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    महाभारतकालीन अग्रोहा धाम में आस्था संग इतिहास के दर्शन

    Updated: Fri, 28 Jun 2024 07:26 PM (IST)

    हिसार में अग्रोहा गांव को महाराजा अग्रसेन ने बसाया था। यहीं पर अग्रोहा धाम मौजूद हैं। खास बात है कि यह धाम तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। मध्य में मां लक्ष्मी विराजमान हैं। पश्चिम में मां सरस्वती तो पूर्व में महाराजा अग्रसेन सहित उनके वंशज की प्रतिमाएं हैं। यहीं पांच हजार वर्ष पुरानी हड़प्पाकालीन सभ्यता का साक्षी राखीगढ़ी गांव भी है।

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    हरियाणा: कुलदेवी महालक्ष्मी को समर्पित अग्रोहा धाम (जागरण फाइल फोटो)

    अनुराग शुक्ला, हिसार। दिल्ली से करीब दो सौ किलोमीटर दूर स्थित अग्रोहा गांव को महाराजा अग्रसेन ने बसाया। यही पर स्थित है अग्रोहा धाम। कुलदेवी महालक्ष्मी को समर्पित अग्रोहा धाम के आकर्षण से विश्वभर से श्रद्धालु खींचे चले आते हैं।

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    हरियाणा के हिसार में बसा महाभारतकालीन अग्रोहा धाम तीन हिस्से में बंटा है। मध्य में मां लक्ष्मी विराजमान है तो पश्चिम में मां सरस्वती और पूर्व में महाराजा अग्रसेन सहित उनके वंशज की प्रतिमाएं हैं।

    यहां पर 41 नदियों का पवित्र जल का मिश्रित सरोवर है। इसके पास में ही पांच हजार वर्ष पुरानी हड़प्पाकालीन सभ्यता का साक्षी राखीगढ़ी गांव भी है तो महाराज अग्रसेन का ऐतिहासिक टीला भी।

    महाभारत काल से जुड़ा है अग्रोहा गांव का इतिहास

    सिरसा जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर अग्रोहा गांव स्थित महाराजा अग्रसेन को समर्पित कुलदेवी महालक्ष्मी का अग्रोहा धाम ने विश्वभर में पहचान बनाई है।

    महाभारतकालीन अग्रोहा धाम में आस्था संग इतिहास के दर्शन भी होते हैं। अग्रोहा गांव का इतिहास महाभारत काल से है जिसे महाराजा अग्रसेन ने बसाया था। यही पर स्थित अग्रोहा धाम का निर्माण 1976 में शुरू हुआ जो आज भी जारी है।

    यहां पर हनुमान जी की विशालकाय प्रतिमा है। मान्यता है कि मंदिर में स्थित हनुमान जी के छोटे स्वरूप की मूर्ति जमीन से निकली है। यहां पर हर वर्ष शरद पूर्णिमा को विशाल मेला भी लगता है। उस दौरान धाम की अद्भुत छटा देखने के लिए विदेशों से भी तीर्थयात्री और पर्यटक आते हैं।

    यहां रामेश्वर धाम की भी छवि

    पिछले हिस्से में द्वादश ज्योतिर्लिंग वाला भव्य मंदिर है। इस मंदिर को रामेश्वर धाम से भी जाना जाता है। साथ ही कृष्ण लीला, गजमुक्तेश्वर, जमीन के नीचे मां वैष्णो देवी गुफा, तिरुपति बालाजी, भैरवनाथ, बाबा अमरनाथ की भी प्रतिमा है।

    यहां पर छिपा है 5100 वर्ष पुराना इतिहास

    धाम के पास में महाराजा अग्रसेन का ऐतिहासिक टीला। 11 मार्च 2024 को पुरातत्व विभाग ने सर्वे किया था। उन्होंने माना था कि 5100 वर्ष से भी पुराना इतिहास के साक्ष्य यहां पर मिल सकते हैं। वर्ष 1839, 1903 और 1980 में तीन बार खुदाई हुई है। एक बौद्ध स्तूप और एक हिंदू मंदिर का भी पता चला है।

    साइट से 4 इंडो ग्रीक, एक पंच-मार्क और अग्रोदका के 51 अन्य सिक्कों सहित सिक्कों का एक संग्रह मिला है। इस स्थल पर विभिन्न कालखंडों के चांदी और कांस्य के सिक्के भी पाए गए हैं। वे रोमन, कुषाण, यौधेय और गुप्त साम्राज्य से संबंधित हैं।

    पत्थर की मूर्तियों के अलावा, लोहे और तांबे के उपकरण और अर्ध-कीमती पत्थरों के मोती भी पाए गए हैं। इस ऐतिहासिक टीले को देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से पहुंचते हैं।

    यहां पर माता महालक्ष्मी का वरदान

    शास्त्रों के अनुसार महाराजा अग्रसेन का जन्म महाभारत से पहले हुआ था। उन्होंने महाभारत में अपने पिता के साथ पांडवों की ओर से युद्ध में हिस्सा लिया।

    अग्रोहा कलयुग में धर्म का केंद्र था। महाराजा अग्रसेन की राजधानी अग्रोहा थी जोकि स्मार्ट सिटी से कम नहीं थी। इसको दूसरा बैकुंठ धाम कहा जाता था।

    कहा जाता है माता महालक्ष्मी ने महाराज अग्रसेन को तीन बार दर्शन दिए थे। उन्होंने महाराज अग्रसेन ने अपने कुल के लिए वरदान मांगा था। यही वजह है कि अग्रोहा के ज्यादातर लोग संसाधन संपन्न हैं।

    12 हजार वर्ग फीट में फैला काजला धाम

    अग्रोहा धाम के पास ही है काजला धाम। गांव काजला का हनुमान मंदिर की धार्मिक तथा ऐतिहासिक विशिष्टताओं के चलते अलग पहचान है।

    मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाले प्रत्येक भक्त की मनोकामना पूरी होती है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के भोजन-प्रसाद के लिए मां अन्नपूर्णा भवन बना है जो करीब 12 हजार वर्ग फीट में फैला है।

    वहीं, इसके पास में तिरूपति बालाजी का मंदिर भी स्थापित किया गया है। इसके अलावा करीब 80 किमी दूर नारनौल में 5000 साल पुरानी हड़प्पा सभ्यता आज भी मौजूद है। करीब 150 किमी दूर कुरुक्षेत्र है जहां पर महाभारत का युद्ध हुआ था।

    ऐसे पहुंचे अग्रोहा धाम

    नई दिल्ली से अग्रोहा धाम रेलवे, बस या निजी वाहन से भी पहुंच सकते हैं। यहां के लिए स्थानीय परिवहन सेवाएं भी हैं। अग्रोहा धाम से लगभग 25 किलोमीटर की दूर हिसार रेलवे स्टेशन है।

    सड़क मार्ग से अग्रोहा धाम की अन्य राज्यों से कनेक्टिवटी है। अपने वाहन या किसी भी सार्वजनिक बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं।

    अग्रोहा धाम में रुकने भी व्यवस्था

    अग्रोहा धाम परिसर में तीर्थीयात्रियों और पर्यटकों के लिए रुकने के लिए भी व्यवस्था है जो किसी प्रतिष्ठित होटल से कम नहीं है। दो सौ रुपये से लेकर एक हजार में आवास के विकल्प मौजूद हैं। साथ ही यहां पर भंडारा भी चलता है।

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