गुरुग्राम-मानेसर में सांस की बीमारी बन रही हवा! AQI 367 तक पहुंचा, डॉक्टरों ने दी बाहर न निकलने की चेतावनी
गुरुग्राम और मानेसर में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। मानेसर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 367 तक पहुँच गया है। औद्योगिक इकाइयों का धुआं, कचरा जलाना और निर्माण कार्य प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बच्चों और बुजुर्गों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। प्रदूषण कम करने के लिए कचरा जलाने से बचने और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने की सलाह दी गई है।

गुरुग्राम और मानेसर में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। मानेसर और गुरुग्राम की हवा लगातार ज़हरीली होती जा रही है। गुरुवार को मानेसर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 367 रिकॉर्ड किया गया, जो "बहुत खराब" लेवल को पार कर "गंभीर" लेवल के करीब पहुंच गया। गुरुग्राम में भी AQI 302 रिकॉर्ड किया गया, जिससे पूरे इलाके में प्रदूषण का लेवल खतरनाक हो गया। सुबह से ही घना कोहरा और स्मॉग छाया हुआ है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंडस्ट्रियल यूनिट्स से निकलने वाला धुआं, प्लास्टिक और कचरा खुले में जलाने की बढ़ती घटनाएं और गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण ने हवा की क्वालिटी को बहुत खराब कर दिया है। शहर के कई इलाकों में कंस्ट्रक्शन का काम भी चल रहा है, जहां धूल कंट्रोल के उपाय पूरी तरह से लागू नहीं हैं, जिससे प्रदूषण का लेवल और बढ़ रहा है। हवा की धीमी स्पीड से ज़हरीले कण हवा में फैलते हैं, जिससे स्मॉग की परत और मोटी हो जाती है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि ऐसी हवा में लगातार सांस लेने से शरीर पर गंभीर असर पड़ सकता है। बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और अस्थमा, एलर्जी या फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों को खास सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। डॉक्टर सुबह और देर शाम बाहर न निकलने की सलाह देते हैं, क्योंकि इस समय पॉल्यूशन लेवल ज़्यादा होता है।
कचरा जलाने और धूल से होने वाला पॉल्यूशन
कचरा जलाने से बचना, गाड़ी शेयर करना और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ज़्यादा इस्तेमाल करने से पॉल्यूशन कम करने में मदद मिल सकती है। धूल को रोकने के लिए रेगुलर पानी का छिड़काव और कंस्ट्रक्शन साइट्स को ढकना ज़रूरी है। आस-पास हरियाली बढ़ाने से भी पॉल्यूशन का असर कम हो सकता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब तक इंडस्ट्रियल यूनिट्स, ट्रैफिक और वेस्ट मैनेजमेंट पर सख्त कंट्रोल नहीं होगा, एयर क्वालिटी में सुधार करना मुश्किल है।

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