स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार एप पर 60 प्रतिशत स्कूलों ने नहीं करवाया पंजीकरण
जिले में राजकीय प्राथमिक स्कूलों में सफाई व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि स्कूलों में सफाई कर्मी की नियुक्ति नहीं है। ऐसे में स्कूलों का सफाई व्यवस्था में पुरस्कार जीतना तो दूर सफाई रखना भी मुश्किल है।

जागरण संवाददाता, हिसार : जिले में राजकीय प्राथमिक स्कूलों में सफाई व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि स्कूलों में सफाई कर्मी की नियुक्ति नहीं है। ऐसे में स्कूलों का सफाई व्यवस्था में पुरस्कार जीतना तो दूर सफाई रखना भी मुश्किल है। हर स्कूल को साल में स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार एप पर पंजीकरण करना पड़ता है, लेकिन अभी तक 60 प्रतिशत स्कूलों ने पंजीकरण नहीं करवाया है। इसके लिए स्कूल को पुरस्कार भी मिलता है। शिक्षा विभाग स्कूलों को एप पर पंजीकरण कराने के लिए दो माह से बार-बार पंजीकरण भेज रहा है। इस पर शिक्षक संघ का कहना है कि 80 प्रतिशत प्राथमिक स्कूलों में सफाई कर्मी तक नियुक्त नहीं है। अब सफाई का जिम्मा भी शिक्षक और बच्चों पर है।
राष्ट्रीय स्तर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के (एसवीपी) स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार एप बनाया गया है। इस पर स्कूल मुखिया को साल में स्कूल का भवन, कमरे, मैदान से लेकर किचन तक की आनलाइन फोटो अपलोड करनी होती है। उसी आधार पर स्कूल को सर्टिफिकेट जारी होता है। अब स्कूल मुखिया के सामने मुश्किल है कि स्कूल परिसर की फोटो कैसे अपलोड करें, क्योंकि सफाई व्यवस्था का हाल खराब है। असल में प्राथमिक स्कूलों में स्वीपर की पोस्ट ही नहीं है। ऐसा ही हाल कई राजकीय प्राथमिक माडल संस्कृति स्कूलों का है। जिले के 9 खंडों में कुल 507 प्राथमिक स्कूलों में से 198 में ही पार्ट टाइम स्वीपर हैं। यह भी सिर्फ डेढ़ से 2 घंटे के लिए स्कूल में आते हैं। उनको 9720 रुपये वेतन मिलता है।
हकीकत कुछ और
अभिभावकों का कहना है कि कई बार शिक्षक स्कूल में बच्चों से भी सफाई करवाते हैं। ऐसे में बच्चों को पढ़ाना मुश्किल होगा। भले ही शिक्षा विभाग विभाग स्वच्छता के दावे कर रहा है। स्कूलों में हकीकत कुछ और है।
सफाई कर्मी होना जरूरी
शिक्षक संघ का कहना है कि स्कूलों में सफाई कर्मी का होना जरूरी है। कोरोना काल में शिक्षकों ने खुद ही सफाई की थी, लेकिन अब नया शैक्षणिक सत्र भी शुरू हो गया है। शिक्षक अभिभावकों को दाखिले के लिए जागरूक करने गांव में जाते हैं तो स्कूल में निरंतरता बनाए रखना भी जरूरी है। बच्चे भी सफाई करने के नाम से दूर भागने लगते हैं। खंड का नाम - प्राथमिक स्कूल - पार्ट टाइम स्वीपर
आदमपुर - 52 - 16
अग्रोहा - 36 - 9
बरवाला - 59- 15
हांसी - 79 - 52
बास ( हांसी -दो) - 41 - 15
हिसार -एक- 91 - 36
हिसार -दो - 74 - 21
नारनौंद - 40 - 18
उकलाना - 35 - 16 वर्जन
हर प्राथमिक स्कूल में स्थाई स्वीपर का पद स्वीकृत करना चाहिए। सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है। कुछ स्कूलों में पार्ट टाइम सफाई कर्मी लगे हैं, जो पूरा ध्यान नहीं दे पाते। शिक्षकों के लिए बड़ी मुश्किल है कि सफाई रखना भी जरूरी है। वरना बच्चे दाखिला लेने से भी कतराते हैं। शिक्षा विभाग भी बार-बार ऐप पर पंजीकरण कराने के लिए दबाव बना रहा है। यह गलत है।
सुनील बास, महासचिव, राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ हरियाणा।
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