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    Gurgaon: राव इंद्रजीत ने जीत का मारा सिक्सर, पर बब्बर ने खुलकर खेलने नहीं दिया; कांग्रेस ने बिछाई थी ये सियासी पिच

    2019 के लोकसभा चुनाव में गुड़गांव सीट (Gurgaon Election Results 2024) से राव इंद्रजीत सिंह को जो जीत मिली थी वह इस बार नहीं मिल पाई। कारण था कि कांग्रेस के उम्मीदवार राज बब्बर ने मात्र 15 दिन के प्रचार से राव के किले में सेंध लगा दी। 2014 के चुनाव में भी गुड़गांव लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखा गया था। बावल और रेवाड़ी से राव ने बढ़त बनाई।

    By Jagran News Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Wed, 05 Jun 2024 02:51 PM (IST)
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    Gurgaon Hindi News: राव इंद्रजीत ने जीत का मारा सिक्सर, पर बब्बर ने खुलकर खेलने नहीं दिया।सोशल मीडिया

    सत्येंद्र सिंह, रेवाड़ी। (Gurgaon Politics Hindi News) राजनीति के धुरंधर केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह (Rao Inderjit Singh) संसद में छठी बार कदम रखने के लिए जीत दर्ज कर ली। इस लोकसभा चुनाव में 80 हजार से भी अधिक मत से जीतकर भाजपा से हैट-ट्रिक लगाने के साथ-छह बार वह सांसद बन चुके हैं। हालांकि इस पारी में उन्हें अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा।

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    उनके विरुद्ध कांग्रेस के उम्मीदवार बन कर मैदान में उतरे पूर्व सांसद और अभिनेता राज बब्बर ने बिना संगठन के ही कड़ी फील्डिंग लगा रखी थी। नूंह जिला कही तीनों सीट से बब्बर ने सोहना, गुड़गांव, पटौदी से लेकर बावल विधानसभा क्षेत्र की पिच पर कहीं भी खुलकर खेलने नहीं दिया।

    हर विधानसभा क्षेत्र में राजबब्बर (Raj Babbar) ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यही वजह रही कि राव लंबी जीत नहीं दर्ज कर सके। जबकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान इस सीट पर भाजपा के राव इंद्रजीत सिंह को आसान जीत मिली थी। वह 8,81,546 वोट पाकर 3,8600 मतों के अंतर से चुनाव जीत गए थे। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार और अपने राजनीतिक विरोधी कैप्टन अजय सिंह यादव को बड़े अंतर से मात दी थी।

    वर्ष 2014 के चुनावों में भी भले ही मुकाबला त्रिकोणीय था, बावजूद इसके भाजपा के उम्मीदवार राव इंद्रजीत 6,44,780 वोट पाकर चुनाव जीता था। इस बार उन्होंने नूंह की तीनों सीटों से राव को विजय दिलाने का प्रयास किया, लेकिन केवल नूंह सीट में ही असर दिखा। पुन्हाना और फिरोजपुर झिरका विधानसभा सीट से कांग्रेसी उम्मीदवार ने एकतरफा पारी खेली। मुस्लिम बहुल सीटों पर राज बब्बर ने जिस तरह से पारी खेली रोकने के भाजपा की ओर से लगाई गई फील्डिंग बिखर गई।

    पार्टी के कुछ नेता बने विभीषण, नहीं तो बढ़त लाखों में होती

    राव कांग्रेस में थे तो उनके द्वारा अहीरवाल में जमाए सिक्के को हटाने के लिए उनके राजनीति विरोधी रोड़े बनते रहे थे। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में वह भाजपा में आ गए तो उनके कई नए पुराने विरोधी भाजपा (Haryana BJP) में आ गए। करीब सात से आठ नेता ऐसे हैं जो जिनमें कई सांसद तो कई विधायक के दावेदार हैं। कुछ विधायक रह भी चुके हैं।

    इन नेताओं ने पार्टी के लिए एक मंच पर आकर एकजुटता नहीं दिखाई। मन से चुनाव प्रचार करते भी नजर नहीं आए। यही वजह रही कि इस चुनाव में जीत का अंतर कम हो गया। जबकि भाजपा के शीर्ष नेता इस सीट को सबसे सुरक्षित मान रहे थे। राव प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के नाम पर अपनी गाड़ी आगे बढ़ाते नजर आए।

    15 दिन में ही राज बब्बर ने किले में सेंध लगा दी

    पहले फतेहपुर सीकरी उसके बाद वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद संसदीय सीट से हारने के बाद इस बार गुड़गांव सीट से उतरे राज बब्बर ने 15 दिन के प्रचार से राव के किले में सेंध लगा दी। दोपहर दो बजे तक राव पीछे ही चलते रहे। नूंह जिला में अपनी गाड़ी बब्बर से सरपट दौड़ाई वहीं राव के गढ़ गुड़गांव से रेवाड़ी तथा बावल तक तेजी से दौड़ने नहीं दी।

    कांग्रेसी (Haryana Congress) नेता पंकज डाबर और वर्धन यादव ने कहा अगर पहले टिकट तय कर दिया होता तो चुनावी नतीजा कुछ और होता। कांग्रेस पार्टी से उम्मीदवार घोषित होने के बाद पंद्रह दिन के चुनाव प्रचार में राज बब्बर ने पार्टी को कड़े मुकाबले में ला दिया।

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