Gurugram News: अमेरिकी नागरिकों को ग्रांट का झांसा देकर करते थे ठगी, पुलिस ने फर्जी काल सेंटर से नौ लोगों को दबोचा
Fake Call Centre in Gurugram अमेरिकी नागरिकों को सरकारी ग्रांट दिलाने का झांसा देकर ठगी करने वाले फर्जी काल सेंटर का मुख्यमंत्री उड़नदस्ता ने स्थानीय पुलिस व साइबर अपराध टीम के साथ मिलकर भंडाफोड़ किया है। पुलिस टीम ने नौ लोगों को गिरफ्तार किया है।
गुरुग्राम, जागरण संवाददाता: अमेरिकी नागरिकों को सरकारी ग्रांट दिलाने का झांसा देकर ठगी करने वाले एक फर्जी काल सेंटर का मुख्यमंत्री उड़नदस्ता ने स्थानीय पुलिस व साइबर अपराध टीम के साथ मिलकर भंडाफोड़ किया है। इससे पहले भी इस तरह के कई फर्जी काल सेंटर पकड़े गए हैं। सेक्टर-48 के जेएमडी मेगापोलिस माल में छह माह से यह फर्जी काल सेंटर चलाया जा रहा था।
पुलिस पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि काल सेंटर पिछले छह महीने से चलाया जा रहा है। इसका 85 हजार रुपये प्रतिमाह किराया दिया जा रहा है। इससे पहले भी आरोपितों ने काल सेंटर चलाया था। कोविड-19 के समय बंद कर दिया था। सदर थाना में सभी नौ आरोपितों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है। अदालत में पेश कर एक दिन के रिमांड पर लिया गया है। रिमांड के दौरान आरोपितों से पूछताछ की जाएगी।
नौ लोगों को दबोचा
मुख्यमंत्री उड़नदस्ता टीम को सूचना मिली थी कि सोहना रोड पर सेक्टर-48 में जेएमडी मेगापोलिस माल की सातवीं मंजिल पर अमेरिका के लोगों के साथ ठगी करने के लिए एक फर्जी काल सेंटर चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री उड़नदस्ता के पुलिस उपाधीक्षक इंद्रजीत और एसीपी सदर संजीव कुमार बल्हारा के नेतृत्व में पुलिस टीम का गठन किया गया। पुलिस टीम ने फर्जी काल सेंटर चलाने के आरोप में नौ लोगों को गिरफ्तार किया है।
मणिपुर और दिल्ली के रहने वाले हैं आरोपित
काल सेंटर संचालक दिल्ली के द्वारका का रहने वाला सत्येंद्र और अंकिस सचदेवा है। इसके अलावा अभिसावन सभरवाल, दीपक कुमार, एकलव्य, थामसन, विशाल विश्वकर्मा, चौखोनी और मागौई गंगलुई को गिरफ्तार किया गया। सभी मणिपुर के रहने वाले हैं।
फर्जी लेटर बनाकर करते थे ठगी
फेडरल ग्रांट्स विभाग का प्रणाम फर्जी लेटर बना करते थे ठगी फर्जी काल सेंटर में अमेरिकी मूल के नागरिकों को फेडरल ग्रांट्स वाशिंगटन डीसी विभाग के नाम पर ग्रांट देने की बात की जाती थी। इसके लिए 9 हजार से 34 हजार डालर (लगभग 7.35 लाख से 27.77 लाख रुपये) तक की ग्रांट दिए जाने के फर्जी लेटर भी तैयार किए जाते थे।
डेढ़ लाख तक की वसूली
फेडरल ग्रांट्स के फर्जी कर्मचारी बनकर अमेरिकन नागरिकों से 200 से 1600 डालर (लगभग 16 हजार 1.30 लाख रुपये) तक वसूली करते थे।