गुरुग्राम में जलभराव की समस्या का समाधान करेगी कृत्रिम झील, भूजल स्तर भी सुधारेगा
गुरुग्राम में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए कृत्रिम झीलें बनाने का प्रस्ताव है। केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने अधिकारियों को शहर के विभिन्न हिस्सों में झीलें बनाने का सुझाव दिया है खासकर धनचिरी कैंप क्षेत्र में। पहले वजीराबाद में बनी झील से जलभराव कम हुआ था। नालों को झीलों से जोड़ने से वर्षा जल का संचयन होगा और भूजल स्तर सुधरेगा। इसके लिए सर्वेक्षण किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। साइबर सिटी में हर मानसून में जलभराव की समस्या बढ़ती जा रही है। इस चुनौती से निपटने के लिए, केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने अधिकारियों को शहर के विभिन्न हिस्सों में कृत्रिम झीलें बनाने का सुझाव दिया है।
उन्होंने धनचिरी कैंप क्षेत्र में भी एक झील बनाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया। इससे आसपास के इलाके में जलभराव से राहत मिलेगी। गुरुवार को केंद्रीय राज्य मंत्री ने जीएमडीए और नगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक की।
गौरतलब है कि जीएमडीए ने इससे पहले वजीराबाद क्षेत्र में एक कृत्रिम झील का निर्माण किया था। इसके बाद, नए गुरुग्राम के कई इलाकों में बारिश के दौरान जलभराव की समस्या काफी कम हो गई थी। इस अनुभव के आधार पर, अब शहर के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह की परियोजनाओं पर विचार किया जा रहा है।
बरसात के पानी के नालों को जोड़ें
राव इंद्रजीत सिंह ने अधिकारियों को नालों और झीलों के बीच कनेक्शन स्थापित करने के निर्देश दिए। इससे न केवल तालाबों और झीलों का संरक्षण होगा, बल्कि साल भर वर्षा जल संचयन भी संभव होगा। इससे गुरुग्राम जैसे डार्क ज़ोन वाले इलाकों में भूजल स्तर को रिचार्ज करने में मदद मिलेगी।
भूजल स्तर में सुधार होगा
विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ते शहरीकरण और भूजल दोहन के कारण गुरुग्राम का जल संकट गहराता जा रहा है। ऐसे में, वर्षा जल संचयन द्वारा प्राकृतिक स्रोतों को पुनर्जीवित करना अत्यंत आवश्यक है। नालों के पानी को कृत्रिम झीलों में डालने से जलभराव कम होगा और भूजल स्तर में सुधार होगा।
सर्वेक्षण किए जाएंगे
अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना के लिए एक प्रारंभिक सर्वेक्षण किया जाएगा और उपयुक्त स्थानों की पहचान की जाएगी। इसके बाद, एक तकनीकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी और झील निर्माण की दिशा में काम आगे बढ़ेगा। उम्मीद है कि इस पहल से गुरुग्राम में जलभराव कम होगा और पानी की कमी से जूझ रहे क्षेत्रों का स्थायी समाधान होगा।
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