी भी पुलिस थाने में जीरो एफआईआर दर्ज करा सकते हैं, चाहे उस थाने का अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो। जीरो एफआईआर को क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन के पास अपराध पंजीकरण के बाद 15 दिनों के भीतर भेजा जाना अनिवार्य होगा। पूरी सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की जाएगी।
गवाही के लिए कोर्ट नहीं जाना पड़ेगा। यौन अपराधों के पीड़ितों के बयान दर्ज करते समय वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। किसी भी अपराध में शामिल होने वाले जब्त किए गए वाहनों की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी।
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