अरावली पहाड़ी में अंसल हाउसिंग और अवैध फार्म हाउस मालिकों पर ACB का शिकंजा, अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज
सोहना अरावली पहाड़ी क्षेत्र में अंसल हाउसिंग और अवैध फार्म हाउस मालिकों पर एसीबी ने शिकंजा कसा है। अधिकारियों पर गैर-मुमकिन पहाड़ भूमि को बदलकर फार्महाउस दिखाने का आरोप है जिससे अरावली अधिसूचना का उल्लंघन हुआ। शिकायतकर्ता रमाशंकर शुक्ला ने कंपनियों पर नकली नक्शे और फर्जी रिकॉर्ड बनाने का आरोप लगाया है। एसीबी ने एफआईआर दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है।

संवाद सहयोगी, सोहना। सोहना की अरावली पहाड़ी में अंसल हाउसिंग और अवैध फार्म हाउस मालिकों पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने शिकंजा कस दिया है। दस साल पहले एक शिकायत में उठाए गए जमीन घोटाले के आरोपों की जांच के बाद एसीबी ने शुक्रवार को अंसल हाउसिंग और अन्य रियल एस्टेट कंपनियों, पूर्व पटवारी और राजस्व विभाग के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
यह मामला सोहना की अरावली पहाड़ियों में अवैध फार्म हाउसों से जुड़ा हुआ है। अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने भूमि की श्रेणी ‘गैर-मुमकिन पहाड़’ (खेती लायक पहाड़ी भूमि, जो पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट के तहत संरक्षित होती है) को बदलकर फार्महाउस, सड़क और मकान दिखाया और 1995 के राजस्व रिकार्ड में उसे दर्शाया। इस जमीन को कालोनी में बदलने के लिए 1992 और 1996 के बीच दस्तावेजों में हेराफेरी की गई।
यह भूमि अरावली अधिसूचना 1992 के तहत संरक्षित पहाड़ियों में पेड़ों की कटाई और निर्माण गतिविधियों को प्रतिबंधित करती है।यह जांच 2015 में दर्ज एक शिकायत के बाद शुरू हुई थी, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता रमाशंकर शुक्ला ने विभिन्न कंपनियों द्वारा अवैध फार्म हाउस बनाने और भूमि रूपांतरण में गड़बड़ी की बात कही थी।
एसीबी की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि सोहना तहसील की ‘गैर मुमकिन पहाड़’ श्रेणी की भूमि में बदलाव कर उसे ‘फार्म हाउस’ दर्शाया गया और फिर उसे बड़े पैमाने पर बेचा गया।जांच में यह भी पाया गया कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने इन फार्म हाउसों में निवेश किया है। जिस भूमि को हरे-भरे क्षेत्रों के रूप में दर्शाया गया था उसे नकली रिकार्ड दिखाकर उपयोग में लाया गया।
शिकायत में जिन कंपनियों और लोगों को नामजद किया गया है, उनमें अंसल हाउसिंग एंड कंस्ट्रक्शंस लिमिटेड, दिल्ली टावर्स एंड एस्टेट्स, एलीट डेवलपर्स, अंसल प्रापर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य शामिल हैं।
इन कंपनियों ने फार्म हाउसों का विकास किया और उन्हें बेचा। एसीबी ने यह भी कहा कि 1985-86 के राजस्व रिकार्ड में भूमि की स्थिति ‘गैर मुमकिन पहाड़ थी, लेकिन 1995 के रिकॉर्ड में इसे फार्महाउस, सड़क और मकान दिखा दिया गया।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने भी पूर्व में अरावली क्षेत्र में निर्माण पर रोक लगाई थी और गैर मुमकिन पहाड़ के संरक्षण की बात कही थी।प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस क्षेत्र में भूमि की बिक्री और खरीद में हेराफेरी के आरोपों की जांच की थी।
शिकायत में रमाशंकर शुक्ला ने आरोप लगाया कि अंसल समूह और अन्य कंपनियों ने मिलकर नकली नक्शे तैयार किए। नकली निर्माण स्वीकृतियां लीं और भूमि रूपांतरण के फर्जी रिकार्ड बनाए।मामले में आगे की जांच की जाएगी।
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