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    देसी घी में सुगंध के लिए डालते थे इत्र, लैब ने बताया सेहत के लिए हानिकारक

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 02 Jul 2017 01:00 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, हिसार : तीन माह पहले सीएम फ्लाइंग की टीम ने सेक्टर 27-28 और मिर्जापुर रोड स्थित फैक

    देसी घी में सुगंध के लिए डालते थे इत्र, लैब ने बताया सेहत के लिए हानिकारक

    जागरण संवाददाता, हिसार : तीन माह पहले सीएम फ्लाइंग की टीम ने सेक्टर 27-28 और मिर्जापुर रोड स्थित फैक्ट्रियों पर छापा मारकर मिलावट के अंदेशे पर घी के सैंपल लैब में भेजे थे। उनकी जांच रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। अगर आप देसी घी के असली या नकली होने की पहचान उसकी सुगंध से करते हैं तो सावधान हो जाएं। कहीं ऐसा न हो कि कहीं सिर्फ खुशबू के आधार पर खरीदे गए घी का स्वाद आपका स्वास्थ्य ही बिगाड़ दे। रिपोर्ट के मुताबिक फैक्ट्री संचालक घी में सुगंध के लिए एसेंस यानी इत्र का प्रयोग करते हैं, दरअसल वह अनसेफ है। निम्न गुणवत्ता और सस्ता होने की वजह से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालता है। उक्त क्षेत्रों की तीन घी की फैक्ट्रियों से सैंपल भरे गए थे, जिनमें से किसी एक की भी लैब रिपोर्ट संतोषजनक नहीं आई है। इस स्थिति में स्वास्थ्य विभाग के अधीन खाद्य सुरक्षा विभाग फैक्ट्री संचालकों के विरुद्ध अदालत में केस दायर करेगा। तब एक साल की जेल व पांच लाख रुपये जुर्माना भरने की सजा सुनाई जा सकती है। इनके अलावा गांव लाडवी में बंटे वाली बोतल में जीरा लैमन भरने वाली फैक्ट्री पर छापा मारा था। इसके सैंपल की जांच हुई, जिसमें उत्पाद मिस ब्रांड पाया गया है। वहीं बरवाला में अलग-अलग जगहों से पनीर के दो सैंपल भरे गए थे। उनकी जांच करने पर पाया गया कि खाद्य सामग्री सब स्टैंडर्ड यानी मानकों पर खरी नहीं उतरी है। इसमें फैट की मात्रा कम है। इनके खिलाफ भी विभाग कोर्ट में केस दायर करेगा।

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    यह था मामला

    मुख्यमंत्री के विशेष आदेश पर मार्च माह में सीएम फ्लाइंग टीम ने पुलिस, गुप्तचर विभाग और स्वास्थ्य विभाग की मदद से गैरकानूनी काम करने वालों के खिलाफ अभियान चलाया था। तब उक्त क्षेत्रों की फैक्ट्रियों और प्रतिष्ठानों पर छापामारा था। वहां से खाद्य सामग्री के सैंपल भरकर जांच के लिए भेजे थे, जिसकी रिपोर्ट हाल ही में जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी को प्राप्त हुई है। इसमें अनसेफ, सब स्टैंडर्ड और मिस ब्रांड का जिक्र किया है, जोकि उत्पाद की निम्न गुणवत्ता को दर्शाता है। इस रिपोर्ट के प्राप्त होने पर विभाग ने संबंधित फैक्ट्री व प्रतिष्ठान संचालकों को किसी भी दुविधा को दूर करने के लिए अपने स्तर पर सैंपल की जांच दूसरे मान्यता प्राप्त लैब में करवाने का पत्र भेजा था। एक माह का समय दिया गया था मगर किसी का जवाब नहीं आया।

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    इस बार इन उत्पादों के लिए गए है सैंपल

    सीएम फ्लाइंग टीम ने तीन माह बाद फिर से मिलावटी उत्पाद तैयार करने वाली फैक्ट्रियों व प्लांट पर छापामार कार्रवाई करते हुए सैंपल लिए हैं। तीन दिन तक अभियान चला था। इस दौरान दूध, घी, मावा का एक-एक सैंपल, तीन अलग फ्लेवर सॉस के तीन सैंपल और पनीर के दो सैंपल लिए हैं। इन सैंपल को एकत्र करने वाले स्वास्थ्य विभाग की टीम में डिप्टी सीएमओ डॉ. जितेन्द्र शर्मा, असिस्टेंट केमिकल एग्जामिनर नसीब ¨सह, सह-कर्मी कृष्ण लाल और महावीर ¨सह शामिल थे।

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    यह भी जानिए..कार्रवाई, सजा व जुर्माना

    - अनसेफ : किसी उत्पाद को अनसेफ करार देने पर इसमें एक साल की सजा व पांच लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है।

    - सब स्टैंडर्ड: इसमें पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

    - मिस ब्रांड : दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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    स्वास्थ्य के लिए होता है हानिकारक

    विशेषज्ञों की मानें तो नकली घी बनाने में रंग, एसेंस, पॉमोलीन (पॉम आइल) और वनस्पति घी का प्रयोग किया जाता है। दिखावे के लिए थोड़ा सा असली देसी घी डाला जाता है। खाद्य पदार्थों में दुकानदार अपने-अपने ढंग से मिलावट करते हैं। मिलावटी चीजों के इस्तेमाल से किडनी, लीवर और दिल पर असर पड़ता है। इनसे कैंसर तक हो सकता है। पेट और स्किन के रोग तो तत्काल दिखाई देने लगते हैं, लेकिन बाकी गंभीर बीमारियां धीरे-धीरे घेरती हैं।

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    यूं बनता है नकली घी

    नकली देसी घी बनाने के लिए डालडा घी में पाम तेल डाला जाता है ताकि घी के जमने पर पिघलने की प्रक्रिया असली देसी घी जैसी ही बनी रहे। देसी घी की खुशबू के लिए इसमें 'प्रोक्लीन ग्लाइकोन' नामक केमिकल डाला जाता है, जोकि बहुत सस्ता होता है। इसके बाद तैयार होता है नकली देसी घी। इसमें मिलावट आम व्यक्ति नहीं पकड़ सकता है, क्योंकि यह देखने पर बिल्कुल देसी घी लगता है, जबकि खुशबू भी असली घी से अच्छी आती है।

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    इतनी आती है लागत

    डालडा घी की कीमत 60 रुपये किलो और पाम तेल की कीमत 70 रुपये किलो है, जबकि खुशबू वाले केमिकल की कीमत नाममात्र ही होती है। इस तरह एक किलो नकली घी करीब 65 रुपये में तैयार होता है। इसके बाद फैक्ट्री मालिक से लेकर दुकानदार, अपनी निर्धारित कीमत अनुसार घी बेचते हैं।

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    घी के सैंपल अनसेफ, लैमन का सैंपल मिस ब्रांड और पनीर का सैंपल सब स्टैंडर्ड पाया गया है। इनके विरुद्ध अदालत में केस दायर करेंगे। वहीं सजा व जुर्माने का फैसला होगा।

    - प्रेम कुमार, खाद्य सुरक्षा अधिकारी।

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