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    पढ़िए छात्र राजनीति से केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय करने वाले भूपेंद्र यादव की पूरी कहानी, कब से है आरएसएस से जुड़ाव

    By Vinay Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 09 Jul 2021 03:45 PM (IST)

    छात्र राजनीति से केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय करने वाले भूपेंद्र यादव मात्र सात साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने बचपन में ही ठान लिया था कि सरकारी नौकरी नहीं करनी है। सामाजिक या राजनीतिक क्षेत्र में काम करना है।

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    राजस्थान से राज्यसभा में पहुंचे भूपेंद्र यादव मूल रूप से गांव जमालपुर के रहने वाले हैं।

    गुरुग्राम, [आदित्य राज]। छात्र राजनीति से केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय करने वाले भूपेंद्र यादव मात्र सात साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने बचपन में ही ठान लिया था कि सरकारी नौकरी नहीं करनी है। सामाजिक या राजनीतिक क्षेत्र के माध्यम से पूरे राष्ट्र के लिए काम करना है। इसी विचार को मन में लेकर वह धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहे और आज राजनीति में मुकाम हासिल कर लिया।

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    उनके पिता कदम सिंह यादव कहते हैं कि उन्होंने एक पिता की जो जिम्मेदारी होती है, केवल वही निभाई है। पिता की जिम्मेदारी होती है बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करना। यह जिम्मेदारी उन्हाेंने निभाई। आज भूपेंद्र यादव जो भी हैं वह उनकी मेहनत है। इसमें उनका कोई योगदान नहीं है। वह बेटे की उपलब्धि से बहुत खुश हैं। उनके बेटे ने यह दर्शा दिया है कि यदि आप पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ काम करते हैं तो फल मिलना तय है।

    राजस्थान से राज्यसभा में दूसरी बार पहुंचे वरिष्ठ भाजपा नेता व केंद्रीय श्रम एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव मूल रूप से गुरुग्राम जिले के गांव जमालपुर के रहने वाले हैं। उनके पिताजी 88 वर्षीय कदम सिंह यादव रेलवे में नौकरी करते थे। वर्षों तक अजमेर में तैनात रहे। इस वजह से पूरा परिवार राजस्थान के अजमेर ही वर्षों तक रहा। भूपेंद्र यादव ने स्कूल से लेकर कालेज तक की शिक्षा राजस्थान में ही ग्रहण की।

    1993 में सेवानिवृत्ति के बाद परिवार पैतृक गांव में रहने लगा। कदम सिंह यादव कहते हैं कि वह परिवार से संपन्न थे। इस वजह से नौकरी करने के दौरान उन्हें घर पैसे भेजने की नौबत कभी नहीं आई। इस वजह से वह अपने बच्चों की शिक्षा के ऊपर काफी ध्यान दे सके। बच्चे जहां तक पढ़ाई करना चाहते थे, वहां तक की।

    वह कहते हैं कि भूपेंद्र स्कूल में पढ़ाई करने के साथ ही संघ से जुड़े रहे। संघ के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। कालेज में आने के बाद छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे लेकिन पढ़ाई में कभी ढिलाई नहीं बरती। उनके बारे में भी स्कूल या कालेज से उन्हें शिकायत नहीं मिली। कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह धीरे-धीरे भाजपा की राजनीति में सक्रिय होने लगे थे। कई वर्षों तक अधिवक्ता परिषद में काम किया। फिर भाजपा के राष्ट्रीय बने। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहे। अब इतनी ऊंचाई पर वह पहुंच गए, उन्हें भी अहसास नहीं हुआ।

    अब असली परीक्षा देने का समय है

    कदम सिंह यादव कहते हैं कि संगठन की परीक्षा में भूपेंद्र पास हो चुके हैं। अब सरकार की परीक्षा होनी है। पहली बार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उसमें भी श्रम एवं पर्यावरण जैसे मंत्रालय दिए गए हैं। दोनों क्षेत्र में बहुत काम करने की आवश्यकता है।

    उन्हें उम्मीद है कि जिस सेवा भाव से वह संगठन का काम काम करते रहे हैं, उसी भाव से अब नई जिम्मेदारी को निभाएंगे। ऐसे में सफलता तय है। बता दें कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान भूपेंद्र यादव की पहचान भाजपा के गिने चुने रणनीतिकारों में हो चुकी है। संगठन में उनके पास राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी है। वह बिहार जैसे राज्य के प्रभारी भी हैं। बिहार में पार्टी की सत्ता वापसी में उनकी विशेष भूमिका मानी जाती है।