न्यूरॉन्स की गतिविधि से पकड़ में आएगी दिमाग की बीमारी, AI से होगी ब्रेन की स्टडी
Brain Scan Analysis एनबीआरसी के शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और एल्गोरिथ्म डेवलपमेंट का उपयोग करके ब्रेन स्कैन की स्टडी की और पाया कि हर मानसिक बीमारी का अपना एक विशेष पैटर्न होता है। इस शोध से मानसिक बीमारियों के इलाज में क्रांति आने की उम्मीद है। इसके अलावा कई बीमारियों की पहचान करने में मदद मिलेगी। साथ ही इसका इलाज भी आसान होगा।
जूही दास, गुरुग्राम। मस्तिष्क की जटिलता को समझना जितना कठिन है, उसी अनुपात में इससे जुड़ी बीमारियों का इलाज भी, लेकिन नए शोध दिमाग के रहस्य की परतों को खोल रहे हैं। मस्तिष्क पर शोध करने वाले संस्थान राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र (एनबीआरसी) ने सिजोफ्रेनिया जैसी ही घातक कई अन्य मानसिक बीमारियों के इलाज को लेकर नई उम्मीद जगाई है।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और अल्बोरिज्म डेवलप का प्रयोग कर ब्रेन स्कैन की स्टडी की गई तो पता चला कि हर मानसिक बीमारी का अपना एक विशेष पैटर्न होता है। चार साल तक अलग-अलग मानसिक बीमारियों से ग्रसित 400 मरीजों पर गहराई से शोध कर यह निष्कर्ष निकाला गया।
विज्ञानी अर्पण बनर्जी, अपनी टीम के साथ चर्चा करते हुए।
यह शोध प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल नेचर पब्लिशिंग ग्रुप में भी प्रकाशित हुआ है। शोध में डॉक्टरों ने पाया कि न्यूरांस की सक्रियता के कारण हर बीमारी का अपना पैटर्न बनता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि बीमारियों के अलग पैटर्न को समझने से जहां बीमारियों की जटिलता को समझने में मदद मिलेगी, वहीं इनके इलाज में प्रयोग होने वाली दवाओं के अनुसंधान में भी क्रांति आएगी।
भारतीय जनसंख्या का पांच प्रतिशत प्रभावित
विज्ञानियों के अनुसार भारत में मानसिक रोगियों की संख्या का सटीक आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन सिजोफ्रेनिया, पोस्ट-ट्रामेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों की संख्या भारत की कुल आबादी में पांच प्रतिशत तक हो सकती है।
विज्ञानी अर्पण बनर्जी
मानसिक बीमारियों के प्रति आज भी लोगों में काफी भ्रांतियां हैं। ऐसे में सभी मरीज चिकित्सकों तक पहुंच भी नहीं पाते या फिर वह किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं, इसे ही नहीं समझ पाते।
एमआरआई रिपोर्ट को एआई की मदद से किया एनालाइज
वैज्ञानिक अर्पण के अनुसार एमआरआई रिपोर्ट को एनालाइज करते एआई के माध्यम से मानसिक डिसऑर्डर के बारे में बताया जा सकता है। अभी तक विभिन्न प्रकार के मानसिक डिसआर्डर के बीच अंतर करने के लिए कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन और मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) का ही प्रयोग होता है।
टीम ने शोध में इसी पर काम किया है कि कैसे सिर की एमआरआई रिपोर्ट से हासिल जानकारी से बीमारी की पहचान की जा सके। रिसर्च पेपर में भी यही बताया कि कुछ डिसऑर्डर एमआरआई से बताए जा सकते हैं लेकिन बायपोलर, सिजोफ्रेनिया, एंजाइटी के संबंध नहीं बताया जा सकता है। ब्रेन इमेजिंग के डेटा को एआई अल्वोरिज्म के माध्यम एनालाइज कर डिसऑर्डर की पहचान की जाती है।
मस्तिष्क की जटिलताओं के शोध के लिए मैपिंग करते हुए विज्ञानी अर्पण बनर्जी की टीम के सदस्य । सौजन्य : एनबीआरसी
इन बीमारियों की पहचान में मिलेगी मदद
एनबीआरसी के विज्ञानी अर्पण बनर्जी के अनुसार एआई का प्रयोग करके एमआरआई डेटा से बता सकते हैं कि किसी मरीज में कौन-सा न्यूरो साइकेट्रिक डिसऑर्डर हैं। जैसे एंग्जायटी, डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर, विभिन्न प्रकार के मेंटल डिसऑर्डर, अटेंशन डिफिशिएंसी डिसऑर्डर, पोस्ट-ट्रामेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, एपिलेप्सी, सिजोफ्रेनिया।
इलाज में होगी आसानी
फोर्टिस अस्पताल के प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड चीफ ऑफ न्यूरेालॉजी डॉ. प्रवीण गुप्ता इस शोध में मिली सफलता पर कहते हैं कि किसी मानसिक डिसऑर्डर की पहचान करना काफी जटिल काम है। अधिकतर बीमारियां बाइपोलर, सिजोफ्रेनिया या मष्तिस्क में असंतुलन के कारण होती हैं। चूंकि, सीटी और एमआरआई में दिमाग के ढांचे की जांच होती है ब्रेन के ट्रांसमीटर और फंक्शन की नहीं।
डा. प्रवीण गुप्ता, प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड चीफ ऑफ न्यूरोलॉजी, फोर्टिस अस्पताल
इस कारण डॉक्टर इन बीमारियों के डायग्नोसिस नहीं बना पाते हैं। जिस कारण इन बीमारियों की पहचान करना मुश्किल है। यह शोध काफी कारगर है, क्योंकि कई मामलों में बीमारी का पता नहीं चलने से मरीज इलाज के लिए सहमत नहीं होता है। यदि हम इमेजिंग या टेस्ट से बीमारी की पहचान कर पाएंगे तो मरीजों का विश्वास भी बढ़ेगा और सही इलाज भी हो सकेगा।
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