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Gurugram News: स्वदेशी पोर्टेबल अस्पताल से आपदा में जीवन बचाना होगा आसान, NDRF से लेकर सेना को उपलब्ध होगी सुविधा

पहाड़ी हो या मैदानी क्षेत्र अब कहीं भी आपदा आने पर जीवन बचाना आसान होगा। आपदा स्थल पर 40 मिनट के भीतर आवश्यक सुविधाओं से युक्त पोर्टेबल अस्पताल तैयार हो जाएगा क्योंकि हेलीकाप्टर या जहाज से कहीं भी आपदा स्थल पर अस्पताल के विभिन्न भाग ले जाए जा सकेंगे। 72 घंटे तक अस्पताल में लोगों का इलाज किया जा सकेगा।

By Aditya RajEdited By: Abhishek TiwariTue, 05 Dec 2023 11:15 AM (IST)
Gurugram News: स्वदेशी पोर्टेबल अस्पताल से आपदा में जीवन बचाना होगा आसान, NDRF से लेकर सेना को उपलब्ध होगी सुविधा
Gurugram News: स्वदेशी पोर्टेबल अस्पताल से आपदा में जीवन बचाना होगा आसान

आदित्य राज, गुरुग्राम। पहाड़ी हो या मैदानी क्षेत्र अब कहीं भी आपदा आने पर जीवन बचाना आसान होगा। आपदा स्थल पर 40 मिनट के भीतर आवश्यक सुविधाओं से युक्त पोर्टेबल अस्पताल तैयार हो जाएगा क्योंकि हेलीकाप्टर या जहाज से कहीं भी आपदा स्थल पर अस्पताल के विभिन्न भाग ले जाए जा सकेंगे। 72 घंटे तक अस्पताल में लोगों का इलाज किया जा सकेगा।

आपदा आने के कुछ घंटों के भीतर यानी गोल्डन आवर में इलाज न शुरू होने से ही अधिकतर लोगों की मौत होती है। यदि तत्काल इलाज शुरू हो जाए तो काफी जान बचाई जा सकती है।

72 क्यूब को जोड़कर तैयार होगा एक पोर्टेबल अस्पताल

इसे ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल पर एचएलएल लाइफ केयर लिमिटेड ने आरोग्य मैत्री भीष्म क्यूब नामक पोर्टेबल अस्पताल का डिजाइन बनाई है। डिजाइन के मुताबिक 72 क्यूब को जोड़कर एक पोर्टेबल अस्पताल कहीं भी तैयार किया जा सकेगा।

प्रत्येक क्यूब का वजन लगभग 20 किलो होगा। इससे सभी क्यूब को एक साथ कहीं भी हेलीकाप्टर या जहाज से उठाकर ले जाना आसान होगा। क्यूब के साथ ही एक्स-रे मशीन, एमआरआइ, वेंटिलेंटर, पावर जेनरेटर सहित सभी आवश्यक सुविधाएं जुड़ी होंगी।

इस वजह से कहीं भी 40 मिनट के भीतर आवश्यक सुविधाओं से युक्त अस्पताल तैयार हो जाएगा। 72 क्यूब को आपस में जोड़ देने से एक समय में लगभग 200 लोगोें तक के इलाज करने का अस्पताल तैयार हो जाएगा।

36 क्यूब से 100 लोगों तक के इलाज करने का अस्पताल तैयार किया जा सकता है, लेकिन उसमें सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकेंगी। इसे ध्यान मेें रखकर 72 क्यूब को ही कहीं भी आपस में जोड़कर अस्पताल बनाया जाएगा।

एनडीआरएफ से लेकर सेना को उपलब्ध होगी सुविधा

पोर्टेबल अस्पताल बनाने के लिए क्यूब्स एनडीआरएफ से लेकर सेना को उपलब्ध कराए जाएंगे। कहीं भी आपदा आने पर एनडीआरएफ से लेकर सेना को लगाया जाता है। आपदा आने पर सबसे पहला काम फंसे लोगों को निकालना होता है।

लोगों को निकालकर एंबुलेंस या किसी अन्य माध्यम से अस्पताल तक पहुंचाया जाता है। इस प्रक्रिया में कई बार काफी देर हाे जाती है। रक्तस्राव अधिक होने से अधिकतर लोगों की मौत हो जाती है। ऐसे में यदि मौके पर अस्पताल की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो अधिकतर लोगों का जीवन बच जाएगा।

गुरुग्राम विश्वविद्यालय में दी जाएगी ट्रेनिंग

क्यूब्स को जोड़कर पोर्टेबल अस्पताल बनाने की ट्रेनिंग गुरुग्राम विश्वविद्यालय में दी जाएगी। केंद्र सरकार चाहती है कि भारत के इस कंसेप्ट का लाभ पूरी दुनिया को मिले। जो देश लाभ उठाने की इच्छा जाहिर करेंगे, उन देशों के कुछ लोगोें को पहले गुरुग्राम विश्वविद्यालय में ट्रेनिंग दी जाएगी।

सबसे पहले श्रीलंका सरकार ने इच्छा जाहिर की है। जल्द ही श्रीलंका सरकार के लोगों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किया जाएगा। पिछले सप्ताह अपने देश के कुछ लोगों के लिए विश्वविद्यालय में ट्रेनिंग प्रोग्राम किया गया था। प्रोग्राम के दौरान पोर्टेबल अस्पताल बनाकर भी सभी को दिखाया गया था।

विश्वविद्यालय में ट्रेनिंग विभाग के प्रो. अजय शर्मा का कहना है कि केंद्र सरकार की परियोजना भीष्म (भारत हेल्थ इनीशिएटिव फार सहयोग हित और मैत्री) के तहत कंपनी ने डिजाइन तैयार की है। इसका लाभ पहाड़ी क्षेत्रों के साथ देश के सुदूर इलाकों में जहां अस्पताल की सुविधा बेहतर नहीं है।

खुशी है कि भारत सरकार ने ट्रेनिंग देने के लिए गुरुग्राम विश्वविद्यालय का चयन किया है। कभी भी एक सप्ताह का ट्रेनिंग प्रोग्राम होगा। 30 से 40 मिनट में पोर्टेबल अस्पताल कहीं भी तैयार हो जाएगा क्योंकि क्यूब्स हेलीकाप्टर में लटकाकर ले जाया जाएगा। हेलीकाप्टर से कहीं भी क्यूब्स पहुंचाना आसान होगा। यह देश ही नहीं पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच से यह डिजाइन सामने आया है।

-- प्रो. दिनेश कुमार, कुलपति, गुरुग्राम विश्वविद्यालय