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    गोपाल कांडा बरी: हवाई चप्पल से हवाई जहाज तक और फिर मंत्री का सफर, 11 साल पहले गीतिका केस ने कैसे बदली जिंदगी?

    By Preeti GuptaEdited By: Preeti Gupta
    Updated: Tue, 25 Jul 2023 03:17 PM (IST)

    Former Haryana Minister Gopal Kanda Biography हाई प्रोफाइल गीतिका सुसाइड केस में आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मुख्य आरोपी गोपाल कांडा को बरी कर दिया है। साथ ही एमडीएलआर की मैनेजर अरुणा चड्ढा को भी निर्दोष करार दिया। साल 2005 में गीतिका ने सुसाइड कर लिया था। केस में गोपाल कांडा को 18 महीने जेल में भी रहना पड़ा था और मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

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    Gopal Kanda Biography: गीतिका सुसाइज केस में बरी हुए गोपाल कांडा

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Former Haryana Minister Gopal Kanda Biography: हाई प्रोफाइल गीतिका सुसाइड केस में आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट( Delhi's Rouse Avenue Court ने अहम फैसला सुनाया है। उन्होंने हत्याकांड के मुख्य आरोपी गोपाल कांडा को बरी कर दिया है। वहीं,  एमडीएलआर की मैनेजर अरुणा चड्ढा को भी निर्दोष करार दिया है।

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    हवाई चप्पल बेचने से लेकर और रियल एस्टेट फिर राजनीति में हाथ आजमाने वाले गोपाल कांडा हमेशा से विवादों में रहे हैं। कभी गीतिका सुसाइड केस तो कभी किसी और मामले में विवादों से उनका पुराना नाता रहा है। फर्श से अर्श तक पहुंचने वाली कहावत गोपाल कांडा पर एकदम सटीक बैठती है। आइए जानते गोपाल कांडा की अनटोल्ड स्टोरी के बारे में।

    कैसे पड़ा गोपाल कांडा नाम?

    गोपाल कांडा का पूरा नाम गोपाल गोयल कांडा (Gopal Goyal Kanda) है और उनके पिता पेशे से एक वकील थे। गोपाल कांडा नाम पड़ने के पीछे भी एक अनोखा किस्सा है। दरअसल, उनमें हमेशा से ही तरक्की पाने की ललक थी, इसलिए उन्होंने छोटे से लेकर बड़े व्यापार में अपना हाथ आजमाया था। सबसे पहले वह सिरसा जिले की सब्जी मंडी में ‘नाप तौल’ करते थे। मापतौल में तराजू (कांडा) का इस्तेमाल होता है, इसलिए उनका नाम भी कांडा पड़ गया।

    पहले टीवी रिपेयरिंग और फिर खोली जूते की फैक्ट्री

    गोपाल ने  मापतौल के बाद मनोरंजन के समान जैसे रेडियो और टीवी रिपेयरिंग की दुकान खोली और इसका नाम ज्यूपिटर म्यूजिक होम रखा था, लेकिन ख्वाब बड़े होने के कारण उनका इसमें गुजारा नहीं हो पा रहा था। जिसके चलते उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर जूते और चप्पल की दुकान खोल ली।

    कांडा शू कैंप के बाद बदली किस्मत

    कांडा शू कैंप खोलने के बाद से ही गोपाल कांडा की किस्मत का पासा पलटना शुरू हो गया। उनका यह कारोबार चल पड़ा जिससे के बाद उन्होंने जूते बनाने की फैक्ट्री शुरू कर दी। अब व्यापार बढ़ने के साथ-साथ गोपाल कांडा के कनेक्शन भी बढ़ने लगे थे। गोपाल ने बड़े बिजनेसमैन, बिल्डर और नेताओं के साथ अपने संबंधों को और मजबूत किया।

    साल 2008 में की एयरलाइन कंपनी की शुरुआत

    गोपाल कांडा का जैसे-जैसे कारोबार बढ़ता गया, उसी के साथ-साथ बड़े-बड़े अफसरों से भी रिश्ते और मजबूत होते चले गए। इसी बीच साल 2005 के बाद गुड़गांव की स्थिति बदल रही थी। हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी सबसे बड़ा जमींदार बन चुका था और इसमें भी गोपाल कांडा की जान-पहचान थी जिसके चलते वह रियल एस्टेट कारोबारी बन गए। गोपाल कांडा ने साल 2008 में एयरलाइन कंपनी की शुरुआत की थी। जिसका नाम उसने अपने पिता के नाम मुरलीधर लखराम (MDLR) के नाम पर रखा था।

    ऐसे गोपाल की कंपनी में गीतिका की हुई एंट्री

    गोपाल कांडा ने अपनी कंपनी में लड़कियों की भर्ती करना शुरू कर दिया था। इसी कंपनी से ही गोपाल कांडा की जिंदगी में गीतिका शर्मा (Geetika Sharma) की एंट्री हुई थी और वह उस पर ज्यादा ही मेहरबान थे। गीतिका को गोपाल कांडा ने पहले इंटरव्यू के बाद ट्रेनी केबिन क्रू का लेटर थमा दिया। फिर छह महीने बाद जैसे ही गीतिका 18 साल की हुई उसे एयर होस्टेस बना दिया।

    गीतिका को बनाया कंपनी का डायरेक्टर

    गोपाल कांडा की गीतिका पर मेहरबानी कम नहीं हुई। तीन साल की नौकरी के दौरान ही उन्होंने गीतिका को अपनी कंपनी का डायरेक्टर बना दिया। इन सालों के दौरान खबर यह  भी है कि गीतिका का शोषण होने लगा था। जिसके चलते गीतिका ने कंपनी से रिजाइन दे दिया और दुबई चली गई। लेकिन गोपाल ने उन्हें दुबई से वापस बुला लिया दोबारा नौकरी ज्वाइन करने के लिए घिनौनी शर्त रखी।

    2012 में गीतिका ने किया सुसाइड

    पुलिस के मुताबिक इन शर्तों में एक शर्त यह भी थी कि गीतिका रोज शाम को काम खत्म करने के बाद गोपाल कांडा से मिलेगी। इन सबसे वह इतना अधिक प्रताड़ित हो चुकी थीं कि उन्होंने अंत में अपनी जीवन लीला को समाप्त करने का ही फैसला कर लिया। 05 अगस्त, 2012 को गीतिका ने दिल्ली स्थित अपने फ्लैट में सुसाइड कर लिया था।

    गीतिका ने गोपाल पर लगाए संगीन आरोप

     सुसाइड करने से पहले गीतिका ने सुसाइड नोट लिखा था। जिसमें उन्होंने गोपाल कांडा पर कई संगीन आरोप लगाए थे। उन्होंने गोपाल कांडा पर अपने प्रति गलत नजर रखने और उनका गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। साथ ही उन्होंने एमडीएलआर की मैनेजर अरुणा चड्ढा को भी अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया था। गोपाल कांडा को इसके चलते 18 महीने जेल में भी रहना पड़ा था और हुड्डा मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा।

    2009 में पहली बार लड़ा चुनाव

    व्यापार के साथ-साथ गोपाल कांडा ने राजनीति में भी अपनी निगाहें जमाई हुई थी और कई नेताओं से भी अच्छे संबंध थे। जिसके चलते गोपाल ने साल 2009 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। वह सिरसा चुनाव जीत भी गए थे। वह 6 हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीते थे।

    हुड्डा सरकार में बने गृह राज्य मंत्री

    इस चुनाव में कांग्रेस हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों में से 40 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में तो उभरी लेकिन बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े से पीछे रह गई। ऐसे में भूपेंद्र हुड्डा ने गोपाल कांडा को अपने खेमे में कर लिया था। वह सीएम बने और उनकी ही सरकार में गोपाल को हरियाणा का गृह राज्य मंत्री बना दिया गया। उन्हें शहरी निकाय, उद्योग और वाणिज्य विभाग दिए गए थे। हालांकि, तीन साल बाद 2012 में गीतिका हत्याकांड के बाद उन्हें पद से इस्तीफा सौंपना पड़ा था।