हिसार सिविल अस्पताल में शवों की अदला-बदली के बाद अब चार बार करवाई जा रही शव की शिनाख्त
सिविल अस्पताल में शव के पोस्टमार्टम से पहले और बाद में चार बार शिनाख्त करवाई जा रही है साथ ही बिना टैग पढ़े शव नहीं दिया जाता। अब किसी शव को पोस्टमार्टम के लिए लाते है तो सबसे पहले स्वजनों से शिनाख्त करवाकर ही टैग लगाया जाता है।

जागरण संवाददाता, हिसार: हिसार जिले के नागरिक अस्पताल में पिछले दिनों शव बदलने का मामला सामने आने के बाद विभाग की ओर से अब शव देते समय पूरी एहतियात बरती जाने लगी है। अब अस्पताल में लाए गए किसी भी शव के पोस्टमार्टम से पहले और बाद में चार बार शिनाख्त करवाई जा रही है, साथ ही बिना टैग पढ़े शव नहीं दिया जाता। अब किसी शव को पोस्टमार्टम के लिए लाते है तो सबसे पहले स्वजनों से शिनाख्त करवाकर ही टैग लगाया जाता है। वहीं पोस्टमार्टम करने से पहले भी एक बार चिकित्सक वेरीफाई करते है कि वह जिस शव का पोस्टमार्टम करने जा रहे है। वह शव किसका है।
इस दौरान पुलिस की मौजूदगी में मृतक के परिवार वालों से शिनाख्त करवाई जाती है। जिसके बाद ही पोस्टमार्टम प्रक्रिया शुरु की जाती है। पोस्टमार्टम करने के बाद भी चिकित्सक और स्टाफ कर्मी पुलिस की निगरानी में बकायदा परिवार को अच्छी तरह से दो बार पूछकर तसल्ली करवाकर शव सौंप रहे है। इससे पहले पुलिस को भी टैग दिखाया जा रहा है, साथ ही चेहरे को अच्छी तरह से मृतक के पिता-बेटे या परिवार के अन्य सदस्यों से तसल्ली करवाकर ही दिए जा रहे है।
अब इतनी एहतियात बरती जाने लगी है कि कहीं दोबारा किसी मृतक के शव को किसी दूसरे परिवार को न सौंप दे। यह सब बदलाव जींद के उचाना के खेड़ी मसानिया के रहने वाले जगपाल के शव को चिकित्सको द्वारा राजस्थान के हनुमानगढ़ के गढ़ी छान के रहने वाले केसर सिंह के परिवार को सौंपने के मामले के बाद हुआ है। उस दौरान चिकित्सक व स्टाफ ने पोस्टमार्टम के बाद एक्सीडेंट में मरे जगपाल की शिनाख्त केसर सिंह के बेटे से करवाई थी, केसर सिंह के बेटे ने जगपाल के शव को अपने पिता केसर सिंह का शव बताया था, जिसके बाद पुलिस और चिकित्सकों ने जगपाल के शव को केसर सिंह के परिवार को सौंप दिया था।
यही नहीं केसर सिंह के बेटे ने जगपाल को ही अपना पिता बताकर मुखाग्नि भी दी थी। लेकिन जगपाल के परिवार को केसर सिंह का शव दिखाया तो उन्होंने शव लेने से इनकार करते हुए कहा था कि यह शव जगपाल का नहीं है। इसके बाद नागरिक अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ था। मामले में जांच के लिए पीएमओ डा. रत्नाभारती ने पांच सदस्यीय डाक्टरों की कमेटी गठित की थी।

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