रासलीला में श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग का मंचन
अरावली की वादियों में स्थित केशव धाम आश्रम में चल रही रासलीला में श्री कृष्ण रुकमणी विवाह के प्रसंग का भव्य मंचन किया गया।
संवाद सहयोगी, बादशाहपुर: अरावली की वादियों में स्थित केशव धाम आश्रम में चल रही रासलीला में श्री कृष्ण रुकमणी विवाह के प्रसंग का भव्य मंचन किया गया। रासलीला में रुक्मणी व उसके भाई रुक्मण के पृथ्वी पर मनुष्य रूप में आने की महिमा का भी विस्तार से मंचन किया गया। रासलीला में कोविड-19 के नियमों का व शारीरिक दूरी का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
केशव धाम में देवोत्थानी एकादशी से पहले हर वर्ष रासलीला का आयोजन किया जाता है। रासलीला वृंदावन की राष्ट्रपति से पुरस्कृत कुंज बिहारी की पार्टी कर रही हैं। रासलीला के आयोजक केशव धाम के संचालक राजेश वत्स है। रविवार को श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह का मंचन किया गया। रासलीला के प्रारंभ में कृष्ण भगवान के साथ गोपियों का मयूर नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा। नारद जी भ्रमण पर निकले तो रुक्मणी के पिता से मिलकर उन्होंने बताया कि रुक्मणी का विवाह तीन पगों में तीन लोक नापने वाले त्रिलोकी नाथ श्री कृष्ण जैसे योग्य वर से होगा। उन्होंने राजा भीष्मक को यह भी बताया कि रुक्मणी को ब्याहने के लिए उनके घर दो वर आएंगे। नारद की बात सुनकर रुकमणी के भाई रुक्मण इस बात से नाराज हो जाते हैं। अपनी बहन रुक्मणी की शादी अपने मित्र राजा शीशपाल से कराना चाहते हैं। वह राजा शीशपाल को अपनी बहन के विवाह का प्रस्ताव भेजते हैं। और साथ में उनको इस बात की चिता भी सताने लगती है कि कहीं श्री कृष्ण जी बारात लेकर ना आ जाएं। इसलिए वह जरासंध को भी अपनी सेना साथ लाने को कहते हैं।
उधर, रुक्मणी इस बात का संदेशा श्री कृष्ण को भिजवा देती है। श्री कृष्ण गौरी शंकर मंदिर में पूजा करने पहुंचीं रुक्मणी को हर कर ले जाते हैं। जब शीशपाल और जरासंध को इस घटना का पता लगता है तो वह उनका पीछा करते हैं। रुक्मण को जब यह एहसास हुआ कि श्री कृष्ण स्वयं नारायण हैं और रुक्मणी लक्ष्मी जी हैं, तो वह श्री कृष्ण और रुक्मणी का स्वयं विवाह करवाते हैं।
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