फोरलेन प्रोजेक्ट में हो रहा GRAP नियमों का उल्लंघन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने निर्माण कंपनी को थमाया नोटिस
गुरुग्राम में द्वारका एक्सप्रेसवे से रेवाड़ी तक निर्माणाधीन फोरलेन प्रोजेक्ट के निर्माण में GRAP नियमों का उल्लंघन पाया गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने निर्माण कंपनी को नोटिस जारी कर नियमों का पालन करने का निर्देश दिया है। उल्लंघन जारी रहने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

मानेसर के सेक्टर दो में कूड़े में लगाई आग, मानेसर क्षेत्र में लगातार इंडस्ट्रियल वेस्ट और कूड़ा जलाने के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है। जागरण
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। द्वारका एक्सप्रेसवे से रेवाड़ी तक निर्माणाधीन फोरलेन हाईवे 352 डब्यल्यू के प्रोजेक्ट में ग्रेप नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। इसको लेकर अब हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने निर्माण कंपनी सुभाष इंफ्राइंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को कारण बताओ नोटिस भेजा है।
नोटिस में 15 दिन के अंदर जवाब मांगा गया है। बोर्ड द्वारा भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि टीम ने निरीक्षण के दौरान पाया कि निर्माण स्थल पर एंटी-स्माग गन स्थापित नहीं थी, कच्चे व ढीली मिट्टी वाले हिस्सों पर पानी का छिड़काव नहीं किया गया और साइट के चारों ओर विंड-फेंसिंग या ग्रीन नेट भी नहीं लगाया गया था।
इसके अलावा निर्माण सामग्री को बिना ढके ले जाया जा रहा था और सीएंडडी वेस्ट के ढेर खुले में पड़े मिले। निरीक्षण में यह भी सामने आया कि ट्रीटेड वाटर यानी शोधित पानी के उपयोग का कोई रिकार्ड भी उपलब्ध नहीं था।
सीएक्यूएम यानी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देशों के तहत ग्रेप–3 लागू होने पर निर्माण स्थलों पर कड़े मानक लागू किए गए हैं। नियमों के अनुसार धूल नियंत्रण में लापरवाही पर एक करोड़ रुपए तक का पर्यावरण मुआवजा लगाया जा सकता है। बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि यदि निर्धारित अवधि में संतोषजनक जवाब नहीं आया, तो पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के साथ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बोर्ड ने कहा कि एनसीआर में प्रदूषण के गंभीर स्तर को देखते हुए सभी निर्माण एजेंसियों को दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना अनिवार्य है, अन्यथा दंडात्मक कार्रवाई तय है।
गुरुग्राम और मानेसर की हवा जहरीली
जिले में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को गुरुग्राम का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 272 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी के करीब है। वहीं मानेसर की हवा और भी ज्यादा प्रदूषित पाई गई, जहां एक्यूआइ 331 रिकार्ड किया गया। सुबह के समय हल्की धुंध छाने के कारण लोगों को दृश्यता में कमी का भी सामना करना पड़ा।
अधिकारियों का कहना है कि बदलते मौसम के साथ बढ़ती ठंड और हवा की कम रफ्तार के कारण वातावरण में स्माग जम रहा है।
रात के समय जला रहे कचरा
विशेषज्ञों के अनुसार निर्माण गतिविधियां, वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक इकाइयों से निकलता धुआं और जगह-जगह कचरा जलाने की घटनाएं प्रदूषण को बढ़ा रही हैं। खासतौर पर मानेसर के औद्योगिक क्षेत्र में रात के समय कचरा और औद्योगिक कचरे को जलाने की शिकायतें बढ़ रही हैं, जिससे एक्यूआइ में उछाल आया है। स्थानीय लोगों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम मानेसर से से कड़ी निगरानी की मांग की है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि खराब वायु गुणवत्ता आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत, खांसी और अस्थमा के मरीजों के लिए और अधिक परेशानी पैदा कर सकती है। विशेषज्ञों ने बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को घरों से ज्यादा बाहर नहीं निकलने की सलाह दी है। मास्क पहनने, पानी अधिक पीने और घरों में वेंटिलेशन का ध्यान रखने से प्रदूषण से बचाव हो सकता है।
प्रदूषण से ऐसे करें बचाव
- संवेदनशील लोगों को मास्क अनिवार्य
- सुबह-शाम की बाहरी गतिविधियां कम करें
- घर लौटने पर हाथ-मुंह धोएं
- खांसी-जुकाम बढ़ने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
यह हैं प्रदूषण के मुख्य कारण
- निर्माण स्थलों से उड़ती धूल
- सड़कों पर बढ़ती वाहन संख्या और उनका धुआं
- औद्योगिक इकाइयों का धुआं
- कचरा और औद्योगिक कचरा जलाना

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