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    देश के सबसे बड़े आईटी हब में किसकी लापरवाही से हुआ जलभराव, ढाई महीने से परेशान शहरवासियों को कब मिलेगा समाधान?

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 05:48 PM (IST)

    गुरुग्राम जो कभी आईटी हब था जलभराव से जूझ रहा है। मानसून में 159 स्थानों पर जलभराव हुआ जिससे यातायात प्रभावित हुआ। अधूरे ड्रेनेज सिस्टम और नालों पर अतिक्रमण के कारण समस्या बढ़ रही है। सरकारी तंत्र अस्थायी समाधानों पर निर्भर है लेकिन स्थायी समाधान की आवश्यकता है। जीएमडीए नए नाले का निर्माण कर रहा है लेकिन जलभराव की समस्या अभी भी बनी हुई है।

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    गुरुग्राम, जो कभी आईटी हब था, जलभराव से जूझ रहा है। मानसून में 159 स्थानों पर जलभराव हुआ। फाइल फोटो

    संदीप रतन, गुरुग्राम। साइबर सिटी। दुनिया भर में आईटी इंडस्ट्री के हब के रूप में जाना जाता है। लेकिन पिछले दो-तीन सालों से यह अपनी पहचान खोता जा रहा है। कूड़ा गाँव, पानी गाँव और कभी प्रदूषण गाँव... बस यही बचा है और लोग अब इसे रहने लायक नहीं समझते। लगभग ढाई महीने से शहरवासी जलभराव और ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहे हैं।

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    सरकारी तंत्र अपनी कमियों को सुधारने में जुटा है, लेकिन लोगों की परेशानी कम नहीं हो रही। शहर पूरी बारिश में जलभराव में डूबा रहा। अगर यही तैयारियां साल भर चलती रहीं, तो जलनिकासी का नेटवर्क बेहतर हो जाएगा और मानसून में इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।

    नगर निगम और जीएमडीए ने अस्थायी व्यवस्था करके पानी की निकासी तो कर दी, लेकिन अब स्थायी व्यवस्था करने की ज़रूरत है।

    इस बार मानसून में गुरुग्राम में 159 जगहों पर जलभराव हुआ। इनमें 100 से ज़्यादा निचले इलाके हैं और कहीं जलनिकासी व्यवस्था अधूरी है तो कहीं नालों और सीवरों की सफाई नहीं हुई है।

    इंजीनियरिंग विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ड्रेनेज और सीवर नेटवर्क अधूरा है, जिसके कारण जल निकासी संभव नहीं है। गुरुग्राम में आंतरिक नालों का मुख्य नाले से संपर्क न होने और मुख्य नाले की कम क्षमता के कारण मानसून के दिनों में व्यवस्था गड़बड़ा जाती है।

    2024 में 112 संवेदनशील स्थान थे

    वर्ष 2024 में शहर में 112 से ज़्यादा ऐसे स्थान थे, जहां जलभराव था। विभागों ने जलभराव की समस्या को रोकने के लिए योजना तो बनाई, लेकिन अधूरे काम के कारण वे अभी भी ड्रेनेज पंपों और अस्थायी मशीनरी पर निर्भर हैं। 29 जुलाई 2016 को हीरो होंडा चौक इलाके में जलभराव के कारण दिल्ली-जयपुर हाईवे पर भीषण जाम लग गया था।

    तब 21 घंटे तक वाहनों के पहिए थमे रहे। इसके बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। 1 सितंबर को भारी बारिश के दौरान दिल्ली-जयपुर हाईवे पर बीस किलोमीटर लंबा जाम लग गया था।

    इस बार भी हाईवे पर अस्थायी व्यवस्था

    दिल्ली-जयपुर हाईवे पर नरसिंहपुर में जलभराव के कारण हीरो होंडा चौक से खेड़की दौला टोल प्लाजा तक दस किलोमीटर लंबा जाम लग गया है। यहाँ हाईवे और सर्विस लेन पर कई फीट जलभराव के कारण वाहन भी पानी में डूबकर क्षतिग्रस्त हो रहे हैं।

    हाईवे पर आवाजाही पूरी तरह प्रभावित है। अक्सर दस घंटे तक यातायात बाधित रहता है। एनएचएआई, जीएमडीए और नगर निगम नरसिंहपुर में पंप लगाकर पानी की निकासी करते हैं। लेकिन समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं है। 700 मीटर लंबा एक नया नाला भी तैयार किया गया है, जिससे इस मानसून में कुछ राहत मिली है।

    अगले साल तक चौथे चरण का नाला बन जाएगा

    दिल्ली-जयपुर हाईवे पर जलभराव से निजात दिलाने के लिए गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) वाटिका चौक से एसपीआर के साथ-साथ दिल्ली जयपुर हाईवे तक एक नए नाले का निर्माण कर रहा है। इस पर लगभग 90 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

    इस नाले को तीसरे चरण यानी बादशाहपुर नाले से जोड़ा जाएगा ताकि नरसिंहपुर में पानी का दबाव कम हो और जलभराव से राहत मिले। पाँच किलोमीटर लंबे इस नाले का निर्माण अगले साल तक पूरा हो जाएगा।

    ये हैं संवेदनशील जगहें

    शहर में बसई रोड, पटौदी रोड भारी बारिश में पूरी तरह जलमग्न हो जाते हैं। पटौदी रोड पर नाले का निर्माण नहीं हुआ है। इसके अलावा शीतला माता रोड, सुशांत लोक क्षेत्र, डीएलएफ, गोल्फ कोर्स रोड एक्सटेंशन, उद्योग विहार, पुरानी दिल्ली रोड, सेक्टर 10ए, न्यू कॉलोनी, कृष्णा कॉलोनी, मदनपुरी, सेक्टर 4-7, प्रताप नगर, पटेल नगर, चार आठ मरला, अर्जुन नगर, लक्ष्मण विहार, राजेंद्र पार्क, सेक्टर 14, 36, 37, 46, 82, 83, 84 और सेक्टर 85 की सड़कों पर जलभराव है।

    इन सड़कों पर जल निकासी के उचित प्रबंध नहीं हैं। यहाँ का ड्रेनेज सिस्टम मुख्य लाइनों से जुड़ा नहीं है। सुभाष चौक, एसपीआर, राजीव चौक, वाटिका चौक और उनके अंडरपास में जलभराव से वाहनों की आवाजाही भी प्रभावित होती है।

    • वर्ष 2020 में 79 स्थानों पर जलभराव हुआ था।
    • वर्ष 2021 में 39 स्थानों पर जलभराव हुआ।
    • वर्ष 2022 में जलभराव की दृष्टि से 34 स्थानों को संवेदनशील चिह्नित किया गया था।
    • वर्ष 2023 में 31 स्थानों पर और अधिक जलभराव हुआ।
    • वर्ष 2024 में 112 स्थानों पर पानी की निकासी नहीं हुई। इस वर्ष 159 स्थानों पर जलभराव हुआ।

    ये विभाग हैं जिम्मेदार

    • एनएचएसआई - सभी राजमार्गों पर जल निकासी की जिम्मेदारी।
    • नगर निगम - आंतरिक सड़कों और आवासीय क्षेत्रों से जल निकासी।
    • जीएमडीए - सभी मुख्य सड़कों से जल निकासी।

    जलभराव के ये हैं कारण

    • नालों की सफाई न होने और उन पर अतिक्रमण के कारण जल निकासी संभव नहीं है।
    • कई जगहों पर बरसाती नालों में अवैध रूप से सीवर कनेक्शन भी जोड़ दिए गए हैं।
    • आयुध डिपो के 900 मीटर प्रतिबंधित क्षेत्र में स्थित अवैध कॉलोनियों सहित अन्य अवैध कॉलोनियों के पास से गुजरने वाले नालों पर अतिक्रमण कर लिया गया है। इससे नालियाँ जाम हो गई हैं।
    • जल निकासी व्यवस्था अधूरी होने के कारण सुशांत लोक 2 के डी, ई और एफ तथा सुशांत लोक 3 के ब्लॉक में भारी जलभराव हो जाता है।