श्री माता चितपूर्णी मंदिर
मां चितपूर्णी मंदिर में श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है। माना जाता है कि यहां श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसलिए आज यह एक सिद्ध शक्तिपीठ बन गया है।

मां चितपूर्णी मंदिर में श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है। माना जाता है कि यहां श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसलिए आज यह एक सिद्ध शक्तिपीठ बन गया है। मंदिर में स्थापित सभी मूर्तियों का हर वर्ष स्थापना दिवस मनाया जाता है। मां के दर्शन के लिए नवरात्र पर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। दूर-दराज से लोग यहां मां के दर्शन और पूजा करने के लिए आते हैं। हर नवरात्र में अष्टमी के दिन मां का जागरण होता है। मंदिर का इतिहास
सेक्टर-पांच स्थित स्थित श्री माता चितपूर्णी मंदिर की स्थापना 1973 में गुरु मां ब्रह्मलीन लक्ष्मी देवी ने एक छोटे से मंदिर के रूप में की थी। मंदिर की मुख्य मूर्ति मां चितपूर्णी की स्थापना वर्ष 1987 में की गई। इसके बाद मां संतोषी, राधा-कृष्ण, श्रीराम दरबार, शिव परिवार और हनुमान जी की मूर्तियों की स्थापना की गई। गुरु मां ने वर्ष 2007 में मां चितपूर्णी मंदिर ट्रस्ट गठित कर मंदिर की व्यवस्था इस ट्रस्ट को सौंप दी थी। वर्ष 2015 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। वर्तमान में मंदिर की व्यवस्था प्रधान सतीश वर्मा की देखरेख में हो रही है। ऐसे पहुंचे मंदिर
गुरुग्राम बस स्टैंड से सिटी बसें, डीजल आटो, ई-रिक्शा से पहुंचा जा सकता है। गुरुग्राम बस स्टैंड से मंदिर की दूरी लगभग तीन किलोमीटर है। मां चितपूर्णी मंदिर में नवरात्र के दिनों में काफी दूर से श्रद्धालु पूजा करने के लिए आते हैं। हर नवरात्र मंदिर को लाइटों से चुनरियों से बेहतर तरीके से सजाया जाता है।
- सतीश वर्मा, मां चितपूर्णी मंदिर के ट्रस्टी तथा प्रधान क्षेत्र के और आसपास के लोगों की मां में आस्था है। मान्यता है कि यहां पर लोग जो भी सच्चे मन से मांगते हैं, उन्हें वह जरूर मिलता है। नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
- महाकाम झा, मुख्य पुजारी, मां चितपूर्णी मंदिर
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।