गुरुग्राम में गर्भवतियों का अल्ट्रासाउंड करने के नियमों में सख्ती, पहले दिखाने होंगे ये दो प्रूफ
गुरुग्राम में गिरते लिंगानुपात को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने गर्भवती महिलाओं के लिए आरसीएच आईडी अनिवार्य कर दी है। गर्भावस्था के तीन महीने के अंदर पंजीकरण कराना होगा जिसके बाद ही सोनोग्राफी हो सकेगी। यह नियम सरकारी और निजी केंद्रों पर लागू है। पिछले वर्ष जिले का लिंगानुपात 899 था। स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में सख्ती बरतने के आदेश दिए हैं।

वरुण त्रिवेदी, गुरुग्राम: स्वास्थ्य विभाग ने बिगड़ते लिंगानुपात पर गर्भवती महिलाओं के इलाज के लिए आरसीएच (रिप्रोडक्टिवि चाइल्ड हेल्थ) आईडी और मां व शिशु ट्रैकिंग प्रणाली (एमसीटीएस) नंबर अनिवार्य कर दिया है।
गर्भवती होने के तीन महीने के अंदर अपने क्षेत्र की एएनएम के पास पंजीकरण कराना होगा। इसके बिना अल्ट्रासाउंड नहीं किया जाएगा। ये नियम सरकारी व निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर लागू हो चुका है।
जिले में लिंगानुपात की स्थिति में सुधार को लेकर स्वास्थ्य महकमा सख्त हो गया है। पिछले वर्ष जिले का लिंगानुपात 899 दर्ज हुआ। जो बीते पांच वर्षों में सबसे कम था।
लिंगानुपात कम होने पर लगाई गई थी फटकार
शासन स्तर से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को फटकार भी लगी थी। लिंगानुपात को बेहतर बनाने के लिए छापेमारी तेज करने और सख्ती से आरसीएच आईडी सख्ती से लागू करने के आदेश दिए गए थे।
इसके तहत साइबर सिटी में अब इसे लागू कर दिया गया है। इस वर्ष मार्च के अंत तक जहां लिंगानुपात लुढ़ककर 751 पहुंच गया था जो मई के अंत तक बढ़कर 917 हो गया है।
अल्ट्रासाउंड करना हो तो चाहिए मान्य पहचान पत्र
स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, सरकार के नियमानुसार गर्भवतियों का 16 से 20 सप्ताह के अंदर अल्ट्रासाउंड होना अनिवार्य है। महिला रोग विशेषज्ञ गर्भवती की हालत के अनुसार अल्ट्रासाउंड करवा सकती है।
अब गर्भवती को अल्ट्रासाउंड करवाना है तो उसके पास एक चिकित्सक का मान्य रेफरेंस कार्ड, पहचान पत्र, फोटो होना चाहिए।
इसके बाद ही केंद्र गर्भवती का अल्ट्रासाउंड कर सकता है। अब इसमें आरसीएमएच को अनिवार्य कर दिया गया है। इस नंबर के पंजीकरण के बाद ही जांच होगी।
पोर्टल पर रहेगा रिकार्ड, गर्भवती की निगरानी होगी आसान
स्वास्थ्य अधिकारियों की मानें तो गर्भ की जानकारी होते ही महिला को क्षेत्र की एएनएम के पास जाकर जांच करवानी होगी। एएनएम उसकी जांच करेगी, जिसके बाद पोर्टल पर उसका रिकॉर्ड दर्ज करेगी। इसके बाद आरसीएच आईडी जारी होगी। यही आईडी दिखाने के बाद अब अल्ट्रासाउंड हो सकेगा। इसके अलावा
गर्भवती पर निगरानी रखने में आसानी होगी। आरसीएच आईडी से आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि गर्भवती ने कितनी बार अल्ट्रासाउंड, रक्त जांच सहित अन्य स्वास्थ्य जांच कराई है। इसके अलावा कितने डाक्टर बदले हैं। कब और कौन से अस्पताल में डिलीवरी हुई और क्या बच्चा हुआ।
यहां बनेगी आरसीएच आईडी
गर्भवतियां अपनी आरसीएच आईडी घर के समीप स्थित स्वास्थ्य केंद्र में जाकर बनवा सकेंगी। इसके अलावा क्षेत्र की एएनएम, आंगनबाड़ी व आशा कार्यकर्ता के माध्यम से भी बनवा सकेंगी।
गर्भवती को पहले अपने पंजीकरण करवाना होगा। यहां से उन्हें प्रजनन व बाल स्वास्थ्य यानि आरसीएच आइडी दी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने संचालकों को आरसीएच आइडी चेक करने के बाद ही अल्ट्रासाउंड करने के निर्देश दिए हैं। इसको लेकर सभी संचालकों को निर्देश दे दिए गए हैं। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
- डाॅ. अलका सिंह, सीएमओ, गुरुग्राम
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