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    मोबिक्विक एप से 41 करोड़ की धोखाधड़ी की जांच करेगी SIT, तकनीकी खामी या फिर कोई अंदरूनी साजिश?

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 07:37 AM (IST)

    मोबिक्विक एप में तकनीकी खामी से 41 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में एसआइटी जांच करेगी। पहले भी ऐसी घटना हो चुकी है जिससे सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। साइबर एक्सपर्ट्स सॉफ्टवेयर अपडेट करने की सलाह देते हैं जिससे हैकिंग से बचा जा सके। पुलिस कंपनी अधिकारियों से पूछताछ करेगी।

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    दूसरी बार इस तरह से धोखाधड़ी होने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सांकेतिक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। मोबाइल एप मोबिक्विक में आई तकनीकी खराबी का फायदा उठाकर देशभर के सैकड़ों लोगों द्वारा 41 करोड़ की धोखाधड़ी करने के मामले की जांच अब एसआइटी करेगी। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा ने बुधवार को जांच के लिए एसआइटी गठित की।

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    एसीपी साइबर क्राइम प्रियांशु दीवान के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम जांच के बाद इसकी रिपोर्ट सौंपेगी। टीम में सेक्टर 53 और साइबर ईस्ट थाना प्रभारी भी शामिल हैं। सितंबर के पहले सप्ताह में मोबिक्विक एप में आई तकनीकी खामी का फायदा उठाकर बड़ी संख्या में लोगों ने एप के वॉलेट से रुपये अपने जानने वालों, दुकानदारों और अन्य लोगों के खाते में भेजकर कंपनी को करोड़ों रुपये का चूना लगाया।

    कंपनी की तरफ से गुरुग्राम के सेक्टर 53 थाने में धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज कराया गया था। इसमें उन तीन हजार लोगों को आरोपित बनाया गया, जिनके खातों में रुपये गए थे। गुरुग्राम पुलिस ने शुरुआती जांच करते हुए छह आरोपितों को मंगलवार को नूंह से गिरफ्तार किया था।

    ये सभी जिले के अलग-अलग गांव के रहने वाले हैं। इन्होंने जानबूझकर एप से करीब ढाई करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की थी। पुलिस ने अब तक की जांच में तीन हजार खातों को होल्ड कराया है और सभी खाता धारकों की जानकारी एकत्रित कर रही है। ये कहां-कहां के हैं और किन बैंकों के हैं, उन बैंक अधिकारियों को मेल भेजकर खाता धारकों की जानकारी मांगी जा रही है।

    कैसे हुई थी धोखाधड़ी?

    जांच में पता चला था कि मोबिक्विक में कोई तकनीकी खराबी होने के कारण किसी के बैंक या एप के वैलेट में कोई भी बैलेंस हो या ना हो या फिर एप से की जाने वाली सभी ट्राजेक्शन सफतलापूर्वक पूर्ण हो रही थी। एप का गलत पासवर्ड डालने पर भी कोई परेशानी नहीं थी और रुपये ट्रांसफर हो रहे थे। इसलिए जिसे भी इसकी जानकारी मिली, उसने एप के वॉलेट से भारी राशि खातों में ट्रांसफर कर दी।

    तकनीकी खामी या फिर कोई अंदरूनी साजिश?

    बीते दिनों मोबिक्विक एप वॉलेट से 41 करेाड़ रुपये की धोखाधड़ा का मामला आया, लेकिन यह पहला नहीं है। इससे पहले भी 2017 में इसी तरह की धोखाधड़ी इसी मोबिक्विक एप के सिस्टम से हो चुकी है। तब डिजिटल वॉलेट के खाते से 19 करोड़ 60 लाख रुपये की रकम ऑनलाइन निकाली गई थी।

    एक ही कंपनी के साथ दूसरी बार इस तरह से धोखाधड़ी होने पर सवाल भी जेहन में खड़े हो रहे हैं। साइबर एक्सपर्ट का मानना है कि या तो कंपनी अधिकारी सुरक्षा पर तवज्जो नहीं दे रहे हैं या फिर कंपनी के अंदर ही कोई लू फोल्स है।

    डीसीपी ईस्ट गौरव राजपुरोहित ने बताया कि मामले की जांच के लिए एसआइटी गठित कर दी गई है। सभी पहलुओं पर जांच की जाएगी। कंपनी अधिकारियों से भी पूछताछ होगी।

    समय-समय पर अपडेट करना चाहिए सॉफ्टवेयर

    साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन का कहना है कि अगर साफ्टवेयर के अपडेट पर ध्यान नहीं दिया गया तो हैकर इसे हैक कर सकते हैं। रोज नई-नई टेक्नोलोजी आ रही है। कोई लू फोल्स का लाभ हैकर उठा ले जाते हैं। इसे रोकना तभी संभव होगा, जब समय-समय पर चीजें अपडेट होंगी। कंपनी को इसका ध्यान रखना चाहिए।

    ये समस्याएं तभी आती हैं, जब कंपनी अधिकारी इसे बाद में कर लेने की बात पर यानी फारग्राटेंड ले लेते थे। मोबिक्विक के मामले में या तो कंपनी अधिकारी सुरक्षा पर तवज्जो नहीं दे रहे हैं या तो कोई अंदरूनी मामला हो सकता है। जांच के दौरान ये चीजें सामने आ सकती हैं।