राजनीतिक ²ष्टि से हीरो, पर विकास के मामले में जीरो
गुड़गांव लोकसभा सीट का बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र प्रदेश में क्षेत्रफल व मतदाताओं के हिसाब से सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है। चुनावों के दौरान भी यह विधा ...और पढ़ें

गांव की कहानी/बादशाहपुर
इस क्षेत्र से कई विधायक मंत्री बने पर उनकी घोषणाओं की पोटली नहीं खुली। गुड़गांव लोकसभा सीट का बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र प्रदेश में क्षेत्रफल व मतदाताओं के हिसाब से सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है। चुनाव के दौरान भी यह विस क्षेत्र सबसे अधिक चर्चा में रहता है। लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल इस विस क्षेत्र पर अधिक जोर देते हैं। इन बातों के उलट अगर विकास के मामले में बादशाहपुर के बारे में बात करें तो यहां असुविधाओं का भंडार है। पहले गांव में पंचायत हुआ करती थी करीब पांच साल से गांव नगर निगम का हिस्सा है। यहां के विकास की तरफ किसी भी राजनेता ने ध्यान नहीं दिया। सुविधाओं के नाम पर बादशाहपुर में कुछ भी नहीं है। उपमंडल बनाने की घोषणा मात्र घोषणा ही बनकर रह गई। बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक राव नरबीर सिंह फिलहाल प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री है। परिसीमन से पहले बादशाहपुर सोहना विधानसभा क्षेत्र का अहम कस्बा रहा है। इस विधानसभा क्षेत्र का मुख्यालय बादशाहपुर ही है। मतदाताओं के ²ष्टिकोण से महत्वपूर्ण
फिलहाल इस विधानसभा क्षेत्र में 3 लाख 46 हजार मतदाता है। नई मतदाता सूची में इनकी संख्या बढ़ सकती है। बादशाहपुर कस्बा में ही मतदाताओं की संख्या 16,375 हैं। जिसमें पुरुष मतदाता 8506 है। महिला मतदाता 7865 हैं। 2009 में परिसीमन के बाद बादशाहपुर विस क्षेत्र अस्तित्व में आया। उससे पहले बादशाहपुर सोहना विस क्षेत्र का हिस्सा होता था। उस समय भी सोहना के बाद बादशाहपुर सबसे बड़े गांव में गिना जाता था। हरियाणा प्रदेश का गठन होने के बाद 1972 में कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह के पिता राव महावीर सिंह विधायक बने और कैबिनेट में मंत्री का दर्जा पाया। 1977 में क्षेत्र से कुंवर विजय पाल सिंह विधायक बने और विस उपाध्यक्ष बने। 1982 में कन्हैयालाल पोसवाल विधायक बनकर प्रदेश में गृह मंत्री बने। 1987 में राव धर्मपाल निर्दलीय विधायक बने और 1991 में राव धर्मपाल फिर से कांग्रेस की टिकट पर यहां से विधायक बन प्रदेश सरकार में मंत्री बने। 1996 में राव नरबीर सिंह यहां से विधायक बन प्रदेश में मंत्री रहे। 2000 में फिर से राव धर्मपाल यहां से विधायक बने। 2004 में सुखबीर सिंह जौनापुरिया विधायक चुने गए। 2009 में परिसीमन के बाद बादशाहपुर विस क्षेत्र बन गया। परिसीमन के समय इस विधानसभा क्षेत्र को डूंडाहेड़ा के नाम से बनाया जा रहा था। पर बादशाहपुर के महत्व को देखते हुए इस विधानसभा सभा क्षेत्र को बादशाहपुर का नाम दिया और राव धर्मपाल यहां से विधायक बने। मंत्री नहीं बनने के बाद भी राव धर्मपाल भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में अहम किरदार के रूप में रहे। 2014 में राव नरबीर सिंह विधायक चुने गए और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
बादशाहपुर का विकास करने के बजाय हमेशा इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि ने अपना विकास किया। बादशाहपुर में आज तक ना तो कोई कॉलेज बना ना कोई अस्पताल बना। थाना भी पुराने पंचायत घर के दो कमरों में चल रहा है। कांग्रेस सरकार ने 650 एकड़ जमीन में बादशाहपुर में विश्वविद्यालय बनाने की योजना तैयार की थी। भाजपा की सरकार ने उस विश्वविद्यालय को भी रद कर के मात्र 50 एकड़ में भांगरोला में विश्वविद्यालय बना दिया। उसका मात्र 2 करोड़ का बजट दिया गया है। जिसमें विश्वविद्यालय की चारदीवारी भी नहीं बन सकती। विकास की तो बात यह है कि 2 साल से बादशाहपुर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की दीवार टूटी हुई है। वह दीवार आज तक नहीं बन पाई।
- राजेश यादव, सामाजिक कार्यकर्ता, बादशाहपुर बादशाहपुर का जिस तरह से विकास होना चाहिए था। वह विकास नहीं हो पाया। इसमें जनप्रतिनिधियों की कमी तो रही इसके साथ ही लोगों में जागरूकता का भी अभाव है। बादशाहपुर के विकास के लिए लोगों को लड़ाई लड़नी होगी। इससे पहले किसी भी जनप्रतिनिधि ने बादशाहपुर के विकास पर ध्यान ही नहीं दिया। भाजपा की सरकार बनने के बाद गली निर्माण व सड़क के काम के साथ सीवर लाइन आदि डालने के विकास में तो तेजी आई है। बादशाहपुर पुराना कस्बा होने के साथ जिस तरह से यहां विकास होना चाहिए था। बादशाहपुर में अस्पताल व बस अड्डा तो होना बेहद जरूरी है।
- मुकेश जेलदार, प्रदेश सचिव, युवा भाजपा। प्रस्तुति : सत्येंद्र सिंह

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