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    गुरुग्राम वासियों को पानी के लिए नहीं खर्च करने पड़ेंगे सैकड़ों रुपये, नई यूनिट बुझाएगी शहर की 'प्यास'

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 07:44 PM (IST)

    गुरुग्राम में पेयजल संकट को दूर करने के लिए जीएमडीए बसई जल शोधन संयंत्र की क्षमता बढ़ा रहा है। 270 एमएलडी से 370 एमएलडी तक क्षमता बढ़ाने की योजना है जिसके लिए नई इकाई की स्थापना की जा रही है। सिंचाई विभाग से अतिरिक्त नहरी पानी की मांग की जाएगी। चंदू बुढेरा प्लांट में भी नई इकाई चालू की गई है जिससे शहर में पेयजल की आपूर्ति में सुधार होगा।

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    गुरुग्राम में पेयजल संकट को दूर करने के लिए जीएमडीए बसई जल शोधन संयंत्र की क्षमता बढ़ा रहा है।

    संदीप रतन, गुरुग्राम। साइबर सिटी में पेयजल संकट अगले साल तक खत्म होने की उम्मीद है। चंदू बुढेरा जल शोधन संयंत्र की तर्ज पर, गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) अब बसई जल शोधन संयंत्र की क्षमता बढ़ाने की तैयारी कर रहा है।

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    वर्तमान में संयंत्र की क्षमता 270 एमएलडी है, जिसे बढ़ाकर 370 एमएलडी किया जाएगा। जीएमडीए ने 100 एमएलडी की नई इकाई की स्थापना के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है और दिसंबर 2026 तक काम पूरा होने की उम्मीद है। 

    पंपिंग मशीनरी लगाई जाएगी और एक भंडारण टैंक भी बनाया जाएगा। जीएमडीए अधिकारियों का कहना है कि संयंत्र की क्षमता बढ़ाने के अलावा, सिंचाई विभाग से अतिरिक्त नहरी पानी की भी मांग की जाएगी।

    सिंचाई विभाग जीएमडीए के चंदू बुढेरा और बसई जल शोधन संयंत्रों को नहरी पानी की आपूर्ति करता है। इन दोनों संयंत्रों की वर्तमान क्षमता 670 एमएलडी है। यह एक बड़ी जलापूर्ति है। ये दोनों प्लांट शहर के बूस्टिंग स्टेशनों को पानी की आपूर्ति करते हैं, जो गुरुग्राम नगर निगम के अंतर्गत आते हैं। यहीं से पानी शहर के घरों तक पहुंचता है।

    अप्रैल में चंदू में नई इकाई चालू

    अप्रैल में चंदू बुधेरा जल उपचार संयंत्र में 100 एमएलडी क्षमता की एक नई इकाई चालू की गई। वर्तमान में, इस प्लांट की क्षमता 400 एमएलडी है। गौरतलब है कि पांचवीं इकाई का निर्माण कार्य चल रहा है, जो मार्च 2026 तक पूरा हो जाएगा। दोनों प्लांटों की संयुक्त क्षमता 770 एमएलडी हो जाने से शहर में पेयजल की कोई कमी नहीं होगी।

    700 एमएलडी पेयजल की मांग

    अप्रैल से जून तक, शहर में 700 एमएलडी पानी की माँग होती है। हालांकि, प्लांटों की सीमित क्षमता के कारण, पानी के लिए बोरवेल पर निर्भर रहना पड़ता है। नगर निगम के 494 बोरवेल भी घरों में पानी की आपूर्ति करते हैं।

    आपूर्ति टैंकरों पर निर्भर, जेब खाली

    गर्मियों के दौरान, शहर को पुराने शहर की कॉलोनियों, जिनमें डीएलएफ, दूधाहेड़ा, चक्करपुर, नाथूपुर, सिरहौल, सेक्टर 23, सेक्टर 22, सेक्टर 56-57, सुशांत लोक फेज 2 और 3 शामिल हैं, में पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है।

    लोगों को पानी के टैंकर मंगवाने के लिए 1,500 से 2,000 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। बसई प्लांट में नई इकाई के चालू होने से, खासकर पुराने शहर में, पेयजल संकट दूर होगा। प्लांट के उन्नयन से तेजी से बढ़ती आबादी की पेयजल जरूरतें पूरी होंगी।

    • शहर की आबादी 40 लाख है।
    • चंदू बुधेरा जल उपचार संयंत्र की क्षमता 400 एमएलडी है।
    • बसई जल उपचार संयंत्र की क्षमता 270 एमएलडी है।
    • दोनों संयंत्रों की कुल क्षमता 670 एमएलडी है।
    • गर्मियों के दौरान पानी की मांग 700 एमएलडी से अधिक हो जाती है।
    • 494 बोरवेल नगर निगम के हैं।
    • बोरवेल से 100 एमएलडी पेयजल की आपूर्ति की जाती है।