गुरुग्राम में सड़क दुर्घटनाएं एक गंभीर समस्या, सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े
गुरुग्राम में सड़क दुर्घटनाएं एक गंभीर समस्या बनी हुई हैं जिसमें हर साल सैकड़ों लोग अपनी जान गंवाते हैं। इस साल भी 300 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। दोषपूर्ण सड़क डिज़ाइन यातायात प्रबंधन में कमी गड्ढे और फुटपाथों पर अतिक्रमण मुख्य कारण हैं। सड़क सुरक्षा समिति की बैठकों के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है जिससे दुर्घटनाओं का खतरा लगातार बना हुआ है।

विनय त्रिवेदी, गुरुग्राम। गुरुग्राम में हर साल सड़क हादसों में चार सौ से ज़्यादा मौतें होती हैं। इस साल यह आंकड़ा 300 से ऊपर पहुंच गया है। सड़क हादसों के मुख्य कारण दोषपूर्ण सड़क डिज़ाइन, अपर्याप्त यातायात प्रबंधन, गड्ढे और खराब सड़कें हैं।
शहर की सड़कों पर फुटपाथों की कमी के कारण पैदल यात्री सड़क पर ही चलते हैं, जिससे अक्सर दुर्घटनाएँ होती हैं। साइकिल ट्रैक की कमी के कारण भी साइकिल सवारों के साथ कई दुर्घटनाएँ हुई हैं।
हर महीने, जिला पुलिस और प्रशासन के अधिकारी उपायुक्त की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में शामिल होते हैं और विभिन्न एजेंडे तय करते हैं। हालांकि, इन एजेंडे पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। संबंधित अधिकारी सड़क सुरक्षा के प्रति उदासीन प्रतीत होते हैं, जिसके कारण यह समस्या महीनों और वर्षों से बनी हुई है। शहर की सड़कों की स्थिति पर गौर कीजिए।
बस स्टैंड से लेकर सोहना चौक तक, दोनों तरफ पैदल चलने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। लोगों ने फुटपाथों पर खोखे और छोटी-छोटी दुकानें बना ली हैं। बाकी कसर टेम्पो चालक पूरी कर देते हैं। वे जहाँ चाहें अपने टेम्पो खड़े कर देते हैं, जिससे सड़क जाम हो जाती है।
इससे पैदल चलने वालों के लिए कोई जगह नहीं बचती और उन्हें सड़क पर ही चलना पड़ता है। इससे अक्सर दुर्घटनाएँ होती हैं। शहर के कई इलाके दुर्घटना-प्रवणता के लिए जाने जाते हैं। राजीव चौक, सोहना चौक, मोर चौक, कृष्णा चौक, पटौदी चौक, हीरो होंडा चौक, बसई चौक, चंदू रोड, पटौदी रोड, द्वारका एक्सप्रेसवे और उमंग भारद्वाज रोड, ये सभी दुर्घटना-प्रवण इलाके हैं।
राजीव चौक विशेष रूप से संवेदनशील है। यहाँ कई कमियाँ हैं, पैदल चलने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। सुरक्षा उपाय नदारद हैं। ज़िले में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में 150 से ज़्यादा पैदल यात्री मारे जाते हैं। सोहना चौक पर यातायात की स्थिति बेहद खराब है, जिससे यहाँ भी दुर्घटनाएँ होने का खतरा बना रहता है।
उमंग भारद्वाज रोड और पटौदी रोड पर इतने गड्ढे हैं कि अक्सर वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। हीरो होंडा चौक के पास हाईवे का एकल प्रवेश और निकास बिंदु दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण है।
हाईवे पर 30 से ज़्यादा ब्लैक स्पॉट
शहर की सड़कों के अलावा, हाईवे पर सबसे ज़्यादा दुर्घटनाएँ होती हैं। शहर की सीमा से लगे 35 किलोमीटर लंबे इस राजमार्ग पर ब्लैक स्पॉट हैं। इनमें सिरहौल टोल प्लाजा, शंकर चौक, इफको चौक, झाड़सड़ा चौक, राजीव चौक, हीरो होंडा चौक, मानेसर, पचगांव, बिलासपुर, कापड़ीवास आदि शामिल हैं। हाल ही में केंद्र सरकार के संजय ऐप के माध्यम से यातायात पुलिस और संबंधित विभागों को इसकी जानकारी भेजी गई थी। हालाँकि, एनएचएआई वर्तमान में राजमार्ग की मरम्मत में लगा हुआ है।
अतिक्रमण ने बिगाड़ दी है फुटपाथों की सूरत
सोहना चौक से बस स्टैंड, महावीर चौक, पुराना रेलवे रोड, नया रेलवे रोड, झाड़सड़ा रोड, लघु सचिवालय रोड, मिलेनियम सिटी सेंटर से सुभाष चौक, व्यापार केंद्र रोड, एमजी रोड, महरौली रोड सहित अन्य प्रमुख सड़कों पर फुटपाथ अतिक्रमण के कारण अस्पष्ट हैं। पुरानी दिल्ली रोड पर तो फुटपाथों का इस्तेमाल पार्किंग के लिए किया जा रहा है।
यहां साइकिल बनाए गए हैं ट्रैक
मिलेनियम सिटी सेंटर से सुभाष चौक तक 10 किलोमीटर लंबा साइकिल ट्रैक है। रेजांग ला चौक से दिल्ली सीमा तक 3 किलोमीटर लंबा साइकिल ट्रैक है। महाराणा प्रताप चौक से अतुल कटारिया चौक तक 1.5 किलोमीटर लंबा ट्रैक है। शंकर चौक तक 4 किलोमीटर लंबा साइकिल ट्रैक है।
यहां साइकिल ट्रैक बनाने की योजना
इफको चौक से एसपीआर तक 15 किलोमीटर लंबा ट्रैक बनाया जाएगा। इफको चौक से सिकंदरपुर मेट्रो स्टेशन तक 5 किलोमीटर लंबा ट्रैक बनाया जाएगा और सिकंदरपुर मेट्रो स्टेशन से दिल्ली सीमा तक 6 किलोमीटर लंबा ट्रैक बनाया जाएगा।
वर्षवार सड़क दुर्घटनाएं
वर्ष | दुर्घटनाएं | घायल | मृत्यु |
---|---|---|---|
2021 | 944 | 845 | 377 |
2022 | 1040 | 886 | 404 |
2023 | 1172 | 874 | 494 |
2024 | 1019 | 750 | 448 |
2025 | 750 | 650 | 310 |
यातायात पुलिस सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर है। राजमार्गों और अन्य स्थानों पर प्रतिदिन वाहन चालकों को गश्त पर भेजा जाता है। सड़क सुरक्षा समिति की बैठकों में भी मुद्दे उठाए जाते हैं। इस बारे में संबंधित अधिकारियों को समय-समय पर पत्र लिखकर सूचित भी किया जाता है।
-डॉ. राजेश मोहन, डीसीपी यातायात
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