जुबान पर काबू रखना चाहिए: लावण्य यशा
संवाद सहयोगी, उकलाना: जुबान पर काबू पाना इसान के लिए सबसे कठिन होता है और जो इसान अपनी जुबान पर काबू
संवाद सहयोगी, उकलाना: जुबान पर काबू पाना इसान के लिए सबसे कठिन होता है और जो इसान अपनी जुबान पर काबू पा लेता है वह एक तरह से पारस का हो जाता है। लेकिन यह आसान नहीं होता है। यह बात स्थानीय तेरापंथ भवन में प्रवचन करते हुए जैन साध्वी डा. लावण्य यशा ने कही। उन्होंने कहा कि एक गरीब व्यक्ति तो अपनी जुबान पर काफी हद तक काबू पा सकता है, अगर वह पूरे संकल्प से ऐसा करना चाहे। गरीब व्यक्ति की जुबान नम्र होती है, वह दूसरों को सम्मान देता है और दूसरों से विनम्रता का व्यवहार करता है। गरीबी उसे हमेशा आभास कराती रहती है कि अगर कहीं भी उसकी जुबान फिसल गई तो उसे कठिनाई पैदा हो जाएगी। जिस कारण वह हमेशा प्रयास करता है कि संभलकर बोला जाए ताकि लोग उससे रूठे नहीं। जब एक व्यक्ति आर्थिक रूप से समर्थ हो जाता है और उसके पास धन-दौलत की कमी नहीं रहती है तो इसान अपनी जुबान पर लगाम लगाने में कमजोर पड़ता जाता है। उसे धन पर गर्व होता है, जिस कारण वह अहकारी बनता जाता है। दूसरों को अपने से नीचा समझने लगता है। जिस जुबान से पहले वह संभलकर बोलता था, धीरे-धीरे वही जुबान उसके काबू से बाहर होने लगती है। वह संभलकर बोलना छोड़ देता है। जुबान पर काबू न रख पाने के कारण उसे धीरे-धीरे लोग नापंसद करने लगते हैं और वह समाज से एक तरह से कटने लगता है। इसलिए जब भी इसान समर्थ हो तो उसे अपनी जुबान पर काबू रखना चहिए। माना की जुबान पर काबू पाना बेहद कठिन होता है लेकिन असंभव नहीं होता। जो इसान अपनी जुबान पर काबू रखता है लोग उसे चाहने लगते है और वह सभी का प्यारा होता है। लोग उसकी बातें सुनना पसंद करते है। जुबान को काबू पाकर इसान अपने जीवन को सफल बना सकता है। इसलिए इसान को हमेशा संभलकर व विचार कर जुबान खोलनी चाहिए ताकि बात कहने के बाद उस पर पछताना न पड़े। इस मौके पर साध्वी नैतिक प्रभा, सूरजप्रभा, सुशील, आनंद कुमार सहित अनेक श्रद्धालुगण मौजूद थे।
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