Gurugram में बाढ़ जैसे हालात, कहीं धंसी तो कहीं डूब गईं सड़कें; एक ट्रक पलटा और कई वाहन हुए खराब
गुरुग्राम में बीते 24 घंटे में 133 मिमी बारिश दर्ज की गई जिससे शहर अस्त-व्यस्त हो गया। इस मानसून सीजन की यह सर्वाधिक वर्षा रही जिसने नगर निगम और जीएमडीए की पोल खोल दी। सदर्न पेरीफेरल रोड पर सड़क धंस गई और ट्रक पलट गया। दिल्ली-जयपुर हाईवे पर नरसिंहपुर के पास सर्विस लेन डूब गई जिससे लंबा जाम लग गया।

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। गुरुग्राम में साइबर सिटी में बीते 24 घंटे में सबसे अधिक 133 मिमी बारिश दर्ज की गई, जिससे शहर का जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया। गुरुग्राम में यह इस मानसून सीजन की सर्वाधिक वर्षा रही, जिसने नगर निगम और जीएमडीए की तैयारियों की पोल खोल दी।
बताया गया कि रातभर जलभराव के कारण लोग सड़कों पर फंसे रहे। कई इलाकों में कारें बंद हो गईं, कुछ स्थानों पर सड़कें ही धंस गईं। मेदांता अंडरपास में जलभराव हो गया, जिसके कारण यहां पर यातायात को रोकना पड़ा।
वहीं, सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र सदर्न पेरीफेरल रोड रहा, जहां वर्षा के कारण सड़क धंस गई और यहां पर एक ट्रक पलट गया। इस मार्ग पर यातायात ठप हो गया। सेक्टर-22 में बारिश और तेज हवाओं के कारण कई पेड़ गिर गए, जिससे बिजली आपूर्ति भी बाधित हुई।
उधर, सुभाष चौक और सोहना रोड पर गाड़ियों की लंबी कतारें देखी गईं। सोहना रोड पर कई वाहन वर्षा के पानी में बंद होकर खराब हो गए। जलभराव के कारण कई वाहन चालकों को गाड़ी धक्का देकर निकालनी पड़ी।
नरसिंहपुर में डूबी सर्विस लेन
दिल्ली-जयपुर हाईवे पर नरसिंहपुर के पास सर्विस लेन पूरी तरह से पानी में डूब गई, जिससे हाईवे पर लंबा जाम लग गया। लोग रात एक बजे तक जलभराव में फंसे रहे। ऑफिस से लौट रहे कर्मचारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। लोग घर देर रात पहुंचे।
सीजन की सबसे ज्यादा वर्षा हुई
वर्षा के आंकड़ों की बात करें तो मुख्य गुरुग्राम में 133 मिमी, वजीराबाद में 122 मिमी, कादीपुर और हरसरू में 119 मिमी, फरुखनगर में 67 मिमी, मानेसर में 55 मिमी, बादशाहपुर में 48 मिमी और सोहना में 18 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई। सबसे कम वर्षा सोहना में दर्ज हुई, लेकिन शहर के बाकी हिस्सों में हालात बेहद खराब हो गए।
वर्षा में बह गए सरकारी दावे
इस भारी वर्षा ने नगर निगम और जीएमडीए की जल निकासी व्यवस्था की पूरी तरह से पोल खोल दी है। मानसून से पहले नालों की सफाई के बड़े-बड़े दावे किए गए थे, लेकिन सच्चाई सामने आते ही सभी दावे कागजी साबित हुए। शहर के अधिकांश इलाकों में नाले ओवरफ्लो हो गए, और जल निकासी न होने के कारण सड़कें तालाब बन गईं।
वहीं, स्थानीय लोगों ने नगर निगम अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि हर साल वर्षा में यही हाल होता है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं किया जाता।
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