हेलो जागरण: कैंसर बीमारी की समय पर पहचान करने से सस्ता और बेहतर इलाज होगा
डाक्टरों का कहना है कि समय पर कदम उठाया जाए तो कैंसर का बेहतर इलाज है। इसके लिए लक्षणों पर ध्यान रखने की जरूरत है। ...और पढ़ें

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका समय पर पता लग जाए तो पूरी तरह इलाज संभव है, मगर समय पर इलाज नहीं होने पर मृत्यु भी हो सकती है। डाक्टरों का कहना है कि समय पर कदम उठाया जाए तो कैंसर का बेहतर इलाज है। इसके लिए लक्षणों पर ध्यान रखने की जरूरत है। शरीर में होने वाले बदलाव की अनदेखी नहीं करनी चाहिए बल्कि तुरंत डाक्टर को दिखाना चाहिए। डाक्टरों का कहना है कि महिलाओं में ब्रेस्ट तथा फेफड़े का कैंसर और पुरुषों में भी फेफड़े के कैंसर के लक्षणों की आसानी से पहचान की जा सकती है। विश्व कैंसर दिवस पर शुक्रवार को दैनिक जागरण ने अपने हेलो जागरण कार्यक्रम में कैंसर विशेषज्ञों को आमंत्रित किया था। गुरुग्राम दैनिक जागरण कार्यालय में आर्वी हेल्थकेयर अस्पताल सेक्टर-90 के मशहूर सर्जरी विशेषज्ञ डा. विक्रम सिंह, कैंसर विशेषज्ञ डा. पूजा बब्बर और कैंसर विशेषज्ञ डा. विकास चौधरी ने दोपहर 12 से एक बजे तक फोन पर कैंसर से बचाव तथा लक्षण जानने के साथ ही इलाज के बारे में सलाह दी। डाक्टरों ने कहा कि कैंसर के इलाज में सबसे अहम है कि समय पर बीमारी का पता चल सके और शुरुआती दिनों में इस बीमारी का इलाज होना चाहिए। भारत में अधिकतर मरीज देरी से डाक्टर के पास पहुंच रहे हैं, तब तक बीमारी गंभीर हो चुकी होती है। बहुत कम मरीज हैं जो कैंसर की पहली स्टेज पर इलाज लेने पहुंचते हैं। वह भी अपनी पहल पर नहीं पहुंचते हैं, बल्कि किसी अन्य बीमारी का इलाज कराने आते हैं तो वहां लक्षणों को देखते हुए डाक्टर ही बताते हैं कि कैंसर की जांच करानी होगी। दूसरी स्टेज पर इलाज कराने वालों की संख्या कम है। अधिकतर मरीज तीसरी स्टेज पर इलाज कराने पहुंचते हैं तब तक बीमारी गंभीर हो चुकी होती है। अगर हम स्वास्थ्य के लिए सजग रहेंगे तो बीमारियां गंभीर नहीं हो पाएगी। महिलाओं में फेफड़े का कैंसर
यूरोपीय देशों में महिलाएं फेफड़े के कैंसर से ग्रस्त मरीज अधिक हैं। इसका एक बड़ा कारण तंबाकू और धूमपान है। अब भारत में भी ऐसे मरीज बढ़ रहे हैं। एनसीआर में वायु प्रदूषण अधिक होने के साथ-साथ धूमपान करना एक बड़ा कारण है। धुआं जब जब शरीर में जाता है तो सांस नली बुरी तरह से प्रभावित होती है जिस कारण फेफडे़ का कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।
हालांकि फेफड़े के कैंसर से पुरुष अधिक ग्रस्त मिलते हैं। लेकिन कुछ वर्षों से महिलाओं में भी कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं। डा. पूजा बब्बर का कहना है कि भारत के बड़े शहरों में महिलाओं में धूमपान करना एक स्टेटस सिबल बन गया है लेकिन वह भविष्य में होने वाली बीमारी से अनजान होती हैं। इस समय फेफड़े का कैंसर मौत का बड़ा कारण माना जा रहा है। सबसे बड़ा कारण यह है कि बीमारियों की जानकारी बहुत देर से होना। अगर समय पर बीमारी की जानकारी मिलेगी तो मरीज को लाभ होगा और इलाज बेहतर होगा। इसके लिए सभी को समय पर बीमारी की जांच कराने पर ध्यान देना होगा। अगर हम विश्वभर में फेफड़े के कैंसर से होने वाली मौतों का आंकड़ा देखेंगे तो 20 लाख के आसपास होगा। जो महिलाएं खाने को लकड़ी, उपले, कोयला पर बनाती है उनको लंग कैंसर का खतरा बढ़ जाएगा। इसमें प्रदूषण कण और कार्बन मोनोआक्साइड उत्पन्न होती है और यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
पौष्टिक आहार और व्यायाम से बचाव होगा:
आज फास्ट-फूड का खाना बढ़ रहा है और नियमित व्यायाम नहीं के बराबर है। यह बीमारियों का कारण बन रहा है। डाक्टरों का कहना है कि पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम कैंसर रोग से बचाव करता है। अगर हम हरी सब्जी, टमाटर, अदरक का सेवन करते हैं तो कैंसर से बचाव में मदद मिलेगी। हल्दी शरीर की बाहरी चोट से लेकर भीतर जमी हुई गंदगी को साफ करती है। हल्दी में करक्यूमिन रसायन पाया जाता है और यह कैंसर रोग को खत्म करने में लाभकारी है। मौसमी फलों का सेवन करना बहुत जरूरी है। इसी के साथ दिन में कम से कम दस गिलास पानी पीना चाहिए।
गांठ की स्वयं जांच कर गंभीर बीमारी से बचाव:
महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की स्वयं जांच कर लें तो इस बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकता है। शीशे के सामने खड़े होकर अपने दोनों ब्रेस्ट का साइज देख सकती है। ब्रेस्ट में गांठ महसूस होने पर डाक्टर को जरूर दिखाएं। डा. पूजा का कहना है कि महिलाओं में 20 से 45 साल की आयु में ब्रेस्ट कैंसर अधिक होने का खतरा है। इसके लिए मेमोग्राफी जांच कराते रहना चाहिए। अगर समय पर इलाज होगा तो अच्छा और सस्ता इलाज होगा। यह हार्मोन से होने वाली बीमारी है। शुरुआती मासिक धर्म देर से होना और 35 की आयु के बाद गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन भी कैंसर का कारण बन सकता है।
कैंसर के लक्षण
आमतौर पर मरीज का वजन कम होना शुरू हो जाएगा और बुखार अधिक रहने लगेगा। मरीज को भूख कम लगने के साथ हड्डियों में दर्द शुरू हो जाएगा। खांसी या मुंह से थूक के साथ खून आने लगेगा। अगर ऐसे लक्षण दिखते हैं तो डाक्टर को दिखाने में देरी न करें।
फेफड़े कैंसर के लक्षण:
- कई माह तक खांसी की समस्या बने रहना
- खांसी के साथ खून आना
- सांस लेने में कठिनाई होना
- छाती में दर्द होना
- मरीज की धीरे-धीरे आवाज कमजोर होती जाएगी
- वजन कम होने लगेगा
- मरीज की हड्डियों, पसलियों और सिर में दर्द रहेगा।
गले में कैंसर की पहचान:
- मुंह में गाल, जबड़ा या मसूड़ों से जुड़ा हुआ। छाले होने और जल्द ठीक नहीं होना कैंसर के लक्षण हैं
- गाल और जीभ के कैंसर के कारण बोलने में कठिनाई और आवाज में बदलाव होते हैं। जब आवाज बदले तो डाक्टर को दिखाएं
- कैंसर होने पर खाना निगलते समय गले में दिनोंदिन अटकाव महसूस होना कैंसर सूचक मानना चाहिए
- कोई आशंका हो तो डाक्टर से मिलें
- डाक्टरी सलाह के अनुसार उचित समय कैंसर के लिए अपनी जांच करा लें
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. डाक्टर साहब मैं सरोज बोल रही हूं। मेरी रीढ़ की हड्डी में गांठ है। क्या यह कैंसर है?
- अगर आप ने जांच नहीं कराई है तो डाक्टर को दिखा लें। बिना जांच के यह कहना कि कैंसर है या नहीं, सही नहीं है। गांठ होना कैंसर ही है ऐसा नहीं कहा जा सकता लेकिन उसकी जांच कराना बहुत जरूरी है। जांच से स्पष्ट होगा कि गांठ कैंसर है या कोई अन्य बीमारी। . डाक्टर साहब मेरा नाम पिकी है और ब्रेस्ट कैंसर है। क्या ब्रेस्ट निकलवाना ही एकमात्र इलाज है?
- अगर आपने डाक्टर को दिखाया है तो इलाज करने वाले डाक्टर ने आपको बताया होगा। जहां तक आपके पूछे गए प्रश्न का उत्तर है तो मैं आपको कहना चाहूंगी कि देखना होगा कि कैंसर किस स्तर पर है। अगर कैंसर वायरस आपके ब्रेस्ट में फैल चुका है तो मरीज को बचाने के लिए ब्रेस्ट निकालना ही होगा। अगर ब्रेस्ट में कैंसर पूरी तरह से नहीं फैला है तो बचाया जा सकता है। अगर आपको कैंसर की जानकारी समय पर मिल गई है तो आप घबराए नहीं। आपका बेहतर इलाज होगा। . मेरा नाम बाबू लाल है और मुंह में सफेद दाग है। क्या कैंसर है?
- आप जिस तरह से बता रहे हैं उससे साफ है कि कैंसर नहीं है लेकिन इसे डाक्टर को जरूर दिखा लें। अब कैंसर होने की संभावना नहीं है लेकिन भविष्य में वह कैंसर में तब्दील हो जाएगा, इसलिए पहले ही डाक्टर से दिखा लें। इसे करीब छह माह तक समय-समय पर लगातार डाक्टर को दिखाना होगा। छह माह बाद तय होगा कि यह कैंसर में तब्दील हुआ या नहीं। आप धूमपान और तंबाकू का सेवन कर रहे हैं तो उसे बंद कर दें। यह आपके लिए फायदे में होगा। क्योंकि जिसका आपको डर बना हुआ है वह धूमपान और तंबाकू के सेवन से हुआ है। . मेरा नाम विक्रम है। डाक्टर साहब क्या देसी दवाओं और आयुर्वेद में कैंसर का इलाज है?
- देखिए, आयुर्वेद के संबंध में अधिक कुछ नहीं कह पाऊंगा लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि समय पर इलाज बेहतर होता है और सस्ता भी होगा। बीमारी जितनी गंभीर होगी, इलाज उतना महंगा होता जाएगा और मरीज बिल्कुल स्वस्थ होने के चांस कम हो जाएंगे। मेरा मानना है कि आप जुकाम को ठीक करने में देरी कर रहे हैं तो चलेगा लेकिन कैंसर की बीमारी में इलाज लेने में देरी करना आपके लिए घातक होगा। . मेरा नाम संतोष है और उम्र 71 वर्ष है। कई बार मुझे ब्रेस्ट में दर्द होता है, क्या कैंसर का खतरा है।
- देखिए, आप एक बार डाक्टर को दिखा लीजिए। जांच के बाद ही पता चलेगा कि आपको क्या बीमारी है। अगर लंबे समय से दर्द है और आप महसूस कर रहे हैं कि आपकी ब्रेस्ट में कोई गांठ है तो देर मत कीजिए। अगर समय से बीमारी का पता चल जाता है तो इलाज भी बेहतर मिलता है। . मेरा नाम चुंगी लाल है। मुझे कैंसर हुआ था लेकिन अब मैं ठीक हूं। क्या मुझे दोबारा कैंसर हो सकता है।
- आप अपनी नियमित जांच कराते रहिए। ऐसा नहीं है कि आपको एक बार कैंसर हुआ है तो दोबारा नहीं होगा। आप अपने डाक्टर के बताए अनुसार दवाइयां और अन्य सावधानियां रखें। अपने खानपान पर ध्यान दें और सुबह-शाम का व्यायाम जीवनशैली में शामिल करें। .मेरा नाम अशोक कुमार है। फेफड़े में कैंसर के क्या कारण होते हैं।
- देखिए, फेफड़े में कैंसर के लिए कोई एक कारण नहीं है। गुटका, स्मोकिग और अन्य मादक पदार्थो का सेवन कैंसर जैसी घातक बीमारी को जन्म देता है। अगर आपको सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही है, भूख कम लग रही है या फिर तेजी से वजन कम हो रहा है तो देर न करें। एक बार डाक्टर को दिखा लें। . मेरा नाम महेंद्र सिंह है और मैं करनाल से हूं। मेरी बहन को ब्रेस्ट कैंसर है। क्या दूसरे ब्रेस्ट में कैंसर होने का खतरा है।
- जैसा आपने बताया कि आपकी बहन का इलाज चल रहा है। आप अपने डाक्टर से मिलें और उनसे परामर्श लें। वह आपको बेहतर तरीके से बता पाएंगे। अगर आपको कोई परामर्श या अन्य जानकारी लेनी है तो आप मुझे अस्पताल में आकर मिल सकते हैं। . मैं मानेसर से देवेंद्र बात कर रहा हूं। डाक्टर साहब कैंसर के लक्षण क्या होते हैं और कैसे बचाव संभव है।
- कैंसर कई प्रकार का होता है और उनके लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। आप स्वस्थ जीवनशैली के लिए अपनी दिनचर्या में बदलाव करें। कम से कम एक घंटा स्वयं के लिए निकालें और व्यायाम या एक्सरसाइज करें। पौष्टिक आहार लें। शरीर में किसी प्रकार का बदलाव महसूस होने पर डाक्टर से जांच जरूर कराएं। . मेरा नाम रवि है। मुझे पेट में गांठ है। क्या मुझे कैंसर का खतरा है।
- देखिए, आप गांठ को गंभीरता से लें। डाक्टर के पास जाकर जांच जरूर कराएं। अगर सही समय पर बीमारी का पता चला तो उसका इलाज भी अच्छे से हो पाता है। चाहे गांठ शरीर के किसी भी हिस्से में हो उसे नजरअंदाज न करें। . मेरा नाम सोनिया है। मेरी जेठानी को पचास एमएएम की गांठ है और कैंसर है। क्या सर्जरी करानी चाहिए?
- कीमोथेरेपी कराएं और पूरा कोर्स कराएं। उसके बाद जांच करानी होगी तभी तय होगा कि कितना फायदा हुआ या नहीं। अगर कम फायदा हुआ है तो फिर सर्जरी करनी होगी लेकिन उससे पहले आप डाक्टर के अनुसार कीमोथेरेपी कराएं। . डाक्टर साहब क्या परिवार में किसी को कैंसर है तो अन्य सदस्यों को भी खतरा रहेगा?
- ऐसा नहीं है। कैंसर बीमारी उन बीमारियों में नहीं है जो पीढ़ी दर पीढ़ी एक से दूसरे में जाती है। कैंसर बीमारी होने के कुछ कारण होते हैं। मान लीजिए किसी के दादाजी धूमपान, तंबाकू का सेवन करते हैं पौष्टिक आहर भी नहीं लेते हैं और वह कैंसर से ग्रस्त हो गए हैं। उसके बाद उसका बेटे भी यही कर रहा है और फिर वह कैंसर से ग्रस्त हो गया है। यहां बताना होगा कि वह बाप-बेटा धूमपान, तंबाकू के सेवन से कैंसर ग्रस्त हुए हैं। यह संक्रामक बीमारी भी नहीं है। . डाक्टर साहब मैं भूप सिंह धूमपान करता हूं। क्या मुझे कैंसर हो सकता है?
- बहुत से ऐसे लोग हैं कि वह ताउम्र धूमपान करते हैं लेकिन कैंसर नहीं होता है। फिर वह लोग प्रचार करते हैं कि धूमपान से कैंसर नहीं हुआ। जबकि ऐसे मरीजों को संख्या देखें जो धूमपान के कारण कैंसर ग्रस्त हुए हैं। धूमपान से कैंसर ही नहीं टीबी भी होने का खतरा रहता है। जो धूमपान, तंबाकू और शराब का सेवन करते हैं उन्हें गले का कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है। जो लोग हुक्का पीते हैं और वह सोचते हैं कि उन्हें कैंसर होने का खतरा नहीं है तो वह गलत सोच रहे हैं। लोग सोचते हैं कि हुक्के में पानी का प्रयोग होता है और पानी के कारण नुकसान नहीं पहुंचता है। . मेरा नाम श्यामलाल है आयु 43 वर्ष। क्या मुझे गले का कैंसर है।
- जांच का विषय है। आपका कहना है कि कोई दर्द नहीं है। देखिए, बिना जांच किए कुछ तय नहीं किया जा सकता। दर्द नहीं होने कारण यह तय नहीं कर सकते कि बीमारी क्या है या नहीं है। बहुत बार कैंसर के शुरुआती समय में दर्द नहीं होता है लेकिन बाद में वह कैंसर निकलता है। इसलिए ऐसी गांठ की अनदेखी नहीं करनी है। जांच जरूर कराएं। अगर कैंसर की बीमारी है तो शुरुआत में पकड़ी जाएगी और समय पर अच्छा इलाज होगा। . मेरा नाम मनीषा 32 वर्षीय हूं। ब्रेस्ट की साइड में गांठ है लेकिन दर्द नहीं है। क्या कैंसर है?
- दर्द नहीं होने का मतलब नहीं कि कैंसर नहीं है। आप जांच जरूर कराएं। जांच कराना कोई महंगा नहीं है। जरूरी नहीं है कि गांठ होना कैंसर ही है लेकिन जांच कराना बहुत जरूरी है। हम दर्द नहीं होने के कारण कई बार जांच नहीं कराते हैं और लंबे समय के बाद पता चलता है कि वह कैंसर है और तीसरी-चौथी स्टेज की कैंसर है। ऐसे में मरीज का बेहतर इलाज संभव नहीं होता और अधिक महंगा होता है। . डाक्टर साहब बच्चेदानी के कैंसर के लक्षण क्या हैं और इलाज कितना कारगर है?
- बच्चेदानी के मुंह का कैंसर महिलाओं में होने वाले कैंसर में दूसरे स्थान पर आता है लेकिन यह कैंसर जल्द पकड़ा जाता है और इलाज संभव है। हम यह कहना चाहेंगे कि महिला को अपनी बीमारी के संबंध में छिपाना नहीं चाहिए। अगर छिपाया जाता है तो बीमारी गंभीर हो जाएगी। बच्चेदानी से गंदे पानी का रिसाव, महामारी का अनियमित होना, संभोग के समय खून आना, कमर या पैर में अधिक दर्द होना और पेशाब में रुकावट इसके शुरुआती लक्षण हैं। प्रथम स्टेज पर सर्जरी या रेडियोथेरेपी द्वारा इसका इलाज संभव है। अगर कैंसर दूसरी स्टेज से ऊपर है तो रेडियोथेरेपी के साथ कीमोथेरेपी के प्रयोग से इसका इलाज संभव है लेकिन इसके लिए डाक्टर से दिखाना बहुत जरूरी है। . डाक्टर साहब मेरा नाम सोनू है। मैं जानना चाहता हूं कि ब्लड कैंसर का इलाज कितना संभव है?
- देखिए इलाज हर बीमारी का है लेकिन कैंसर के मामले में देखना होता है कि कैंसर किस स्टेज पर है। कैंसर के इलाज में संभव और असंभव का प्रयोग नहीं कर सकते। यहां समय पर इलाज की अहमियत है। इसलिए सभी डाक्टर कहते हैं कि कैंसर बीमारी की समय पर पहचान और इलाज मरीज को लंबा जीवन देता है। हम यहां यही अपील करेंगे कि लोगों की सुनी सुनाई पर ध्यान न दें और इलाज के लिए डाक्टर के पास जाएं। किसी भी बीमारी का इलाज डाक्टर ही करेगा। मीडिया मार्केटिग इनिशिएटिव

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