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1971 India-Pakistan War: लेफ्टिनेंट जनरल जेबीएस यादव ने सियालकोट में घुसकर पाकिस्तान सेना के छुड़ाए थे छक्के

1971 India-Pakistan War जेबीएस यादव ने हमेशा ही देशभक्ति की भावना से देश विरोधी ताकतों से जमकर मुकाबला किया। 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई में वीरता दिखाने के लिए लेफ्टिनेंट जनरल जेबीएस यादव को वीर चक्र से नवाजा गया।

By Jp YadavEdited By: Published: Tue, 26 Jul 2022 09:15 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jul 2022 09:15 AM (IST)
1971 India-Pakistan War: लेफ्टिनेंट जनरल जेबीएस यादव ने सियालकोट में घुसकर पाकिस्तान सेना के छुड़ाए थे छक्के

गुरुग्राम/बादशाहपुर [महावीर यादव]। राष्ट्रसेवा के लिए 1964 में भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त अधिकारी भर्ती होकर जेबीएस यादव ने सेना में हमेशा अपने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय दिया। भारत पाकिस्तान की 1965 में छिड़ी जंग हो या बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए पाक सेना के साथ मुकाबला हो। इसके अलावा पंजाब और जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेना हो या फिर पूर्वोत्तर राज्यों में नक्सलियों से भिड़ंत हो। मेजर जेबीएस यादव हमेशा मोर्चे पर डटे रहे। 

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बिना डरे बोला था पाकिस्तान सेना पर हमला

गुरुग्राम के सेक्टर-23 में रहने वाले लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जेबीएस यादव मूल रूप से भिवानी जिला के आचीणा गांव के रहने वाले हैं। 1964 में सेना में भर्ती होने का गौरव प्राप्त किया। कमीशन प्राप्त अधिकारी के रूप में गोरखा रेजिमेंट में शामिल हुए। सेना में भर्ती होने के एक साल बाद ही भारत पाकिस्तान युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में बतौर लेफ्टिनेंट जेबीएस यादव ने अदम्य साहस का परिचय दिया। युद्ध के समय उनकी तैनाती बार्डर पर थी। भारत पाक सेना का युद्ध छिड़ा तो जेबीएस यादव ने अपने प्राणों की चिंता ना करते हुए कंपनी के साथ पाकिस्तान सेना पर हमला बोल दिया। पाक सैनिकों के छक्के छुड़ाते हुए जेबीएस यादव अपनी टुकड़ी के साथ सियालकोट सेक्टर में करीब 10-12 किलोमीटर तक पाकिस्तान में घुस गए थे।

वीर चक्र से किए गए सम्मानित

1971 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) को आजाद कराने के लिए पाकिस्तान के साथ छिड़ी जंग में मेजर जेबीएस यादव की विशेष भूमिका रही। जेबीएस यादव उस समय बोगरा पोस्ट पर तैनात थे। 13 तारीख को गोली लगने से वे गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल होने के बाद भी उन्होंने लड़ाई जारी रखी। पाकिस्तानी सेना के 20 टैंक उन्होंने अपनी टुकड़ी के साथ कब्जे में ले लिए। इस युद्ध में अदम्य साहस के लिए उनको वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

1971 में बतौर मेजर बार्डर पर थे तैनात जेबीएस यादव

जेबीएस यादव ने ‘आपरेशन रक्षक’ के बाद पंजाब के अमृतसर जिले में चुनाव में भी विशेष भूमिका निभाई। आतंकवाद समाप्त होने के बाद चुनाव में सेना की तैनाती की गई थी। 1996 में जम्मू कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी सेना की तैनाती के समय जेबीएस यादव का अहम रोल रहा। 2002 में जम्मू सेक्टर में ‘आपरेशन पराक्रम’ में भी उन्होंने अपने पराक्रम का परिचय दे बेहतर भूमिका निभाई।

पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई में भी निभाई भूमिका

लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जेबीएस यादव का कहना है कि 1947 में देश को स्वतंत्रता दिलाने लिए अनेक वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी। स्वतंत्रता बिना खड्ग बिना ढाल नहीं मिली है। स्वतंत्रता आसानी से नहीं बल्कि देश के वीरों ने खून बहा कर प्राप्त की है। स्वतंत्रता के बाद से ही उत्तर क्षेत्र से देश पर आक्रमण होते रहे हैं। राष्ट्र-विरोधी ताकतें लगातार देश के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करती रही है। स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए इस समय भी सतर्क रहने की जरूरत है। 1971 की पाकिस्तान के साथ लड़ाई देश के लिए एक महत्वपूर्ण लड़ाई थी। भारतीय सेना की बड़ी कामयाबी थी। बांग्लादेश को स्वतंत्रता मिली। उसके बाद 10 साल तक पाकिस्तान ने भारत के मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया और देश में शांति का माहौल बना रहा।


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