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    Year Ender 2024: गुरुग्राम में बूस्टर डोज के इंतजार में सरकारी शिक्षा, निजी संस्थानों की चांदी

    Year Ender 2024 गुरुग्राम की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय भवन अधूरे हैं संसाधनों की कमी है और नए कोर्स की कमी है। वहीं युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्टार्टअप की पहल ठंडे बस्ते में है। हालांकि कुछ उपलब्धियां भी हैं जैसे गर्ल्स कॉलेज में हॉस्टल की घोषणा और 350 प्राइमरी स्कूलों में बाल वाटिका खुलना।

    By joohi dass Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Sun, 22 Dec 2024 02:56 PM (IST)
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    गुरुग्राम विश्वविद्यालय की फाइल फोटो। सौ.- जागरण

    जूही दास, गुरुग्राम। मिलेनियम सिटी के रूप में पहचान रखने वाले शहर की शिक्षा व्यवस्था आज भी उड़ान नहीं भर पाई है। इसका प्रमुख कारण शिक्षा के क्षेत्र में विकास का न होना है। कहीं पर संसाधनों का अभाव है तो कहीं पर प्राध्यापक व शिक्षक ही नहीं है। 

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    यही कारण है कि शिक्षा का क्षेत्र आज भी अछूता रहता नजर आता है। मजबूरन हजारों की संख्या में विद्यार्थियों को दिल्ली विश्वविद्यालय का रुख करना पड़ता है। अगर यहां पर प्रवेश नहीं मिलता तो प्राइवेट महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने का मजबूर हैं।

    ठंडे बस्ते में स्टार्टअप की पहल

    नतीजतन निजी शिक्षण संस्थान चांदी काट रहे हैं। यहां युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्टार्टअप की पहल ठंडे बस्ते में है। महाविद्यालयों में विद्यार्थियों को स्टार्टअप से जोड़ने और रोजगारपरक कोर्स कराने के उद्देश्य से इंक्यूबेशन सेंटर तो खोले गए हैं, लेकिन इसमें नाम मात्र युवाओं को ही सफलता मिली है।

    आत्मनिर्भर बनाने को लेकर स्कूलों में वोकेशनल विषय जरूर पढ़ाए जाते हैं। बदलते समय के अनुसार यहां की शिक्षा व्यवस्था को अपडेट करने की जरूरत है।

    सालों से महाविद्यलयों के भवन की बांट

    गुरुग्राम विश्वविद्यालय का भवन भी इतने वर्षों में तैयार नहीं हो पाया है। पिछले पांच वर्षों में रिठौज स्थित राजकीय महाविद्यालय, पटौदी का राजकीय महाविद्यालय, मानेसर का राजकीय महाविद्यालय आज तक बनकर तैयार नहीं हो पाया है।

    इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य संसाधनों का अभाव बरकरार

    जिले के कुछ सरकारी स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो यहां पर भारी संख्या में इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य संसाधनों की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि विभाग संसाधनों की मांग से अनजान है। इसके बाद भी कोई सुध तक नहीं ली जाती है।

    पुराने कड़ियों वाले कमरें आज भी शहर के सरकारी स्कूलों में देखने को मिलते हैं। कुछ के भवन तो तोड़ दिए लेकिन नए ही नहीं बन पाए हैं।बजट पास होने में सालों लग जाते हैं।

    भीमगढ़ खेड़ी, गांव ग्वाल पहाड़ी, हेलीमंडी, गांव बाबुपूर, न्यू कालोनी समेत सोहना, पटौदी और फरुखनगर के कई सरकारी स्कूलों के पास बेहतर भवन तक नहीं हैं। कहीं दो कमरों में कक्षाएं चल रही हैं तो कहीं पर टूटे कमरों में विद्यार्थी पढ़ने को विवश हैं।

    पुराने कोर्स होने से छात्रों का छट रहा रुझान

    इस बार ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में छात्रों में रुझान नहीं नजर आया। करीब 11 सीटों में 20 प्रतिशत से ज्यादा सीटें खाली रहीं। इसका मुख्य कारण अच्छे कोर्स का नहीं होना था।

    जिले में राजकीय महाविद्यालयों की संख्या 09
    कुल विश्वविद्यालय 13
    सरकारी विश्वविद्यालय 01
    प्राइवेट विश्वविद्यालय 12
    इंक्यूबेशन सेंटर 01
    सरकारी स्कूल 577
    मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूल 526
    कुल प्राइवेट स्कूल 1000 से अधिक
    औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र 04

    यह है कमियां

    • गुरुग्राम विश्वविद्यालय को नहीं मिला पूरा खुद का भवन
    • निर्माण कार्य अधर में, उधार के भवनों में संचालित हैं नए महाविद्यालय
    • खाली पड़े शिक्षकों और प्राध्यापकों के पद
    • नहीं मिले नए कोर्सों के विकल्प
    • महिला महाविद्यालय में बनने वाला पवेलियन का कार्य अधर में लटका

    यह मिलीं उपलब्धियां

    • इस वर्ष गर्ल्स कॉलेज में हास्टल की हुई है घोषणा
    • 350 प्राइमरी स्कूलों में बाल वाटिका खुलीं
    • गुरुग्राम विश्वविद्यालय में 20 से ज्यादा नए कोर्स शुरू हुए
    • वर्ष 2017 से रुके शिक्षकों के इंटर डिस्ट्रिक्ट ट्रांसफर हुए
    • 100 से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती हुई है।
    • कॉलेजों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हुई