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    यूक्रेन के लोग नहीं चाहते थे कि विदेशी लौटें अपने वतन

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 04 Mar 2022 07:18 PM (IST)

    यूक्रेनियाई विदेशी नागरिकों को रूस पर दबाव बनाने के लिए सुरक्षा के हथियार के रूप में इस्तेमाल करना चाहते थे। वे चाहते थे कि किसी भी देश के नागरिक यूक्रेन से ना जाएं।

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    यूक्रेन के लोग नहीं चाहते थे कि विदेशी लौटें अपने वतन

    महावीर यादव, बादशाहपुर

    यूक्रेन के लोग विदेशी नागरिकों को रूस पर दबाव बनाने के लिए ढाल के रूप में इस्तेमाल करना चाहते थे। वे चाहते थे कि किसी भी देश के नागरिक यूक्रेन से ना जाएं। युद्ध होने की स्थिति में विदेशी नागरिकों के सहारे उन देशों के राष्ट्राध्यक्षों के माध्यम से रूस पर युद्ध रोकने का दबाव बने। इसके साथ ही भारतीय दूतावास ने यूक्रेन से भारतीय नागरिकों के निकलने के लिए एडवाइजरी भी देरी से जारी की। लगातार युद्ध की परिस्थिति बनने के बाद भी इन्हीं कारणों से यूक्रेन में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्र समय से अपने वतन नहीं लौट पाए। यूक्रेन में क्लास मिस करने पर भी बड़े जुर्माने का प्रविधान हैं। किसी भी विश्वविद्यालय में सौ प्रतिशत हाजिरी अनिवार्य है। सौ प्रतिशत हाजिरी की अनिवार्यता के कारण नहीं छोड़ पाए यूक्रेन

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    चकरपुर में रहने वाले करण चौहान लगातार युद्ध की परिस्थितियां बनने से पहले ही यूक्रेन छोड़ अपने वतन लौटना चाहते थे। यूक्रेन के लोग नहीं चाहते थे कि उनके यहां पढ़ाई के लिए आए हुए विदेशी छात्र अपने अपने देश लौट जाएं। यूक्रेन के लोग विदेशी छात्रों को रूस के खिलाफ अन्य देशों पर दबाव बनाने के लिए सशक्त हथियार के रूप में इस्तेमाल करना चाहता था।

    करण चौहान बताते हैं कि यूक्रेन भारतीय नागरिकों को तो वहां से किसी भी सूरत में नहीं आने देना चाहते थे। युद्ध होने की स्थिति में भारतीय नागरिक अगर वहां फंसे रहते हैं तो यूक्रेन भारतीय नागरिकों की सुरक्षा का हवाला देकर भारत सरकार से रूस पर दबाव बनाने की कोशिश करता।

    करण बताते हैं कि भारतीय दूतावास ने अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने के लिए 22 फरवरी को एडवाइजरी जारी की। तब तक काफी देर हो चुकी थी। एडवाइजरी जारी होते ही उन्होंने 24 फरवरी के लिए फ्लाइट बुक करा ली। जब वे फ्लाइट पकड़ने के लिए कीव पहुंचे तो फ्लाइट रद हो गई। वे कीव में ही फंस गए। कीव में लगातार ब्लास्ट हो रहे थे। दो दिन बाद वहां से लवीव के लिए रवाना हुए। उसके बाद स्लोवानिया पहुंचे। कीव में जिस तरह के हालात थे। उन सब को देख कर तो अपने वतन लौटने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। केंद्र सरकार के बेहतर प्रयासों से वे सकुशल अपने परिवार के पास आ गए।

    270 किलोमीटर का 3.5 लाख किराया देकर पहुंचे रोमानिया

    ताज नगर के नितेश यादव भी भारतीय दूतावास की तरफ से देरी से एडवाइजरी जारी होने को जल्द वापस ना आना मुख्य कारण मानते हैं। नितेश का कहना है कि यूक्रेन के विश्वविद्यालयों के नियम क्लास मिस करने के मामले में बेहद सख्त हैं। बीमार होने की स्थिति में भी वहां क्लास नहीं छोड़ सकते। क्लास छोड़ने पर विश्वविद्यालय भारी जुर्माना तो वसूलता है, उसके बाद भी वह क्लास 10 से 15 दिन के दौरान अटेंड करनी पड़ती है।

    युद्ध होने पर वे जल्द से जल्द अपने देश लौटना चाहते थे। यूक्रेन से सभी फ्लाइटें रद हो गई थीं। दूसरे देश में पहुंचने के लिए ट्रांसपोर्ट की सबसे बड़ी दिक्कत रही। वे विनीशिया में थे। 24 फरवरी से ही वहां हाई अलर्ट था। उन्हें रोमानिया पहुंचने के लिए सिर्फ 270 किलोमीटर का सफर 3.50 लाख रुपये में तय करने के लिए बस किराए पर ली। एक छात्र को करीब 6500 रुपये वहन करना पड़ा। विश्वविद्यालय तथा वहां के स्थानीय निवासी परिस्थितियों को लगातार सामान्य बताते रहे। यूक्रेन के लोग नहीं चाहते थे कि कोई भी भारतीय छात्र अपने देश चला जाए। देरी से एडवाइजरी जारी होने के कारण समय से नहीं लौट पाईं सिद्धि

    सेक्टर-56 के रेल विहार की रहने वाली सिद्धि गाड़ीगांवकर ने यूक्रेन से लौट अपने परिवार के साथ राहत की सांस ली। यूक्रेन में भूख, भय और चिता के साए में 10 दिन गुजारने के बाद रोमानिया पहुंचने पर थोड़ा सुकून मिला। भारत सरकार की तरफ से रोमानिया के शेल्टर होम में बेहतरीन सुविधा थी। केंद्र सरकार ने बहुत अच्छा काम किया।

    सिद्धि बताती है कि वे लगातार बन रही युद्ध की स्थिति के मद्देनजर पहले ही अपने देश आना चाहती थी। भारतीय दूतावास ने उनको किसी भी तरह की पहले कोई एडवाइजरी जारी नहीं की। 22 फरवरी को यूक्रेन छोड़ने की एडवाइजरी जारी होने के तुरंत बाद टिकट बुक करा लिया। फ्लाइट रद हो गई। उसका किराया भी अभी तक रिफंड नहीं हो पाया है। रिफंड को लेकर भी सिद्धि असमंजस में है।

    सिद्धि के पिता सुहास गाड़ीगावकर ने बताया कि उनको लगातार बेटी की चिता सता रही थी। शुक्रवार सुबह वे पांच बजे ही बेटी को लेने के लिए हिडन एयरपोर्ट पहुंच गए। छह बजे फ्लाइट आने के बाद भी उनको वहां से निकलने में छह घंटे लग गए। रेल विहार आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष डीडी शर्मा का कहना है कि उनकी कालोनी की बेटी यूक्रेन में फंसी थी। सभी को चिता थी। अब बेटी सकुशल वापस अपने घर आ गई है।