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    Gurugram Crime: 30 साल बाद पकड़ा गया सेना का कांस्टेबल पासा, पूरी तरह से फिल्मी है कहानी, 28 फिल्मों में भी कर चुका काम

    By Vinay Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Mon, 01 Aug 2022 01:51 PM (IST)

    Gurugram Crime ओमप्रकाश उर्फ पासा सेना में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत था। वह 1984 से गैरहाजिर चल रहा था। गैरहाजिरी के दौरान ही वह अपराध की दुनिया में ...और पढ़ें

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    Gurugram Crime: गाजियाबाद में रहकर उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय फिल्मों में करता था काम

    गुरुग्राम [आदित्य राज]। हत्या और लूट सहित कई मामलों में 30 साल से फरार चल रहे आरोपित ओमप्रकाश उर्फ पासा को सोमवार सुबह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हरबंश नगर से स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की गुरुग्राम टीम ने काबू कर लिया। वह मूल रूप से पानीपत जिले के गांव नारायणा का रहने वाला है।

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    उसके ऊपर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए वह गाजियाबाद के हरवंश नगर में रह रहा था। फरारी के दौरान वर्ष 2007 से लेकर अब तक उसने 28 से अधिक क्षेत्रीय फिल्में कीं। इनमें टकराव, दबंग छोरा यूपी, झटका मुख्य रूप से शामिल हैं।

    जिले के गांव मुबारिकपुर के रहने वाले धर्म सिंह की हत्या भिवानी जिले के सदर थाना क्षेत्र में लूट के इरादे से चाकू मारकर 15 जनवरी 1992 को कर दी गई थी। मामले में ओमप्रकाश उर्फ पासा का नाम आया था। तभी से वह फरार चल रहा था। पुलिस की गिरफ्त में आने से बचने के लिए वह गाजियाबाद के हरवंश नगर में जाकर रहने लगा।

    वहीं पर दूसरी शादी कर दी। तीन बच्चे हैं। पहली पत्नी की मृत्यु हो चुकी है। उसे पकड़ने के लिए लंबे समय से टीम प्रयासरत थी। रविवार शाम उसके ठिकाने के बारे में पूरी जानकारी हासिल होने के बाद एसटीएफ में गुरुग्राम के एसपी जयबीर सिंह राठी और डीएसपी दीपक कुमार और सब इंस्पेक्टर रामनिवास के मार्गदर्शन में टीम गाजियाबाद पहुंची और उसे सोमवार सुबह दबोचकर भिवानी सदर थाना पुलिस के हवाले कर दिया गया।

    सेना में कांस्टेबल था पासा

    ओमप्रकाश उर्फ पासा सेना में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत था। वह 1984 से गैरहाजिर चल रहा था। गैरहाजिरी के दौरान ही वह अपराध की दुनिया में प्रवेश कर गया। 1988 में उसे सेना से डिसमिस कर दिया गया था। पहले वह चोरी जैसी वारदात करता था। धीरे-धीरे लूट जैसी वारदात को अंजाम देने का प्रयास करने लगा था। हत्या के मामले में नाम आने के बाद वह हरियाणा छोड़कर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में रहने लगा था।

    पासा के ऊपर दर्ज मामले

    सोनीपत के शहर थाने में 1986 के दौरान कार चोरी का मामला दर्ज किया गया। पानीपत सदर थाने में 1990 के दौरान बाइक चोरी के साथ ही मशीन चोरी के मामले दर्ज किए गए। सोनीपत के खरखोदा थाने में 1990 के दौरान स्कूटर चोरी का मामला दर्ज किया गया।

    15 जनवरी 1992 को भिवानी सदर थाने में लूट के इरादे से हत्या करने का मामला दर्ज किया गया। राजस्थान में भी दो मामले दर्ज हैं। इसे पकड़ने में एसटीएफ में सब इंस्पेक्टर विकास, सब इंस्पेक्टर विवेक कुमार, कांस्टेबल सूर्यकांत, धर्मेंद्र, दिनेश कुमार, नरेंद्र कुमार और प्रदूमन ने विशेष भूमिका निभाई।