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    गुरुग्राम में 350 करोड़ के बजट के बावजूद सफाई व्यवस्था की हालत खस्ता, क्या दिवाली तक सुधरेगी?

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 06:45 PM (IST)

    गुरुग्राम में नगर निगम की लापरवाही के चलते शहर में कूड़ा फैला है। सफाई एजेंसियों को भुगतान के बावजूद स्थिति जस की तस है। 350 करोड़ के बजट के बावजूद शहर साफ नहीं हो पा रहा है। बंधवाड़ी में कूड़े का पहाड़ और कचरे का पृथक्करण न होना बड़ी समस्या है। स्थानीय निवासियों ने सफाई व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं जबकि निगम ने निगरानी और जुर्माने की बात कही है।

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    गुरुग्राम में नगर निगम की लापरवाही के चलते शहर में कूड़ा फैला है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। नगर निगम की एजेंसियों की लापरवाही के चलते साइबर सिटी में सड़कों के किनारे कूड़ा-कचरा फैला हुआ है। इन एजेंसियों द्वारा अपनी जिम्मेदारी न निभाने के बावजूद इन्हें हर महीने लाखों रुपये का भुगतान किया जा रहा है।

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    पिछले दो सालों से शहर की सफाई का जिम्मा भारती, आर्मी डेकोरेटर्स, वाईएलवी एसोसिएट्स, सुखमा एंड संस और केएस मल्टीफैसिलिटी क्लीनिंग एजेंसी पर है। एजेंसियों के लचर प्रदर्शन के कारण शहर की सफाई व्यवस्था बार-बार सवालों के घेरे में आती रही है। अगर यही हाल रहा तो इस दिवाली भी शहर साफ नहीं हो पाएगा।

    शहर की सफाई के लिए 350 करोड़ रुपये के सालाना बजट के बावजूद शहर स्वच्छ स्थिति हासिल करने में नाकाम रहा है।

    बंधवाड़ी में कूड़े का पहाड़, घर-घर से कूड़ा उठाने की शत-प्रतिशत व्यवस्था का न होना, कूड़ेदानों की कमी, घरों में सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग न कर पाना और सड़कों के किनारे कूड़े-कचरे के ढेर खुद-ब-खुद शहर की सफाई के प्रति अधिकारियों की लापरवाही को दर्शाते हैं।

    हरित पट्टी, पार्क और सड़कों सहित आवासीय क्षेत्रों में कचरा बिखरा पड़ा है। निगम का सबसे बड़ा बजट स्वच्छता पर खर्च होता है। बंधवाड़ी में अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्र की कमी के कारण, कचरा निपटान अपर्याप्त है।

    • 65 प्रतिशत घरों से कचरा एकत्र किया जा रहा है।
    • 70 प्रतिशत आवासीय क्षेत्रों की सफाई की जा रही है।
    • 15 प्रतिशत स्रोत पृथक्करण के परिणामस्वरूप मिश्रित कचरा लैंडफिल में पहुंच जाता है।
    • 30 प्रतिशत कचरा डंप स्थलों का उपचार किया जा रहा है।
    • 0 प्रतिशत कचरे का निपटान किया जा रहा है।

    एजेंसियों पर जुर्माना आधारित जुर्माना

    शहर में पांच स्वच्छता एजेंसियाँ कार्यरत हैं। एक ही स्थान पर कचरा पाए जाने पर दो हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। अब तक लाखों रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है, लेकिन कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है।

    सेक्टर 46 2014 में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधीन था। उस समय यहाँ की आबादी तीन हज़ार थी और सफ़ाई कर्मचारियों की संख्या 27 थी। अब, आबादी बीस हज़ार है और केवल आठ से दस सफ़ाई कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। वे कर्मचारी भी नियमित रूप से ड्यूटी पर नहीं आते।

    -आर.के. यादव, अध्यक्ष, आरडब्ल्यूए, सेक्टर 46

    सफाई व्यवस्था न होने के कारण समसपुर इलाके में कूड़े के ढेर लग गए हैं। न तो कूड़ा उठ रहा है और न ही नियमित रूप से सफ़ाई हो रही है। सामुदायिक केंद्र और सरकारी स्कूल के पास कूड़ा बिखरा पड़ा है।

    -योगेंद्र सिंह, समसपुर

    सफाई कार्य की नियमित रूप से फ़ील्ड में निगरानी की जा रही है। अगर एजेंसी की ओर से कोई लापरवाही पाई जाती है, तो जुर्माना लगाया जाएगा।

    -संदीप कुमार, वरिष्ठ सफ़ाई निरीक्षक, नगर निगम, गुरुग्राम।