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नए गुरुग्राम की सोसायटियों में ई-वेस्ट जागरूकता अभियान

सेक्टर 55, 56 और 57 की सोसायटियों में साफ (सॉलिड वेस्ट अवेयरनेस एंड एक्शन फोरम) की ओर से इलेक्ट्रॉनिक कचरे के सही तरीके से निष्पादन के लिए जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत ई वेस्ट के खतरे और उसके सही तरीके से निष्पादन पर घर-घर जाकर जागरुकता की जाएगी। शुक्रवार को शुरू हुए इस कैंपेन के दौरान लोगों को ई वेस्ट के खतरे और उस हटाने के तरीकों पर चर्चा हो रही है। शनिवार और रविवार को विभिन्न सोसायटियों में इस पर सघन अभियान चलाया जाना है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 04:50 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 04:50 PM (IST)
नए गुरुग्राम की सोसायटियों में ई-वेस्ट जागरूकता अभियान
नए गुरुग्राम की सोसायटियों में ई-वेस्ट जागरूकता अभियान

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: सेक्टर 55, 56 और 57 की सोसायटियों में साफ (सॉलिड वेस्ट अवेयरनेस एंड एक्शन फोरम) की ओर से इलेक्ट्रॉनिक कचरे के सही तरीके से निष्पादन के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत ई-वेस्ट के खतरे और उसके सही तरीके से निष्पादन पर घर-घर जाकर जागरूकता की जाएगी। शुक्रवार को शुरू हुए इस कैंपेन के दौरान लोगों को ई-वेस्ट के खतरे और उस हटाने के तरीकों पर चर्चा हो रही है। शनिवार और रविवार को विभिन्न सोसायटियों में इस पर सघन अभियान चलाया जाना है। ई-वेस्ट में मौजूद हानिकारक तत्व प्रदूषित करते हैं वातावरण

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ई-वेस्ट की रिसाइकिलिंग जरूरी है। अगर सामान्य कूड़े के साथ डालकर उसे जमींदोज किया जाता है या जलाया जाता है तो उसमें मौजूद खतरनाक तत्व जमीन और हवा को प्रदूषित करते हैं। इन विषैले तत्वों से त्वचा, फेफड़े, लीवर, किडनी, तंत्रिका तंत्र और प्रजनन तंत्र पर दुष्प्रभाव पड़ता है। कुछ ऐसे तत्व भी हैं, जिनसे कैंसर तक हो सकता है। फेफड़े खराब हो सकते हैं।

ई-वेस्ट में लेड, कैडमियम, क्रोमियम, मर्करी, बेरियम, लीथियम जैसे हानिकारक तत्व होते हैं। यहां तक ई-वेस्ट में जो प्लास्टिक होता है, उसमें पॉलीविनायल क्लोराइड पाया जाता है। ई-वेस्ट में 40 प्रतिशत लेड और 70 प्रतिशत हैवी मेटल्स पाए जाते हैं। लेड की मात्रा शरीर में जाने से लंग्स कैंसर, सांस में तकलीफ, कफ, छाती में दर्द, और कमजोरी जैसी दिक्कत हो सकती है। कैडमियम शरीर में जाने से किडनी खराब हो सकती है। यह कार्सिनोजेनिक भी है, जिससे कैंसर हो सकता है, बोन डेंसिटी पर दुष्प्रभाव पड़ता है। मर्करी का तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। किडनी खराब हो सकती है। उपभोक्ताओं की जिम्मेदारी

- ई-वेस्ट कम हो यह कोशिश की जाए। ज्यादा दिन चलने वाले प्रामाणिक कंपनियों के इलेक्ट्रॉनिक सामान लें

- उसके रिपेयर, रियूज या डोनेट करने के तरीके पर विचार करें

- जब उसे फेंकना पड़े तो ई-वेस्ट कभी कूड़ा इकट्ठा करने वाले सामान्य वेंडर को नहीं दें।

- सरकार द्वारा अधिकृत ई-वेस्ट रिसाइकिलर को दें और उससे इसकी रसीद जरूर लें। इन्हें अधिकृत ई-वेस्ट वेंडर को दें

बड़ी वस्तुएं- फ्रीज, टीवी, एलसीडी, एलईडी, लैपटॉप आइपैड, वा¨शग मशीन, कंप्यूटर मोबाइल फोन, गीजर, ¨प्रटर, म्यूजिक सिस्टम

छोटी वस्तुएं - बैट्री, चार्जर, बल्ब, ट्यूब लाइट, ¨प्रटर, कार्टेज, आयरन, हेयर ड्रायर, टोस्टर, मिक्सर, पुरानी बैटरी, यांत्रिक खिलौने

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बढ़ते प्रदूषण और बीमारियों का एक कारण ई-वेस्ट का सामान्य कूड़े के साथ मिलाकर निष्पादित करना है। अपने देश में 10 प्रतिशत से भी कम ई-वेस्ट की रिसाइकि¨लग हो रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गिने चुने ई-वेस्ट रिसाइकिलर को अधिकृत किया है। देश स्तर पर ऐसी 178 यूनिट है और हरियाणा में 16 यूनिट है।

-अजय नायर, अध्यक्ष, वास्तु सोसायटी


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