साक्षी मलिक की स्वर्णिम वापसी की करनी होगी प्रशंसा
बर्मिघम राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने वाले भारतीय पहलवान प्रशंसा के हकदार हैं। किंतु रियो ओलिपिक में कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक के प्रदर्शन की तो भूरि-भूरि प्रशंसा करनी होगी।

अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम :
बर्मिघम राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने वाले भारतीय पहलवान प्रशंसा के हकदार हैं। किंतु रियो ओलिपिक में कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक के प्रदर्शन की तो भूरि-भूरि प्रशंसा करनी होगी। 2016 रियो के बाद इस पहलवान के जीवन में ऐसा दौर आया कि राष्ट्रीय स्तर पर ट्रायल में उन्हें कई बार हार का सामना करना पड़ा। उन्हें अपने जूनियर पहलवानों से कई बार हार मिली थी और कुश्ती विशेषज्ञों ने उनका कुश्ती का भविष्य समाप्त मान लिया था। यही नहीं, पिछले वर्ष टर्की की प्रतियोगिता में उन्हें स्वयं के खर्च पर खेलने जाना पड़ा था और अब बर्मिघम में साक्षी ने सबको चकित कर दिया।
कुश्ती जैसे खेल में ऐसी वापसी करना बहुत ही मुश्किल होता है, लेकिन साक्षी के संघर्ष व धैर्य की प्रशंसा जितनी की जाए उतना ही कम है। वह बुरे दौर में टूटी नहीं और लक्ष्य हासिल करने के लिए लगी रहीं। उन्होंने संघर्ष से निकलकर पदक हासिल किया और मेडल सेरेमनी में वह भावुक हो गई। अकसर राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय महिला पहलवानों को कनाडा व नाइजीरियाई पहलवानों से कड़ी टक्कर मिलती है। साक्षी ने फाइनल मुकाबले में कनाडा की उभरती हुई 22 वर्षीय एन्ना गोडिनेज गोंजालेज को हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया है। बर्मिघम का पदक साक्षी के आलोचकों की बोलती बंद कर देने के साथ ही उनको अगले वर्ष एशियाड खेल और 2024 के पेरिस ओलिपिक की तैयारी करने के लिए उर्जावान बनाएगा।
वहीं 86 किग्रा भारवर्ग में दीपक पूनिया ने देश को स्वर्ण पदक दिलाया है। इस पहलवान के संघर्ष और मेहनत को प्रणाम करने का मन करता है। टोक्यो ओलिपिक में इस पहलवान का अच्छा प्रदर्शन था, लेकिन वह पदक नहीं ला सके थे। इस वजन में बड़े मुकाबलों में पदक लाना बड़ा मुश्किल है, लेकिन दीपक ने पाकिस्तान के पहलवान को हरा स्वर्ण पदक जीतकर भारत वासियों को दोहरी खुशी दी है। उन्होंने 2010 के नई दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों का बदला लिया है। पाकिस्तान के इस पहलवान ने नई दिल्ली में भारत के अनुज चौधरी को हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया था। भारत के कुश्ती विशेषज्ञ यहां पर दीपक का पदक पक्का मान रहे थे। किंतु स्वर्ण पदक पर दांव नहीं लगा रहे थे, लेकिन दीपक ने आशाओं से बढ़कर प्रदर्शन कर सबका दिल जीत लिया।
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