घंघोला स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार, सुधार की दरकार
सोहना, संवाद सहयोगी :
टूटा फूटा भवन, जर्जर डिलीवरी रूम व चोरों ओर गंदगी का आलम जर्जर कमरों में टूटा बेकार पड़ा सामान मुंह चिढ़ाते बोर्ड कुछ ऐसा ही नजारा दिखाता है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घैंघोला का।
इस केंद्र की ऐसी दशा देख लगता है की वर्षो से स्वयं केंद्र ही बीमार पड़ा है व सबसे पहले इसे ही मरम्मत-सुधार और की जरूरत है। वर्षो से भवन जर्जर और खस्ताहाल है। डाक्टर तैनात है पर बैठना मुनासिब नहीं समझते। यहां फार्मासिस्ट व एक चतुर्थ श्रेणी कर्मी के सहारे ही केंद्र पर दवा देने की खानापूर्ति भर हो रही है।
यहां उपचार को आने वाले ग्रामीण भी कहते हैं कि डाक्टर तो यहां आते ही नहीं फिर कैसे हो मरीजों का इलाज, जबकि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भरोसे क्षेत्र के 56 गांव स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निर्भर है।
ग्रामीण आंचल को जो स्वास्थ्य सेवा सुलभ होनी चाहिए वही उनके नसीब में नहीं। स्वास्थ्य सेवा तो दूर की बात पीने के पानी से लेकर अन्य सुविधा भी नदारद है।
बता दें कि इस केंद्र के अंर्तगत तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। छह डिलीवरी हट है। जहां न पर्याप्त एएनएम है और न ही मेल-फीमेल स्टाफ ऐसे में डिलीवरी हट का लाभ मिलना भी असंभव हो जाता है।
ग्रामीण आंचल में लोगों को विभाग की ओर से मुहैया कराए जाने वाले तमाम दावे झूठे साबित हो रहे हैं। घैंघोला पीएचसी सेंटर में चारों ओर गंदगी, कांग्रेसी घास जर्जर भवन देख जंगल जैसा नजारा ही दिखता है जबकि भवन को बरसों पहले जर्जर घोषित किया हुआ है फिर भी आज तक न तो नया भवन बना पाया और न ग्रामीणों को सुविधा ही मिल सकी।
क्या कहते हैं अधिकारी ::
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के वरिष्ठ चिकित्सक एवं इंचार्ज डा.जय भगवान जाटान समस्या को गंभीर मानते हैं और मानते हैं कि जल्द ही भवन के लिए जिला वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी से बात कर नए भवन की कार्रवाई शुरू कराएंगे और सभी सब सेंटरों पर डिलीवरी व अन्य स्वास्थ्य सेवाएं पर्याप्त मुहैया कराएंगे। स्टाफ की कमी जरूर है जिसके लिए उन्होंने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है।
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