PM Matsya Sampada Yojana: कम लागत में अच्छी इनकम का साधन है मछली पालन, इस स्कीम से आप भी हो सकते हैं मालामाल
Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana मछली पालन कम लागत में अच्छी आय का साधन है। किसान और बेरोजगार युवक इस तरफ रुझान कर भी रहे हैं। मछली पालन करने वाले ...और पढ़ें

महावीर यादव, बादशाहपुर। किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए अब मछली पालन में भी रुचि ले रहे हैं। मछली पालन की तरफ किसानों का रुझान लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) का लाभ लेकर किसान कारोबार बढ़ाने की तरफ चल रहे हैं।
मछली पालन विभाग ने तालाबों में मछली पालन का कारोबार चार हेक्टेयर में बढ़ाने का लक्ष्य तय किया था। किसानों की रुचि के चलते यह 10.5 हेक्टेयर तक पहुंच गया। इसी तरह खारे पानी में मछली उत्पादन का लक्ष्य 12 हेक्टेयर का था। वह भी 22.80 हेक्टेयर तक पहुंच गया है।
किसान-बेरोजगार बढ़ा रहे अपनी इनकम
पिछले 10 साल में 33 हेक्टेयर से बढ़कर 202 हेक्टेयर मछली पालन का विस्तार हुआ है। मछली पालन के कारोबार से जुड़े किसानों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए मछली पालन विभाग ने दो कोल्ड स्टोर 50 टन और 10 टन के तैयार किए हैं। मछली पालन कम लागत में अच्छी आय का कारोबार है।
मछली पालन कारोबार के लिए किसानों को प्रेरित करने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 40 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक का अनुदान भी दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ उठाकर भी काफी किसान इस कारोबार में रुचि ले रहे हैं। इस समय जिला में करीब 100 किसान मछली पालन के कारोबार से जुड़े हैं।
मत्स्य पालन विभाग द्वारा कियोस्क निर्माण पर अधिकतम 10 लाख रुपये की लागत पर 40 प्रतिशत सामान्य वर्ग के लिए व 60 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा जनजाति व महिलाएं के लिए अनुदान दे रहा है। 2015 में मछली पालन के लिए नीली क्रांति और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के बाद किसानों का रुझान काफी बड़ा है।
पिछले 10 साल में काफी बढ़ा मत्स्य पालन
मत्स्य पालन के क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों में काफी वृद्धि हुई है। 2013-14 के दौरान मत्स्य पालन का क्षेत्रफल 396.5 हैक्टेयर रहा जो कि 2023-24 में बढ़कर 494.4 हैक्टेयर हो गया है। इस अवधि मे निजि तालाबों के क्षेत्रफल मे बहुत अधिक वृद्धि हुई है। 33.5 हैक्टेयर से बढ़कर 202.4 हैक्टेयर हो गया है।
मत्स्य पालक नई तकनीकों को भी अपना रहे है। इसमें बायोफ्लोक इकाइयां स्थापित करना मछली पालन की आधुनिक तकनीक है। जिला में 16 बायोफ्लोक इकाइयां स्थापित की जा चुकी है। इसमें टैंक के अंदर मछली पालन किया जाता है। टैंक में ही बनने वाली अमोनिया के माध्यम से मछली के लिए खाना तैयार कर दिया जाता है।
कोल्ड स्टोरेज में रख सकते हैं मच्छली
मछली स्टोर के लिए दो कोल्ड स्टोरेज तैयार तालाब में मछली तैयार होने के बाद अगर मार्केट में मछली का उठाव नहीं है। मार्केट में मछली का भाव कम मिल रहा है। तो इस दौरान किसान कोल्ड स्टोरेज में भी अपनी मछली रख सकते हैं। इसके लिए मछली पालन विभाग ने दो कोल्ड स्टोरेज तैयार किए हैं।
10 मिट्रिक टन का कोल्ड स्टोरेज ढोरका गांव में बनाया गया है। 50 मिट्रिक टन का कोल्ड स्टोरेज कादरपुर गांव में तैयार किया गया है। इसके साथ ही मछली के व्यंजन तैयार कर बिक्री करने वालों के लिए मछली क्योस्क भी तैयार कराए जा रहे हैं। मछली क्योस्क पर तरह-तरह के व्यंजन बनाकर उनकी बिक्री कर आय बढ़ाने के लिए भी किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।
कम लागत में अच्छी आय का साधन है मछली पालन
मछली पालन कम लागत में अच्छी आय का साधन है। किसान और बेरोजगार युवक इस तरफ रुझान कर भी रहे हैं। मछली पालन करने वाले किसानों को तरह-तरह की सुविधा मछली विभाग द्वारा दी जा रही है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत अनुदान मिलने से भी काफी किसान मछली पालन की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। हमने इस बार 12 हेक्टेयर में मछली पालन का कारोबार बढ़ाने का लक्ष्य तय किया था। किसानों की बढ़ती रुचि के कारण यह 22.80 हेक्टेयर तक हो चुका है।
- धर्मेंद्र सिंह, जिला मत्स्य अधिकारी

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