'1857 का संग्राम, हरियाणा के वीरों के नाम' का मंचन कर जीता दिल
सेक्टर-29 स्थित हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) के मैदान में लगे सरस मेले में सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम में 1

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: सेक्टर-29 स्थित हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) के मैदान में लगे सरस मेले में सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम में '1857 का संग्राम, हरियाणा के वीरों के नाम' नाटक का मंचन कर लोगों का दिल जीत लिया। चंडीगढ़ से आए कलाकारों की शानदार प्रस्तुति की हर किसी ने सराहना की। लोग हरियाणा के वीरों के पराक्रम को नाटक के माध्यम से देख भाव-विभोर हो गए। कलाकारों की जीवंत प्रस्तुतियों ने पूरे समय दर्शकों को बांधे रखा।
देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में विशेष योगदान देने वाले सदरूदीन मेवाती पर एक गीत प्रस्तुत किया गया। 'मैं सदरुदीन किसान का बेटा़ माहिर सूं फसल ऊगावण में, देश की खातिर जंग लड़ी थी 1857 में' को सभी ने खूब पसंद किया। सरस मेले की नोडल अधिकारी तथा गुरुग्राम जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनु शयोकंद ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की चीफ आपरेटिग आफिसर रिचा कौशल ने इसकी अध्यक्षता की।
सूचना, जनसंपर्क तथा भाषा विभाग हरियाणा की ओर से आयोजित इस नाटक में कलाकारों ने अपनी कला प्रतिभा के माध्यम से बताया कि अंग्रेजी हुकूमत ने किस प्रकार का जुल्म किया था। इस प्रकार का जुल्म न केवल हरियाणा बल्कि पूरे भारत में यही ²श्य देखने को मिल रहा था। देश की आजादी के लिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानी दी। हरियाणा में 1857 के संग्राम की शुरुआत अंबाला से 10 मई को हुई। हरियाणा के वीरों ने अंग्रेजी सेना के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया।
नाटक में दिखाया कि किस प्रकार स्वतंत्रता सेनानी राव तुला राम ने संघर्ष किया। नाटक के माध्यम से दिखाया गया कि अंबाला की छावनी नंबर नौ और छावनी नंबर 60 ने अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले विरोध किया और लड़ाई शुरू की। कलाकारों ने बताया कि विवशता के कारण अंग्रेजी सेना में शामिल सैनिक अंग्रेज सेना के खिलाफ हो गए और अंग्रेज सेनापति की गोली मार दी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।