गुरुग्राम में अगले पांच दिन कैसा रहेगा मौसम? विशेषज्ञों ने अस्थमा के मरीजों को दी ये सलाह
गुरुग्राम में हवा चलने से प्रदूषण स्तर में कुछ गिरावट आई है, लेकिन शहर की हवा अभी भी खराब श्रेणी में है। एयर क्वालिटी इंडेक्स 258 दर्ज किया गया। सड़कों पर पानी का छिड़काव कम होने और निर्माण स्थलों पर लापरवाही के कारण धूल उड़ रही है, जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। विशेषज्ञों ने प्रदूषण कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने की सलाह दी है।
-1763467103461.webp)
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। गुरुग्राम में हल्की हवा चलने से बीते 24 घंटों में प्रदूषण स्तर में गिरावट जरूर दर्ज की गई, लेकिन शहर की हवा अब भी खराब श्रेणी में बनी हुई है। शनिवार को गुरुग्राम का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 258 रिकॉर्ड किया गया, जबकि औद्योगिक क्षेत्र मानेसर में यह आंकड़ा 245 रहा।
विशेषज्ञों का कहना है कि हवा चलने के कारण प्रदूषक कण कुछ हद तक छंट गए हैं लेकिन, जमीनी स्तर पर सुधार के लिए कदम न उठाए जाने के कारण प्रदूषण में कोई खास कमी नहीं आ पा रही।
लोगों का कहना है कि सड़कों पर पानी का छिड़काव लगभग बंद है, जिससे धूल की मोटी परतें वाहन गुजरने पर हवा में उड़ जाती हैं। कई मुख्य मार्गों पर मैकेनिकल स्वीपिंग की कमी साफ दिखाई देती है। निर्माण स्थलों पर कवरिंग और बैरिकेडिंग भी ठीक से नहीं हो रही, जिसके कारण धूल लगातार वातावरण में फैल रही है। परिणामस्वरूप लोग गले में खराश, आंखों में जलन, सिरदर्द और सांस संबंधी समस्याओं की शिकायत कर रहे हैं।
चिकित्सकों के अनुसार, हवा की गुणवत्ता खराब रहने से बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों पर अधिक खतरा होता है। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि सुबह और शाम के समय बाहर निकलने से बचें और आवश्यकता पड़ने पर मास्क का उपयोग करें। प्रदूषण स्तर बढ़ने से अस्पतालों में सांस और एलर्जी संबंधी रोगियों की संख्या में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है।
पानी छिड़काव के नाम पर हो रही खानापूर्ति
स्थानीय निवासियों का कहना है कि पिछले कई दिनों से प्रदूषण लगातार ‘खराब’ स्तर पर है, लेकिन न तो जल छिड़काव तेज किया गया है और न ही सड़कों की साफ-सफाई को लेकर कोई ठोस कार्रवाई दिख रही है।
यह भी पढ़ें- 124 एकड़ में बनेगा अंतरराष्ट्रीय खेल स्टेडियम, 50 हजार दर्शकों के बैठने की होगी व्यवस्था
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि एजेंसियां समय रहते सड़कों पर नियमित पानी का छिड़काव, निर्माण स्थलों की निगरानी और कूड़ा जलाने पर सख्ती जैसे कदम उठाएं, तो हालात में तेजी से सुधार आ सकता है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।