जीपीआर मशीन बताएगी कहां दबी हैं लाइनें और केबल
सब कुछ ठीकठाक चला तो आने वाले दिनों में निर्माण कार्य केबल बिछाने या अन्य कार्य के लिए जमीन की खोदाई के वक्त सीवर पेयजल गैस लाइन या अन्य लाइनों के क्षतिग्रस्त होने का डर नहीं रहेगा।

संदीप रतन, गुरुग्राम
सब कुछ ठीकठाक चला तो आने वाले दिनों में निर्माण कार्य, केबल बिछाने या अन्य कार्य के लिए जमीन की खोदाई के वक्त सीवर, पेयजल, गैस लाइन या अन्य लाइनों के क्षतिग्रस्त होने का डर नहीं रहेगा। इस तरह के कार्य करने से पहले जीपीआर (ग्राउंड पेनिट्रेटिग रडार) मशीन से जमीन के ऊपर से निरीक्षण किया जाएगा। मशीन की खासियत ये है कि यह जमीन में दबी हुई हर चीज का पता लगा लेती है।
गुरुग्राम मेट्रोपालिटन डेवलपमेंट अथारिटी (जीएमडीए) जीपीआर मशीन को खरीदने की तैयारी कर रहा है। 17 अगस्त को जीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसको लेकर चर्चा हो चुकी है। जीएमडीए की जीआइएस डिवीजन द्वारा यह मशीन खरीदी जाएगी। इस मशीन की कीमत 10 लाख रुपये से लेकर 40 लाख रुपये तक है। इसलिए है जीपीआर मशीन की जरूरत
टेलीकाम आपरेटर, बिजली सहित अन्य विभागों को भूमिगत केबल व अन्य तरह की लाइनें बिछाने के लिए जीएमडीए अनुमति देता है। इसके लिए संबंधित कंपनी या विभाग को जीपीआर डाटा भी जीएमडीए को देना होता है। इस डाटा की विश्वसनीयता यानी ग्राउंड पर जाकर निरीक्षण करने के लिए जीपीआर मशीन की जरूरत होती है ताकि यह पता लगाया जा सके कि डाटा सही है या नहीं। खोदाई में दूसरी लाइनें हो जाती हैं क्षतिग्रस्त
मोबाइल नेटवर्क कंपनियों ने शहर में जगह-जगह शहर को खोद डाला है। बारिश के दौरान इन गड्ढों में जलभराव हो जाता है। कई बार जमीन की खोदाई के दौरान पेयजल व सीवर आदि की लाइनें भी टूट जाती हैं, जिससे काफी परेशानी होती है। जीपीआर मशीन खरीदने के बाद उम्मीद है कि इस तरह की लापरवाही कम होगी और लाइनों के क्षतिग्रस्त होने से होने वाले नुकसान से बचा जा सकेगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।