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सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश और वन विभाग की तैयारी ने अरावली में बने फार्म हाउस के मालिकों की उड़ाई नींद, पढ़िए क्या है पूरा मामला

अरावली को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश को वन विभाग आधार बनाएगा। आदेश की कापी जिला अदालत में प्रस्तुत कर कहा जाएगा कि अरावली पहाड़ी क्षेत्र में सभी अवैध निर्माण है। ऐसे में यहां फार्म हाउस मालिकों की नींद उड़ी हुई है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 03:10 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 03:10 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश और वन विभाग की तैयारी ने अरावली में बने फार्म हाउस के मालिकों की उड़ाई नींद, पढ़िए क्या है पूरा मामला
वन भूमि पर जितने भी फार्म हाउस बने हुए हैं उन्हें छह महीने के दौरान ध्वस्त कर दिया जाए।

गुरुग्राम, [आदित्य राज]। अरावली को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश को वन विभाग आधार बनाएगा। आदेश की कापी जिला अदालत में प्रस्तुत कर कहा जाएगा कि अरावली पहाड़ी क्षेत्र में जो भी निर्माण हैं, सभी अवैध हैं। बताया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश व आगे वन विभाग की इस तैयारी से फार्म हाउस मालिकों की नींद उड़ी हुई है। गत वर्ष अगस्त में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आदेश जारी कर कहा था कि अरावली पहाड़ी क्षेत्र में वन भूमि पर जितने भी फार्म हाउस बने हुए हैं उन्हें छह महीने के दौरान ध्वस्त कर दिया जाए।

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आदेशानुसार वन विभाग ने तैयारी शुरू कर दी थी। इसी बीच कुछ फार्म हाउस मालिकों ने तोड़फोड़ के निर्णय के खिलाफ जिला अदालत में अर्जी डाल दी। इससे तोड़फोड़ का मामला लटक गया।कुछ दिन पहले फरीदाबाद के गांव खोरी के अरावली पहाड़ी क्षेत्र में अवैध निर्माण को ध्वस्त करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने जहां वन विभाग का मनोबल बढ़ा दिया है वहीं फार्म हाउस संचालकों की चिंता बढ़ा दी है।

पूरा अरावली पहाड़ी क्षेत्र वन क्षेत्र घोषित है। ऐसे में मालिकाना हक किसी का हो, वह गैरवानिकी कार्य नहीं कर सकता। धन कुबेरों द्वारा अरावली का सीना छलनी करते हुए हजारों फार्म हाउस विकसित कर दिए गए। यही नहीं काफी संख्या में ऊंची-ऊंची इमारतों से लेकर स्कूल, मंदिर, धर्मशाला एवं गौशाला तक बना दिए गए।

19 अक्टूबर को होनी है अगली सुनवाई

वन भूमि पर बनाए गए फार्म हाउसों के तोड़फोड़ के खिलाफ जिला अदालत में डाली गई अर्जी पर अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी। इससे पहले कई बार सुनवाई हो चुकी है। कोरोना संकट की वजह से भी अदालत कार्य प्रभावित रहा। सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद से सभी की नजर अगली सुनवाई पर रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2002 के दौरान अपने एक आदेश में स्पष्ट कर रखा है कि पूरा अरावली पहाड़ी क्षेत्र वन क्षेत्र है। ऐसे में क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली वन भूमि पर बने अवैध निर्माण हो या फिर अन्य जगह सभी को ध्वस्त करने की प्लानिंग वन विभाग करे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए सभी आदेशों की कापी जिला अदालत में सौंपे।

डा. आरपी बालवान, पर्यावरणविद् व सेवानिवृत्त वन संरक्षक

एनजीटी के आदेशानुसार तोड़फोड़ की तैयारी शुरू कर दी गई थी लेकिन कई फार्म हाउस मालिक अदालत में चले गए। 19 अक्टूबर की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से संबंधित पूरी जानकारी जिला अदालत के सामने रखी जाएगी। अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए वन विभाग हर स्तर पर तैयार है।

कर्मवीर मलिक, वन राजिक अधिकारी, गुरुग्राम


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