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    TB free: टीबी मरीजों को अब मिलेगी 1000 की आर्थिक मदद, केंद्र का 2025 तक TB मुक्त का लक्ष्य

    गुरुग्राम शहर में टीबी के बैक्टीरिया का फेफड़ों पर अटैक जारी है। पिछले साल की तुलना में इस साल 1161 मामलों में इजाफा देखा गया। नवंबर महीने में अब तक खोजे गए 225 टीबी रोगियों को सरकारी आर्थिक सहायता के रूप में 500 रुपये की जगह पर अब 1000 रुपये मिलेंगे। बता दें यह पैसा रोगियों की डाइट के लिए दिया जाता है।

    By joohi dass Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Thu, 14 Nov 2024 04:38 PM (IST)
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    नवंबर से खोजे जा रहे टीबी रोगियों को अब मिलेगा 1000 का अनुदान। फाइल फोटो

    जूही दास, गुरुग्राम। जिले में टीबी के बैक्टीरिया का फेफड़ों पर प्रहार जारी है। इस बात की तस्दीक स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े करते हैं। पिछले साल के मुताबिक इस साल 1161 मामलों में इजाफा दर्ज किया गया है। रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल 7090 रोगी मिले थे, जबकि इस बार 11 महीनों में 8251 टीबी रोगियों की पहचान हो चुकी है।

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    इसमें नवंबर महीने में अब तक खोजे गए 225 टीबी रोगियों को अनुदान के रूप में 500 रुपये की जगह 1000 रुपये दिए जाएंगे। क्योंकि प्रदेश सरकार ने रोगियों के डाइट अनुदान को दोगुना कर दिया है। केंद्र सरकार का देश को 2025 तक टीबी मुक्त कराने का लक्ष्य है। क्षय विभाग की ओर से स्क्रीनिंग व जागरूकता अभियान जारी है।

    वर्ष 2023 में जिले में 70673 लोगों की स्क्रीनिंग की गई थी। इसमें से 35994 लोग जांच के लिए आगे आए थे। इस वर्ष अब तक 66247 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है और 66303 लोगों ने जांच कराई है। इसमें 8251 लोगों में टीबी रोगी की पुष्टि हुई है।

    डा. प्रदीप कुमार, डिप्टी सिविल सर्जन

    जिले में मरीजों में 55 प्रतिशत फेफड़े की और 45 एक्स्ट्रा पल्मोनरी शामिल है। विशेषज्ञों बताते हैं कि टीबी का बैक्टीरिया सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि रीढ़ व हड्डी को भी खोखला रहा है। इतना ही नहीं महिलाओं का गर्भाशय भी इससे संक्रमित हो रहा है। स्क्रीनिंग का दायरा बढ़ने के साथ-साथ रोगियों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। बच्चों से लेकर वृद्ध टीबी के संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं।

    यह होता है रोगी का कोर्स

    मरीज को पहली स्टेज में छह से आठ महीने तक रोजाना दवा लेनी होती है। कोई मरीज बीच में दवा छोड़ देता है तो उसे दोबारा मल्टी ड्रग्स रेसिस्टेंट टीबी (एमडीआर) होगी। उस मरीज को 24 से 27 माह तक हर रोज दवा लेनी होगी।

    एमडीआर से ग्रस्त मरीज बीच में दवा छोड़ देता है तो उसकी बीमारी जानलेवा बनकर वापस लौटती है, जिसे एक्सट्रीम ड्रग रिजीसटेंट (एक्सडीआर) टीबी कहते हैं। एक्सडीआर मरीज को 27 से 30 माह तक दवा लेनी होगी।

    साल मरीजों की संख्या
    2019 7108
    2020 5736
    2021 6294
    2022 6851
    2023 7090
    2024 8251 (अब तक)

    घर-घर जाकर हो रही खोज

    स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीबी रोगियों की खोज के लिए एक नवंबर से डोर-टू-डोर अभियान चलाया जा रहा है। इसमें 1050 आशा वर्कर की ड्यूटी लगाई गई है। जो अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में जाकर स्क्रीनिंग कर रही है।

    एक नजर में

    • 441 हैं एक वर्ष 14 वर्ष के रोगियों की संख्या
    • 3572 मिली हैं टीबी से ग्रसित महिलाएं
    • 4676 है जिले में टीबी से पीड़ित पुरुषों की संख्या
    • 4000 के करीब रोगियों को इस वर्ष लिया गया है गोद
    • 6089 टीबी रोगियों को दिया जा रहा है अनुदान
    • 03 प्रतिशत टीबी रोगियों की होती है हर साल मृत्यु
    • 06 हैं ट्रीटमेंट यूनिट
    • 22 हैं जिले में माइक्रो स्कोपिक सेंटर
    • 15 केंद्रों पर होती है बलगम की जांच

    जागरूकता और स्क्रीनिंग का नतीजा है कि टीबी रोगियों की पहचान कर समय से उपचार शुरू किया जा रहा है। नवंबर से टीबी रोगियों को 500 रुपये की जगह 1000 रुपये डाइट अनुदान के रूप में दिए जाएंगे।

    डा. प्रदीप कुमार, डिप्टी सिविल सर्जन

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