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    यशपाल शर्मा बोले-बॉलीवुड की जगह मेरा फोकस हरियाणा, जल्‍द आएगी लख्‍मी चंद पर फिल्‍म

    By Manoj KumarEdited By:
    Updated: Fri, 07 Feb 2020 12:57 PM (IST)

    मशहूर अभिनेता यशपाल शर्मा ने कहा कि हरियाणा के मशहूर सांगी एवं रागिनी लेखक दादा लख्मी चंद का व्यक्तित्व व कृतित्व इतना व्यापक है कि उन पर फिल्म दो भागों में बनानी पड़ेगी।

    यशपाल शर्मा बोले-बॉलीवुड की जगह मेरा फोकस हरियाणा, जल्‍द आएगी लख्‍मी चंद पर फिल्‍म

    हिसार, जेएनएन। लगान, गंगाजल जैसी कितने ही बड़ी फिल्‍मों में काम कर चुके बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता यशपाल शर्मा ने कहा है कि अब उनका फोकस हरियाणा फिल्म इंडस्ट्री को बढ़ावा देने पर होगा। हरियाणा के मशहूर सांगी एवं रागिनी लेखक दादा लख्मी चंद का व्यक्तित्व व कृतित्व इतना व्यापक है कि उन पर फिल्म दो भागों में बनानी पड़ेगी। प्रथम भाग की शूटिंग हो चुकी है और संभवत जुलाई-अगस्त तक लोग सिनेमाघरों में इसे देख सकेंगे। वे अभिनय रंगमंच की ओर से शहर में आयोजित रंग आंगन दस दिवसीय थियेटर फेस्‍टीवल में शिरकत करने पहुंचे हैं।

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    उन्होंने दावा किया दादा लख्‍मी चंद फिल्म हरियाणा की अब तक की सभी फिल्मों से उत्तम रहेगी और चन्द्रावल से भी ज्यादा दर्शक इसे देखने पहुंचेंगे। पगड़ी फिल्म के बाद वह हरियाणा में 2016 से प्रयासरत हैं। दादा लख्मी चंद उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है, क्योंकि उनका जीवन उतार-चढ़ाव व रोचकता से भरपूर है। आजकल उनका बॉलीवुड में बंटी-बबली-2, पानवाला व मूसो फिल्मों में काम चल रहा है।

    पानवाला और मूसो में उनकी प्रमुख भूमिकाएं हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सभी फिल्में उनके दिल के करीब हैं, परंतु अब तक 56 (नाना पाटेकर) व मूसो के रोल में उन्हें संतुष्टि मिली है। उन्होंने फिल्मों के निर्देशन का कार्य शुरू किया है। दादा लख्मी चंद फिल्म को हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बनाया जाएगा ताकि दर्शक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे देख सकें।

    यशपाल शर्मा हरियाणा की फिल्म इन्डस्ट्री को प्रोत्साहन देने के लिए नीति निर्धारण समिति के भी सदस्य हैं और उन्होंने सरकार को अपने अनुभव के आधार पर अमूल्य सुझाव भी दिए हैं, ताकि हरियाणवी संस्कृति का प्रचार, प्रसार व संरक्षण हो सके। दादा लख्मी चंद हरियाणवी फिल्म राज्य में फिल्म उद्योग की दिशा और दशा निर्धारित करेगी। इसलिए दर्शकों को अधिकाधिक संख्या में इसे प्रोत्साहित करना चाहिए और सिनेमाघरों में जाकर उस सूर्यकवि की प्रतिभा व कला को जानना चाहिए।