लाइफस्टाइल : सोशल मीडिया के प्रभाव से टूट रहे धर्म व जाति के बंधन
होली, दीवाली, ईद और क्रिसमस जैसे त्योहार अब किसी धर्म विशेष के न रहकर ग्लोबल त्योहार हो गए हैं। बदलते परिवेश व सोशल मीडिया के प्रभाव में धर्म व जाति की बेड़ियों को तोड़ते हुए लोग हर धर्म के त्योहारों को अपनाकर सांप्रदायिक सौहार्द की नई मिसाल पेश कर रहे हैं। ईद पर भी इसी तरह का प्रभाव देखने को मिला
प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम
होली, दीवाली, ईद और क्रिसमस जैसे त्योहार अब किसी धर्म विशेष के न रहकर ग्लोबल त्योहार हो गए हैं। बदलते परिवेश व सोशल मीडिया के प्रभाव से धर्म व जाति की बेड़ियों को तोड़ते हुए लोग हर धर्म के त्योहारों को अपनाकर सांप्रदायिक सौहार्द की नई मिसाल पेश कर रहे हैं। ईद पर भी इसी तरह का प्रभाव देखने को मिला। वही जोश, वही उत्साह, बच्चों में ईदी पाने की उत्कुकता व युवाओं में सोशल मीडिया पर ईद विशेष फोटो अपलोड करने की होड़। सुबह से ही सोशल मीडिया व मोबाइल एप्स ईद के संदेशों से पटे हुए हैं। खास बात यह है कि यह उत्साह हर धर्म के लोगों में है। विभिन्न धर्मों के बच्चे ईदी के रूप में तोहफों के मांग कर रहे हैं तो बड़े उनकी जिद को पूरा करने में भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। शायद यही है बदलते समाज की खूबसूरत तस्वीर। सेतु बन रही सोशल मीडिया
दीवाली हो या ईद, हर त्योहार पर लोगों में सेल्फी अपलोड करने की होड़ दिखती है। लोग फोटो अपलोड करके त्योहार की मुबारकबाद देते हैं। ईद पर भी यही देखने को मिला। चाहे ¨हदू हो या मुस्लिम, हर धर्म के युवा सोशल मीडिया पर संदेश पोस्ट कर रहे हैं। एक कंपनी कर्मचारी निधि सिन्हा के मुताबिक सोशल मीडिया वॉल पर रीसेंट चीजों को पोस्ट किया जाता है। ऐसे में ईद के मौके पर ईद के उन्होंने संदेश, फोटो व फ्रेम पोस्ट की है। उनका तर्क है कि जब हम सभी सोशल मीडिया के सभी मंचों पर एक साथ हैं तो एक दूसरे के त्योहारों की अनदेखी कैसे कर सकते हैं। कंपनियों ने बदली परिपाटी
आज का युवा हर अवसर को सेलिब्रेट करना चाहता है। इसका कारण यह है कि लोग अपनी जिंदगी में इतने व्यस्त हैं कि उन्हें किसी तरह के ब्रेक की जरूरत होती है। यही ब्रेक उन्हें त्योहारों को सेलिब्रेट करने के लिए मिल जाता है। यही कारण है कि कंपनियों में भी ईद की सजावट होती है, बाकायदा गिफ्ट बांटे जाते हैं और हफ्तों पहले से माहौल को ईदमय बना दिया जाता है। एक कंपनी की एचआर हेड नसीम आरा के मुताबिक कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारी अपने आप को एक ही परिवार का सदस्य मानते हैं। ऐसे में वे हर वर्ग के त्योहार को उसी उत्साह के साथ मनाते हैं। सकारात्मक सोच दे रही है बदलाव की बयार
निश्चित रूप से ग्लोबल विलेज के कॉन्सेप्ट ने धारणाएं बदली हैं। सोशल मीडिया के मंच पर जो सांप्रदायिक सौहार्द का नमूना देखने को मिल रहा है, वह समाज के नव निर्माण का इशारा कर रहा है। अब लोगों को समझ में आ रहा है कि जीवन की परेशानियां बहुत बड़ी हैं और सांप्रदायिकता जैसी चीजें बेमानी। ऐसे में लोग हर धर्म के त्योहार को न केवल अपना रहे हैं बल्कि जश्न में शरीक हो रहे हैं।
- गरिमा यादव, मनोविज्ञान प्राध्यापक, गुरुग्राम इस दिन का इंतजार सभी को था। सांप्रदायिक सौहार्द हमारे स्वस्थ समाज का सपना था जो अब पूरा होता नजर आ रहा है। युवा अब धर्म जाति की बेड़ियों को तोड़कर सभी धर्मों का सम्मान कर रहे हैं। सोशल मीडिया व स्कूलों में दी जा रही सर्व धर्म संभाव की शिक्षा इस बदलाव का प्रमुख कारण है। अब हर घर में बच्चों व युवाओं की बदलती सोच के चलते हर धर्म के त्योहार मनाए जा रहे हैं।
- उर्वशी, मनोविज्ञान प्राध्यापक, गुरुग्राम
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