नए गुरुग्राम की 12 अटकी सड़कों को मिलेगी रफ्तार, हजारों लोगों का सफर होगा आसान
नए गुरुग्राम में सड़क निर्माण परियोजनाओं को गति देने के लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) ने एक विशेष समिति का गठन किया है। यह समिति भूमि अधिग्रहण संबंधी बाधाओं और अदालतों में लंबित मामलों का समाधान करेगी। विभिन्न सेक्टरों जैसे 72-72ए, 73-74, 70ए, 81-81ए और द्वारका एक्सप्रेसवे से जोड़ने वाले सेक्टरों के लिए भूमि की आवश्यकता है।

(प्रतीकात्मक तस्वीर)
संवाद सहयोगी, नया गुरुग्राम। नए गुरुग्राम में लंबे समय से अधर में लटके सड़क निर्माण प्रोजेक्ट्स को अब गति मिलने की उम्मीद है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) ने इन मामलों में तेजी लाने के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया है, जिसकी अगुवाई भूमि अधिग्रहण अधिकारी करेंगे। इसमें संपदा अधिकारी, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के जिला नगर योजनाकार (डीटीपी) और एचएसवीपी के अधीक्षक अभियंता को शामिल किया गया है।
बता दें कि सड़कों के निर्माण में आ रही भूमि संबंधी अड़चनों को दूर करने और अदालतों में लंबित मामलों का समाधान निकालने को लेकर एचएसवीपी की प्रशासक वैशाली सिंह की अध्यक्षता में 20 जून को बैठक हुई थी। इसमें विभिन्न सेक्टरों की महत्वपूर्ण सड़कों के अधूरे हिस्सों की समीक्षा की गई।
कहां कितनी जमीन की जरूरत?
- सेक्टर 72-72A: 380 मीटर लंबे सड़क टुकड़े के निर्माण हेतु टीकरी गांव से 4.11 एकड़ भूमि की आवश्यकता है।
- सेक्टर 73-74: 400 मीटर सड़क बनाने के लिए बहरामपुर गांव से 6.61 एकड़ भूमि जरूरी है।
- सेक्टर 70ए: पलड़ा गांव से पांच एकड़ जमीन 50 मीटर बाहरी सड़क के लिए मांगी गई है।
- सेक्टर 81-81ए: सीवर और बरसाती नाले के निर्माण के लिए लखनौला और शिकोहपुर गांवों से लगभग तीन एकड़ जमीन की जरूरत है।
- सेक्टर 102ए-103, 107-108, 99-99ए और 99-102: इन सेक्टरों को द्वारका एक्सप्रेसवे से जोड़ने के लिए कुल चार एकड़ जमीन की आवश्यकता बताई गई है।
कानूनी पेंच में फंसे निर्माण कार्य सड़क निर्माण में सिर्फ अधिग्रहण की बाधा नहीं है, बल्कि कुछ हिस्से अदालतों में विचाराधीन हैं। उदाहरण के तौर पर, सेक्टर 66-67 की सड़क का 220 मीटर हिस्सा एक ऐतिहासिक बावड़ी और एक सरकारी स्कूल के कारण विवादित है। यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में लंबित है। इसके अलावा सेक्टर 77-78, 82-85 और 86-90 की मुख्य सड़कों की समीक्षा भी की गई है।
कुछ सड़कों के निर्माण में जमीन अधिग्रहण लंबित है, तो कुछ का मामला अदालतों में विचाराधीन है। जहां अड़चनें सुलझ गई हैं, वहां की जमीन जीएमडीए को सौंप दी गई है। बाकी मामलों को निपटाने के लिए अधिकारी स्तर पर कमेटी बनाई गई है जो हर सप्ताह प्रगति की समीक्षा कर रही है।
- वैशाली सिंह, प्रशासक, एचएसवीपी
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