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    गुरुग्राम के बंधवाड़ी लैंडफिल से निकल रहा जहरीला पानी, NGT ने कहा- खतरे में स्वास्थ्य और पर्यावरण

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 10:51 AM (IST)

    गुरुग्राम के बंधवाड़ी लैंडफिल साइट से लीचेट रिसाव पर एनजीटी ने कड़ा रुख अपनाया है। एनजीटी ने लीचेट प्रबंधन में लापरवाही के चलते स्वास्थ्य और पर्यावरण पर खतरे की बात कही है। केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से तीन सप्ताह में रिपोर्ट तलब की गई है। एनजीटी ने हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा रिपोर्ट में देरी पर नाराजगी व्यक्त की।

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    गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड स्थित बंधवाड़ी लैंडफिल साइट। जागरण आर्काइव

    जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड पर स्थित बंधवाड़ी लैंडफिल साइट पर हो रहे लीचेट (कचरे से निकलने वाला जहरीला पानी) के रिसाव को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कड़ा रुख अपनाया है।

    एनजीटी ने कहा कि साइट पर लीचेट प्रबंधन की गंभीर लापरवाही से आसपास के गांवों और जंगल तक गंदा पानी फैल रहा है, जिससे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर खतरा मंडरा रहा है। एनजीटी ने इस संबंध में केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से तीन सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है।

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    बता दें कि बंधवाड़ी लैंडफिल में बने कूड़े के पहाड़ और इससे पर्यावरण तथा आसपास के गांवों को हो रहे नुकसान को लेकर एक केस एनजीटी में लंबित है, जिसकी सुनवाई 14 अगस्त को एनजीटी में हुई थी।

    इस संबंध में एनजीटी के आदेशों की प्रति अब नगर निगम को मिली है। केस में आगामी सुनवाई 18 सितंबर को होगी। याचिकाकर्ता पूनम यादव और विवेक कंबोज की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एनजीटी की प्रधान पीठ ने पाया कि बंधवाड़ी डंपिंग साइट पर प्रतिदिन लगभग 200 किलोलीटर (केएलडी) लीचेट निकल रहा है, जो वर्षा के दिनों में और ज्यादा बढ़ जाता है।

    लैंडफिल पर नहीं बनाई गारलैंड ड्रेन

    याचिकाकर्ता ने ट्रिब्यूनल को बताया कि पिछले एक साल से साइट पर कोई गारलैंड ड्रेन (सुरक्षात्मक नाला) नहीं है, जिसके कारण लीचेट गांव की सड़कों और जंगल तक फैल रहा है। यह स्थिति गंभीर स्वास्थ्य खतरा बन गई है। इस मामले में एनजीटी द्वारा पहले भी लीचेट प्रबंधन करने के आदेश दिए जा चुके हैं।

    प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने देरी से से दी रिपोर्ट, एनजीटी नाराज

    ट्रिब्यूनल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) और पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों को एक हफ्ते के भीतर साइट का संयुक्त निरीक्षण करने और तीन सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

    साथ ही, पीठ ने नाराजगी जताई कि हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रिपोर्ट देर से दाखिल की, जिसे अभी रिकॉर्ड पर नहीं लिया गया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर 2025 को होगी।