वेटलिफ्टिग में नहीं दिखती हरियाणा के दूध-दही की ताकत
अखाड़े और मुक्केबाजी के रिग में हरियाणा के खिलाड़ियों का दबदबा भले ही दुनिया भर में दिखता हो मगर वेटलिफ्टिग के मुकाबलों में हरियाणा का कोई प्रभाव नहीं है।

अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम :
अखाड़े और मुक्केबाजी के रिग में हरियाणा के खिलाड़ियों का दबदबा भले ही दुनिया भर में दिखता हो, मगर वेटलिफ्टिग के मुकाबलों में हरियाणा का कोई प्रभाव नहीं है। लोगों के मुंह से अकसर यह सुनने को मिलता है कि दूध-दही का खाना हरियाणा के खिलाड़ियों को कुश्ती व मुक्केबाजी के खेल में आगे रखता है। सवाल यह है कि यही दूध-दही खाने वाले वेटलिफ्टिग में पीछे क्यों रह जाते हैं। जिस प्रदेश के खिलाड़ी कुश्ती, मुक्केबाजी, कबड्डी, एथलेटिक्स व हाकी जैसे खेलों में देश का नाम रोशन कर रहे हैं, उस राज्य के खिलाड़ी वेटलिफ्टिग में पिछड़ रहे हैं। राष्ट्रमंडल खेलों में हरियाणा के वेटलिफ्टरों का देश के पदकों में कोई खास योगदान नहीं है। बर्मिघम राष्ट्रमंडल खेलों में तीन स्वर्ण पदक सहित भारत के दस वेटलिफ्टरों ने पदक जीते हैं और इन पदकों में हरियाणा का कोई योगदान नहीं है। जिस प्रदेश के युवाओं की पहचान ताकतवर खेलों को खेलने के लिए है, उसके वेटलिफ्टर देश को पदक दिलाने में कोई योगदान नहीं दे पा रहे। ऐसा नहीं है कि हरियाणा के खिलाड़ी वेटलिफ्टिग जैसे खेल को पसंद नहीं करते हैं। पसंद करते हैं, लेकिन इसमें सुविधाओं को अभाव है। बेहतर प्रशिक्षक सेंटर नहीं होना :
हरियाणा के युवा वेटलिफ्टिग में देश का नाम रोशन नहीं कर पाने का एक मुख्य कारण प्रशिक्षण सुविधाएं नहीं होना भी है। प्रदेश के जिलों में कहने के लिए प्रशिक्षण सेंटर हैं, लेकिन वह शुरुआत करने के लिए सही है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक के लिए ओलिपिक स्तर की खेल सुविधा होना चाहिए। नाम नहीं लिखने की शर्त पर हरियाणा के सीनियर वेटलिफ्टरों का कहना है कि प्रदेश के एक भी जिले में वेटलिफ्टिग प्रशिक्षण सेंटर नहीं हैं। प्रशिक्षण सेंटरों पर न बेहतर प्रशिक्षक हैं और न ही सुविधाएं हैं।
वेटलिफ्टर दीपक लाठर :
2018 राष्ट्रमंडल खेलो में हरियाणा के दीपक लाठर ने कांस्य पदक हासिल किया था। दीपक भारतीय आर्मी के जवाब हैं और शायद आर्मी में मिली सुविधा के कारण पदक जीत पाए हैं। 1934 राष्ट्रमंडल खेलों से भारत की भागेदारी :
1930 में राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन शुरू हुआ था और 1934 के खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का दल शामिल हुआ था। हरियाणा वेटलिफ्टिग एसोसिएशन के महासचिव वरुण ठाकरान का कहना है कि ऐसा कोई खिलाड़ी नहीं है जिसने 2018 के अलावा कभी राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीता हो।
बर्मिघम में पदक विजेता वेटलिफ्टर :
55 किग्रा - संकेत महादेव - रजत - महाराष्ट्र
61 किग्रा - गुरुराज पुजारी - कांस्य - कर्नाटक
67 किग्रा - जेरेमी लालरिनुंगा - स्वर्ण - मिजोरम
73 किग्रा - अचिता शिउली - स्वर्ण - असम
96 किग्रा - विकास ठाकुर - रजत - पंजाब
109 किग्रा - लवप्रीत सिंह - कांस्य - पंजाब
प्लस 109 किग्रा- गुरदीप सिंह - कांस्य - पंजाब
महिलाओं के वर्ग ::
49 किग्रा - मीराबाई चानू - स्वर्ण - मणिपुर
55 किग्रा - बिदियारानी देवी - रजत - मणिपुर
71 किग्रा - हरजिद्र कौर - कांस्य - पंजाब
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